Updated: Mon, 15 Sep 2025 08:43 PM (IST)
अमरोहा में नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को अदालत ने 25 साल की कैद की सजा सुनाई है। पीड़िता और वादी के पक्षद्रोही होने के बावजूद अदालत ने एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया। जावेद नामक आरोपी ने 7 जुलाई 2024 को नौगावां सादात थानाक्षेत्र में एक किसान की नाबालिग बेटी से दुष्कर्म किया था। अदालत ने वादी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश दिया।
जागरण संवाददाता, अमरोहा। अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले युवक को 25 साल कैद की सजा सुनाई है। उस पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। नए कानून बीएनएस के तहत महिला अपराध में जिले में यह दूसरी सजा हुई है। जबकि इस मामले में पीड़िता व वादी पक्षद्रोही हो गए थे। परंतु एफएसएल रिपोर्ट को आधार मानते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
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यह मामला नौगावां सादात थानाक्षेत्र के एक गांव का है। यहां रहने वाला किसान 7 जुलाई 2024 की रात पत्नी और बच्चों के साथ घर में सो रहा था। रात को गांव का ही जावेद घर में घुस आया था तथा किसान की नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया था। किशोरी के शोर मचाने पर स्वजन जाग गए थे तथा जावेद को पकड़ लिया था। किसान खुद जावेद को लेकर थाने पहुंचा था तथा पुलिस को सौंप दिया था। बाद में पिता की तहरीर पर प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस ने जावेद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
जावेद उसी समय से जेल में बंद है तथा उसे जमानत नहीं मिली थी। पुलिस ने इस मामले की विवेचना कर 31 अगस्त 2024 को आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था। अब इस मुकदमे की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश विशेष पोक्सो एक्ट प्रथम की अदालत में चल रही थी। हैरत की बात यह है कि ट्रायल के दौरान पीड़िता व मुकदमे का वादी यानि पिता अदालत में पक्षद्रोही हो गए थे। परंतु अदालत ने एफएसएल रिपोर्ट को आधार माना। सोमवार को अदालत ने मुकदमे की सुनवाई करते हुए एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर जावेद को दोषी करार दिया।
अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे एडीजीसी रतनलाल लोधी ने बताया कि अदालत ने जावेद को 25 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
वादी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश
एडीजीसी रतनलाल लोधी ने बताया कि इस मामले में जो व्यक्ति दुष्कर्म के आरोपित को पकड़ कर स्वयं पुलिस को सौंप रहा है तथा प्राथमिकी दर्ज करा रहा है। बाद में वह पक्षद्रोही हो गया। केवल वादी ही नहीं बल्कि पीडिता भी पक्षद्रोही हो गई। ऐसे में अदालत ने वादी की भूमिका को संदिग्ध माना तथा उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
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