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    Mulayam Singh Yadav ने ही दिया था जिले को अमरोहा नाम, पहले था ज्योतिबाफुले नगर

    By Jagran NewsEdited By: Samanvay Pandey
    Updated: Mon, 10 Oct 2022 01:22 PM (IST)

    Mulayam Singh Yadav Death धरतीपुत्र कहे जाने वाले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अमरोहा की धड़कनों पर भी राज किया है। बसपा शासन में ज्योतिबाफुले नगर बने जिले को मुलायम ने सपा सरकार बनते ही अमरोहा नाम दिया था।

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    Mulayam Singh Yadav Memories : अमरोहा में पूर्व कैबिनेट मंत्री चंद्रपाल के आवास पर बैठे मुलायम सिंह यादव। फ़ाइल फ़ोटो।

    जागरण संवाददाता, अमरोहा। Mulayam Singh Yadav Death : धरतीपुत्र कहे जाने वाले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अमरोहा की धड़कनों पर भी राज किया है। बसपा शासन में ज्योतिबाफुले नगर बने जिले को मुलायम ने सपा सरकार बनते ही अमरोहा नाम दिया था।

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    अमरोहा की चारों सीट सपा ने जीतीं

    वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में अमरोहा की जनता ने चारों सीटें उनकी झोली में डाल दी थीं। यहां के कई दिग्गजों से उनके न सिर्फ राजनीतिक बल्कि, पारिवारिक संबंध रहे हैं। यही वजह है कि मुलायम के निधन की सूचना पर पूरा जिला गमगीन है।

    बसपा सुप्रीमो मायावती ने बनाया था जेपी नगर जिला

    24 अप्रैल 1997 को संत महात्मा ज्योतिबा फुले की याद में बसपा सुप्रीमो मायावती ने जेपी नगर के नाम से जिले का गठन किया था। वर्ष 2002 में सपा सरकार बनते ही मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने जेपी नगर समेत प्रदेश के नवगठित अन्य जिलों की समाप्ति की घोषणा कर दी थी।

    मुलायम सिंह ने किया था अमरोहा नाम

    हालांकि तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष शिवस्वरूप टंडन की पैरवी पर हाईकोर्ट ने दोबारा जेपीनगर जिले के गठन का आदेश कर दिया। मुलायम सिंह के समर्थकों का एक बड़ा धड़ा जिले का नाम जेपी नगर से अमरोहा करने की मांग उठा रहा था। वर्ष 2012 में दोबारा सपा सरकार बनने पर मुलायम सिंह के कहने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जेपीनगर जिले का नाम अमरोहा कर दिया।

    अमरोहा में मुलायम की लोकप्रियता

    अमरोहा में मुलायम सिंह की लोकप्रियता का सहज अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी अमरोहा व नौगावां सादात सीट उनकी पार्टी के खाते में गई। सियासी सफर की शुरुआत से ही मुलायम सिंह के अमरोहा से गहरे तार जुड़े थे।

    कमाल अख्तर को सियासी जगत में लाने वाले मुलायम ही थे

    पूर्व कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक रहे हों या फिर चौधरी चंद्रपाल सिंह, दोनों उनके सियासी हमसफर रहे। मौजूदा विधायक कमाल अख्तर को उन्होंने छात्र राजनीति से निकालकर सियासी जगत में स्थापित कर दिया। अमरोहा विधायक महबूब अली भी उनकी पार्टी से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए।

    दोस्ती के सच्चे कद्रदान थे मुलायम

    दोस्ती के सच्चे कद्रदान थे मुलायम सिंह यादव। वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव में उन्होंने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री महबूब अली की पत्नी सकीना बेगम को प्रत्याशी घोषित किया था। जबकि इस टिकट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रपाल सिंह अपनी पुत्रवधू रेनू चौधरी की दावेदारी कर चुके थे।

    महबूब के बेटे को बनवाया था एमएलसी

    चंद्रपाल से मुलायम के न सिर्फ सियासी संबंध थे बल्कि वह उनके गहरे दोस्त भी थे। चंद्रपाल जैसे ही मुलायम से मिलने लखनऊ पहुंचे उन्होंने सकीना का टिकट काटकर रेनू चौधरी को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके बाद हुए चुनाव में उन्होंने महबूब के बेटे परवेज को पार्टी से एमएलसी भी निर्वाचित करा दिया। इसी तरह गांव खेड़का निवासी हरपाल सिंह यादव से भी उनकी गहरी दोस्ती थी। मुख्यमंत्री रहते हुए वह उनकी बेटी की शादी में शामिल होने अमरोहा आए थे।