बुझ गए घर के चिराग, गंगा में डूबे तीन भाइयों में से दो के मिले शव; तीसरा हो गया आंखों से ओझल
अमरोहा के तीन भाई तिगरीधाम में मुंडन संस्कार में शामिल होने आए थे जहां वे गंगा में डूब गए। पांच दिन बाद दो भाइयों के शव बरामद हुए हैं जबकि तीसरा अभी भी लापता है। तिगरी के गोताखोरों ने शवों को निकाला जबकि पीएसी और एसडीआरएफ को सफलता नहीं मिली। शव मिलने के बाद परिवार में कोहराम मच गया। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

अमरोहा के मुहल्ला दानिशमंदान में रामपाल सिंह का परिवार रहता है। उनके चार पुत्र हैं। 27 अगस्त को सबसे बड़े पुत्र आकाश के बेटे विनायक का मुंडन संस्कार कार्यक्रम था। इसलिए सभी स्वजन और रिश्तेदार तिगरीधाम में आए थे। इनमें आकाश के तीनों छोटे भाई 27 वर्षीय ओमकार, 23 वर्षीय बंटी और 18 वर्षीय अनुज भी थे। दोपहर तीन बजे तीनों सगे भाई एक साथ गंगा में नहाने के लिए चले गए थे औऱ फिर बह गए। उधर, शाम तक स्वजन भी घटना से बेखबर रहे। उन्होंने सोचा शायद तीनों तिगरी गांव में स्थित रिश्तेदारी में चले गए हैं। लेकिन शाम छह बजे स्वजन ने रिश्तेदारी में पता किया तो वहां पर नहीं पहुंचाने की जानकारी मिली तो होश उड़ गए।
तीनों भाइयों के कपड़े भी गंगा किनारे एक तख्त पर रखे हुए मिले थे। तभी से लगातार पीएसी और गोताखोर तलाश कर रहे हैं। सोमवार को छठे दिन दो भाई ओमकार और बंटी का शव तिगरी गांव के गोताखोर अमित कुमार, विंटर ठाकुर, दिनेश पंडित, लोकेश को गंगा में उतराते मिल गए। गोताखोरों ने काफी मशक्कत के बाद शव को बाहर निकाला। गोताखोर लोकेश ने बताया कि इन शवों के मिलने से पहले तीसरा शव भी गंगा में उतराते हुए दिखा था। जब तक वे पहुंचते, तब तक वह आंखों से ओझल हो गया। अनुमान है कि वह आगे की तरफ को बह गया है। प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि दो शव मिल गए हैं। जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया है।
जहां डूबे थे, वहीं उतराते मिले दोनों के शव
गोताखोर ओमपाल सिंह ने बताया स्वजन के मुताबिक जिस स्थान पर यह तीनों भाई डूबे थे। सोमवार को दो भाइयों के शव उसी स्थान के पास में उतराते हुए मिले हैं। इससे यह अनुमान है कि तीनों के शव मिट्टी में दब गए थे। उधर, बरामद हुए शवों की स्थिति को देखकर लोग खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। क्योंकि शव गल चुके थे और बहुत ज्यादा दुर्गंध उठ रही थी।
मां-बाप और बहन का रो-रोकर बुरा हाल
दरअसल,जिस दिन से तीनों भाई गंगा में डूबे थे। उसी दिन से मां-बाप और बहन गंगा किनारे पर डेरा जमाए बैठे थे। मां की आंखों में लाडलों को देखने की आस लहरों के साथ उफना रही थीं और पिता भी बेसुध रहते थे। बहन भी भाइयों के लिए बेताब नजर आती थी। सोमवार को स्वजन अपने घर अमरोहा गए थे कि उनके पीछे दोनों भाइयों के शव मिल गए। जानकारी मिलने पर स्वजन रोते बिलखते हुए मौके पर पहुंचे। मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल था और बहन भी दहाड़ मार रही थी। लोगों ने उन्हें संभाला।
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