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    अमरोहा में एक लाख गोवंशीय पशुओं को लगेगी लंपी की वैक्सीन, पहले गोशालाओं में संरक्षित पशुओं को लगाई जाएगी

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 04:07 PM (IST)

    लंपी बीमारी को लेकर पशु पालन विभाग पूरी तरह सतर्क है। हालांकि, अमरोहा में अभी लंपी से पीड़ित कोई गोवंश नहीं मिला है लेकिन, उससे बचाव के लिए लखनऊ निदेश ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, अमरोहा। लंपी बीमारी को लेकर पशु पालन विभाग पूरी तरह सतर्क है। हालांकि, जिले में अभी लंपी से पीड़ित कोई गोवंश नहीं मिला है लेकिन, उससे बचाव के लिए लखनऊ निदेशालय द्वारा वैक्सीन उपलब्ध करवा दी गई है। जनपद में 1.03 लाख पशुओं को वैक्सीन लगेगी। इसमें सबसे पहले गोशालाओं में संरक्षित पशुओं को वैक्सीन लगाने का कार्य किया जाएगा। इसके बाद बार्डर क्षेत्र के गांवों के पशुओं का टीकाकरण होगा। तत्पश्चात अन्य गांवों में वैक्सीनेशन किया जाएगा। इसके लिए सभी पशु अस्पतालों में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देशित कर दिया गया है।

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    लंपी स्किन डिजीज एक वायरस जनित संक्रामक बीमारी है। यह सबसे ज्यादा गोवंशीय पशुओं में होती है। करीब दो साल पहले यह बीमारी तेजी के साथ फैली थी। 50 हजार से अधिक पशु उसकी चपेट में आए थे। यह बीमार वर्षा या आर्द्ध मौसम में तेजी के साथ फैलती है। शुरूआती लक्षणों में पशुओं को हल्का बुखार, त्वचा पर गांठे, मुंह व गले में सूजन, दूध उत्पादन में कमी, गर्भपात व बांझपन जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। गंभीर मामलों में पशु की मृत्यु भी हो सकती है। यह बीमारी मुख्य रूप से मच्छरों, काटने वाली मक्खियों आदि के जरिए एक पशु से दूसरे में फैलती है। आमतौर पर संक्रमित पशु दो से तीन सप्ताह में ठीक हो जाता है लेकिन, दूध उत्पादन में कमी लंबे समय तक बनी रहती है।


    बहरहाल, इस बीमारी से संबंधित कोई केस जनपद में नहीं है। बावजूद इसके विभाग पूरी तरह सतर्कता अपनाए हैं। निदेशालय ने 1.03 लाख वैक्सीन विभाग को उपलब्ध कराई है। सीवीओ डा.आभा दत्त ने बताया कि लंबी की वैक्सीन गोशाला में संरक्षित पशुओं को लगाने की कार्रवाई की जा रही है। 22 पशु अस्पताल जनपद में संचालित हैं। सभी के अधिकारियों व कर्मचारियों को वैक्सीनेशन के लिए निर्देश दे दिए गए हैं। गोशाला के बाद ही अन्य पशुओं को लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन लगाई जाएगी।

    लक्षण मिलने पर यह करें बचाव के उपाय


    -बीमार पशु को स्वस्थ पशुओं से तुरंत अलग करें।-पशु के शरीर पर मक्खी व मच्छर के बैठने का बचाव करें।
    -पशु के घावों पर एंटीसेप्टिक दवा का प्रयोग करें।
    -नियमित रूप से पशुशाला की सफाई करें।
    - नजदीकी पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर टीकाकरण करवाएं।