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    यूपी के इस जिले में डेंगू से 15 लोग पीड़ित, ब्लीडिंग व 30 हजार से कम प्लेटलेट्स पर खतरा

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 11:40 AM (IST)

    अमरोहा जिले में डेंगू बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है, जिसमें 15 मामलों की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने मुफ्त जांच और उपचार की व्यवस्था की है। प्लेटलेट्स घटने पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अस्पतालों में प्लेटलेट्स चढ़ाने की सुविधा उपलब्ध है। सीएमओ ने लोगों से सरकारी अस्पताल में जांच कराने और निजी लैब से बचने की सलाह दी है। डेंगू से बचाव के लिए सावधानी बरतने की अपील की गई है।

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    जागरण संवाददाता, अमरोहा। जिले में डेंगू बुखार ने तेजी से दस्तक दी है। एलाइजा जांच में अभी तक 15 लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। उपचार के बाद सभी डेंगू पीड़ित स्वस्थ हो गए हैं। बहरहाल, डेंगू का खतरा बरकरार है। इसमें तेजी के साथ मरीजों के शरीर की प्लेटलेट्स घटती है।

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    लेकिन, खतरा तब अधिक होता हे जब मरीज को ब्लीडिंग व 30 हजार से कम प्लेटलेट्स रह गई हों। इससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि, जिला संयुक्त चिकित्सालय में मुफ्त प्लेटलेट्स चढ़ाने और उपचार की पूरी व्यवस्था है।

    मौसम के बदलाव के साथ डेंगू बुखार भी फैल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो एलाइजा जांच में 15 लोगों में डेंगू बुखार की पुष्टि हो चुकी है। पहली एनएसवन जांच में करीब 45 लोग डेंगू आशंकित निकल चुके हैं, जो उपचार के बाद स्वस्थ भी हो चुके हैं। 15 पीड़ित भी सही हो गए हैं।

    इ बुखार की खास बात यह है कि पीड़ित मरीजों के शरीर की तेजी से प्लेटलेट्स गिरती हैं। सही समय पर उपचार व खानपीन से बढ़ जाती है। लेकिन, मरीज व उसके स्वजन शरीर की प्लेटलेट्स गिरने से घबरा जाते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि इसमें मरीज को घबराने की जरूरत नहीं है।

    अगर मरीज के शरीर में 30 हजार तक प्लेटलेट्स हैं तो वह उपचार के बाद स्वस्थ हो जाएगा। यदि मरीज को ब्लीडिंग आ रही है और उसके शरीर की प्लेटलेट्स 30 हजार से नीचे आ गई हैं तो खतरा हो सकता है। इसके लिए मरीज को तुरंत जिला संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराकर इलाज शुरू कराना होगा। साथ ही नियमित पैरासिटामोल, ओआरएस घोल व खूब पानी पिलाना होगा। चिकित्सालय में उपचार पूरी तरह मुफ्त है और प्लेटलेट्स चढ़ाने की भी व्यवस्था है।

    यहां स्थित जिला ब्लड बैंक में ताजा खून से प्लेटलेट्स तैयार की जाती हैं। मरीज के स्वजन बदले में अपना ब्लड देकर प्लेटलेट्स चढ़वा सकते हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू मरीजों को भर्ती कराने के लिए जिला संयुक्त चिकित्सालय में दस बेड, सीएचसी स्तर पर छह-छह और पीएचसी स्तर पर चार-चार बेड का डेंगू वार्ड बनवाया है। जिसमें मरीज के लिए मच्छरदानी की भी सुविधा दी है।

    आरोग्य मंदिरों पर भी डेंगू-बुखार जांच की सुविधा

    जिला संयुक्त चिकित्सालय समेत समस्त सीएचसी-पीएचसी में डेंगू व मलेरिया बुखार आशंकितों की पहली एनएसवन जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है। इसमें पहली, दूसरी और तीसरी जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर अंतिम एलाइजा की जांच होती है। मुहल्ला कोट स्थित एमसीएच विंग लैब में एलाइजा जांच भी मुफ्त की जाती है।

    डेंगू-मलेरिया के फैलते ही निजी लैब भी सक्रिय

    इस समय डेंगू, मलेरिया, टायफाइड व वायरल फीवर की चपेट में लोग आ रहे हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में निजी लैब संचालक भी सक्रिय हो गए हैं। जिन्होंने गली-मुहल्लों में अपनी लैब खोल रखी हैं। उनका झोलाछापों से सीधा गठजोड़ है। झोलाछाप, मरीजों को डेंगू की जांच कराने के लिए निजी लैब पर भेज देते हैं। निजी लैब संचालक उनकी उल्टी सीधी जांच रिपोर्ट बनाकर डेंगू की पुष्टि कर देता है। जिससे मरीज घबरा जाता है। सीएमओ डा. सत्यपाल सिंह ने बताया कि मरीज किसी के चक्कर में न पड़े। सरकारी अस्पताल में आकर अपनी मुफ्त डेंगू बुखार की जांच कराए।

    डेंगू बुखार के लक्षण

    अचानक तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मिचलाना, उल्टी आना, दस्त होना, त्वचा पर लाल चकत्ते (जो बुखार आने के दो से पांच दिन बाद दिखाई देते हैं), हल्का रक्तस्त्राव (जैसे नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना या आसान चोट लगना)

    डेंगू से बचाव के उपाय-

    • घर के अंदर मच्छरदानी का प्रयोग करें।
    • जब बाहर हों तो पूरी बाजू की शर्ट अवश्य पहनें।
    • घर के अंदर एयर कंटीशनिंग का प्रयोग करें।
    • खिड़की व दरवाजे की स्क्रीन सुरक्षित हो। छिद्रों से मुक्त हों।
    • अगर आपको डेंगू के लक्षण है तो डाक्टर से बात कर उपचार शुरू करें।
    • मच्छरों को कम करने के लिए अपने आस-पास एंटी लार्वा का छिड़काव कराएं।
    • किसी भी बर्तन में पानी भरकर न रखें। उसे बदलते रहें।

    डेंगू-मरीज के शरीर में तेजी से प्लेटलेट्स गिरती है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। वह नियमित इलाज से पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे। अगर ब्लीडिंग के साथ मरीज के शरीर में 30 हजार से कम प्लेटलेट्स हैं तो खतरा है। विभाग के पास प्लेटलेट्स चढ़ाने की भी मुफ्त व्यवस्था है।

    -डा. सत्यपाल सिंह, सीएमओ