अच्छे विचार व सही सोच की जरूरत
हमें अपने अच्छे विचार व बेहतर सोच बनाने की जरूरत है। मनुष्य के मस्तिष्क में दिन भर अच्छे व ब
हमें अपने अच्छे विचार व बेहतर सोच बनाने की जरूरत है। मनुष्य के मस्तिष्क में दिन भर अच्छे व बुरे सभी प्रकार के विचार आते हैं। बुरे विचारों को दरकिनार कर हमें सही विचारों के बारे में सोचना चाहिए। जिस वस्तु की हम कामना करते हैं उसके होने पर भी और न होने पर भी व्यथित रहते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपके पास पैसा है, तो वह भी परेशानी का कारण बन जाता है। आपको ¨चता रहती है कि इस पैसे का निवेश करें या न करें। यदि आप पैसे को बिजनेस में लगाते हैं तो ¨चता रहती है कि बिजनेस में पैसा बढ़ रहा है या नहीं। शेयर बाजार में उतार चढ़ाव के बारे में भी ¨चता हो जाती है। और यदि आपके पास पैसा नहीं है तो भी आप ¨चतित हैं। वह संपूर्ण स्वतंत्रता जिसमें चीजों के होने या न होने से आप विचलित नहीं होते हैं, मुक्ति कहलाती है। हमें परिस्थतियों से जूझते हुए भी अपनी सोच सही रखने की जरूरत है। नेक कमाई से एकत्र किया हुआ कम धन भी आपके मन को संतुष्ट रखेगा, मसलन एक रोटी कम मिलने के बाद भी आप रात को चैन की नींद सो सकते हैं, लेकिन गलत नीयत से एकत्र किया हुआ अधिक धन कमाने के बाद भी आप सुकून से नहीं रह सकते। अधिक धन कमाने के बाद आप बेहतर भोजन करके भी रात को सोचते ही रहेंगे पैसा अधिक होने पर उसको निवेश करने की घबराहट आपको सताती रहेगी। हमें अपने बच्चों के पालन पोषण में नेक नीयत से कमाये हुए पैसे का इस्तेमाल करना चाहिए। गलत पैसे से यदि बच्चों की परवरिश होगी तो बच्चों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जीवन में बुलंद सोच रखना तो अच्छी बात है, लेकिन अपने से अधिक दौलत वालों का रहन सहन व खानपान देखकर मन को विचलित करने से बेहतर है कि अपने से गरीब लोगों को देखकर जितना अपने पास है उस पर संतोष व्यक्त करें। यानि समाज में हम जिस मुकाम पर हैं बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो हमारे बराबर तक नहीं पहुंच पाए है यानि हमसे भी ज्यादा गुरबत में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। हमेशा यह बात याद रखनी चाहिए अपने से अमीरों को देखकर मन विचलित होता है तथा गरीबों को देखकर मन को शांति मिलती है। जागरण द्वारा संचालित संस्कार शाला हमें इसी प्रकार की सीख देती है।
अशोक कुमार प्रधानाचार्य वीरेंद्र ¨सह इंटर कालेज रूखालू हसनपुर।
अच्छे विचारों को हमें हमेशा साकार करना चाहिए। जबकि बुरे विचारों को तिलांजलि देनी चाहिए। यदि हम अच्छा कार्य करेंगे तो समाज हमारी प्रशंसा करता है और गलत कार्य से हमें बुराई मिलती है। दैनिक जागरण बच्चों को अच्छे संस्कारों से जोड़ने का सराहनीय प्रयास कर रहा है।
सतीश ¨सह शिक्षक।
हमें अपने गुरुजनों, माता पिता व समाज के दूसरे बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए तथा छोटे व बड़ों को सही नजर से देखना चाहिए। अपनी मीठी वाणी से आप समाज में सबके दुलारे बन सकते हैं और कड़वी वाणी से समाज आपको गलत नजर से देखना शुरू कर देगा। इसलिए हमें दूसरों से मधुर वाणी से बोलना चाहिए।
अशोक भाटी शिक्षक।
दैनिक जागरण समाचार पत्र हमें देश व दुनिया की बेहतर व विश्वसनीय खबरें मुहैया कराने के साथ ही संस्कारों से जोड़ने का कार्य भी कर रहा है। जागरण संस्कार शाला से जुड़कर बच्चे संस्कारवान बन रहे हैं। रामनिवास शिक्षक।
तरक्की वही बच्चे करते हैं जिनकी सोच अच्छी होती है निगेटिव सोचने वाले मनुष्य हमेशा परेशान रहते हैं। दूसरों को अच्छा खाते पहनते देखकर गलत सोचने के बजाय मेहनत करके उनसे भी आगे निकलने का लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए।
रईस मलिक, शिक्षक।
मनुष्य अपने स्वाद के लिए भी निरीह पशु पक्षियों की हत्या कर निवाला बनाता है। यह मस्तिष्क में होने वाले गलत विचारों का परिणाम होता है। इस पर ध्यान से नियंत्रण किया जा सकता है।
जोनी शर्मा छात्रा।
सामान्य व्यक्ति की बातें छोड़ो, बडे़ बडे़ ऋषि मुनियों के विचारों का हनन होता देखा गया है। संसार में कोई बिरला ही होता है जो काम के वेग पर वाणी के उद्वेग तथा रसना के स्वाद पर नियंत्रण कर सके। आपको सोचना चाहिए। तभी अच्छे विचारों की उत्पत्ति होगी।
कपिल कुमार, छात्र।
जिनमें जीवात्मा डूबने लगता है। यद्यपि ये पांचों भंवर खतरनाक हैं ¨कतु मनुष्य अधिकतर वासना और रसना के भंवर में डूबता देखा गया है। जागरण द्वारा आयोजित संस्कार शाला एक अच्छी मुहिम है।
करिश्मा, छात्रा।
अच्छे विचार हमें महान बनाते हैं तथा बुरे विचार हमारे पतन का कारण बन जाते हैं हमें अपनी सोच अच्छी रखनी चाहिए। जागरण की संस्कार शाला वास्तव में बच्चों में बेहतर संस्कारों का विकास कर रही है।
सामर्थ कुमार, छात्र।
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