सात महीने में बचाई 70 जान… फिर भी खेवनहार को नहीं मिली पगार, जीवन रक्षक तिगरी के केवट की कहानी
तिगरी में सरकारी नाव चलाने वाले ओमपाल सिंह को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है जबकि उन्होंने 70 लोगों की जान बचाई है। अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी उन्हें भुगतान नहीं किया गया है। केदारनाथ आपदा के समय का भी भुगतान अभी तक बाकी है जिससे वह आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि जल्द ही भुगतान किया जाएगा।

साैरव प्रजापति, गजरौला। नाम ओमपाल सिंह, ये तिगरीधाम स्थित गंगा किनारे पर रहने वाले जिंदगी के खेवनहार केवट हैं। भले ही यह गंगा में डूबते लोगों को बचाते हैं मगर, अफसरों की दरबार में इनकी उम्मीदें खुद डूब चुकी हैं। इन्होंने सात महीने में सरकारी वोट के जरिये अब तक लगभग 70 लोगों की जान भी बचाई है मगर, अफसरों के किए गए वादों से अभी तक उम्मीद पूरी नहीं हुई हैं।
अगस्त 2024 में तत्कालीन एडीएम सुरेंद्र सिंह चहल ने तहसीलदार, लेखपाल और प्रधान की मौजूदगी में एक सरकारी नाव ओमपाल को सौंपी थी और रोजाना 500 रुपये के हिसाब से केवट की पगार भी तय हुई थी। तब अगस्त, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर महीने में केवट ने 40 लोगों की जान बचाई थी।
हिसाब जोड़कर 63 हजार रुपये पैसे मांगे तो जल्द मिलने का आश्वासन मिलता गया। उस समय अधिकारियों के काफी चक्कर भी काटे मगर, पगार नहीं मिली थी। इससे क्षुब्ध होकर सरकारी नाव को केवट ने वापस तहसील भिजवा दिया। फिर अब जुलाई 2025 में बाढ़ की वजह से तहसील से फिर नाव तिगरी में ओमपाल को सौंपी गई।
तीन महीने बीत गए हैं। लगभग 50 हजार रुपये इन महीनों के भी हो गए मगर, भुगतान नहीं हो रहा है। जबकि वह जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं। फिर भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। हालांकि प्रशासन का दावा उनकी पगार को दिलवाने के लिए पत्राचार किया गया है, जल्द ही भुगतान होने की संभावना है।
रसूलपुर भांवर और दारानगर के सामने चली इस बार दो नाव
ओमपार सिंह ने बताया कि इस बार आई बाढ़ से ग्रामीणों के आने-जाने के लिए प्रशासन ने उनकी दो नाव ली। एक नाव 50 दिन रसूलपुर भांवर के सामने चली और दूसरी नाव 33 दिन तक दारानगर के सामने चली। दोनों नाव एक हजार रुपये लेखपाल मोहित द्वारा तय की गई थी। इनका भी अभी तक भुगतान की प्रक्रिया नहीं बढ़ी है। हालांकि लेखपाल मोहित ने बताया कि केवट के पैसे दिलवाने के लिए हर स्तर पर पत्राचार किया गया है।
केदारनाथ आपदा व वर्ष 2019 के 60 हजार बकाया
वर्ष 2013 में जब केदारनाथ आपदा के दौरान गंगा का जलस्तर भी खतरे के निशान पर था। लोगों का सामान बहकर आ रहा था। प्रशासन ने तीन गोताखोरों की ड्यूटी एक नाव के साथ फरीदपुर, लठीरा व गोपाल की मढैया में लगाई थी। लगभग 40 हजार रुपये का तेल फुंका।
मगर, उसका भुगतान आज तक नहीं हुआ है। ऐसे ही वर्ष 2019 में बाढ़ के समय पर किए गए कार्य का 20 हजार का भुगतान रूका हुआ है। ये ड्यूटी हल्के के लेखपाल के माध्यम से लगाई गई थी। तब का भुगतान भी अभी तक नहीं हुआ है।
15 साल की उम्र से कर रहे गोताखोरी, एक हजार से अधिक लोगों को बचाने का दावा
ओमपाल सिंह का कहना है कि वह 15 साल की उम्र से ही गोताखोरी कर रहे हैं। उनके पिता स्व. लालराम भी तैराक थे। 15 साल से लेकर 50 साल की उम्र तक वह ग्रामीणों के साथ मिलकर एक हजार से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं। ब्रजघाट तक शव की तलाश करने के लिए गए हैं। पहले इसका रिकार्ड भी था मगर, वर्षा में डायरी भीगने की वजह से नष्ट हो गई।
तिगरी के गोताखोर ओमपाल सिंह के पैसों का मामला संज्ञान में है। हल्के के लेखपाल ने रिपोर्ट बनाकर दी है। उस रिपोर्ट को मंडल स्तर पर भेजकर गोताखोर का पैसे दिलवाने के पत्राचार किया गया है। जिलाधिकारी स्तर से भी इस समस्या का समाधान करवाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही भुगतान होगा।
-विभा श्रीवास्तव, एसडीएम, मंडी धनौरा।
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