कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा कर लौटे 48 सदस्यों के जत्थे का स्वागत, दिल्ली से आठ जुलाई को गया था जत्था
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लिपुलेख दर्रे के ज़रिए कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा से लौटे 48 सदस्यों के जत्थे का अमरोहा में स्वागत किया गया। जत्थे के सदस्यों ने अपनी यात्रा के अनुभव साझा करते हुए इसे अलौकिक बताया। विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव केडी देवल के नेतृत्व में तीर्थयात्रियों ने 18 दिनों तक कैलाश पर्वत पर स्वर्ग जैसी अनुभूति प्राप्त की।

जागरण संवाददाता, अमरोहा। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लिपुलेख दर्रे के जरिए कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा कर लौटे 48 सदस्यीय जत्था का औद्योगिक नगरी में स्वागत किया गया। यहां पर जत्थे में शामिल लोगों ने कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा का वर्णन करते हुए अनुभव साझा किया। बोले, यात्रा बेहद अलौकिक रही।
बता दें कि दिल्ली से आठ जुलाई को 48 तीर्थयात्रियों के जत्थे का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव/आईएफएस केडी देवल ने किया। सभी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को सकुशल पूरा किया।
यात्रा पूरी कर लौटते समय तीर्थयात्रियों का जत्था गजरौला में शुक्रवार की शाम को हवेली होटल में रूका। यहां पर उनका स्वागत भी किया गया।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए संयुक्त सचिव केडी देवल ने बताया कि यह तीर्थयात्रा बहुत ही अद्भुत अनूभूति प्रदान करने वाली रही। 18 दिन की यात्रा में कैलाश पर्वत पहुंचकर मानों स्वर्ग जैसी अनूभूति प्राप्त हुई।
भगवान शंकर के निवास स्थल पर पहुंचकर भक्ति की आत्मिक अनुभूति मिली। डोलमापास की परिक्रमा की, मनासरोवर झील पर पहुंचकर हवन किया और परिक्रमा की।
बोले, भगवान शिव कैलाश मानसरोवर में ही निवास करते हैं। यहां पर हमारा और सभी तीर्थयात्रियों का पहुंचना बहुत ही आत्मिक अनुभूति का अवसर रहा। जत्थे के पहुंचने की सूचना पर पुलिस भी मुस्तैद रही।
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