अमरोहा के तिगरी मेले में भी अपनी फितरत से बाज नहीं आए लोग, तंबू-दरी, सोफा सेट तक श्रद्धालु ले गए अपने साथ
Amroha Tigri Fair 2022 इंसान की एक फितरत होती है कि जहां जाते हैं वहां उनको प्रयोग के लिए मिली चीजें वे अपने साथ लेकर घर चले जाते हैं। जैसे होटल में मिले साबुन-शैंपू ट्रेन या हवाई जहाज में मिली एक्सेसरीज आदि।

जागरण संवाददाता, अमरोहा। Amroha Tigri Fair 2022 : इंसान की एक फितरत होती है कि जहां जाते हैं वहां उनको प्रयोग के लिए मिली चीजें वे अपने साथ लेकर घर चले जाते हैं। जैसे होटल में मिले साबुन-शैंपू, ट्रेन या हवाई जहाज में मिली एक्सेसरीज आदि। जबकि इनको प्रयोग करके फेंक देना होता है या कुछ सामग्री ऐसी होती है जिन्हें वापस करना होता है।
लेकिन, मनुष्य अपनी फितरत के चलते इन्हें अपने साथ लेकर चला जाता है। यह केवल होटल, ट्रेन या हवाई जहाज में मिली चीजों को लेकर नहीं बल्कि धार्मिक जगहों पर भी होता है। ताजा मामला अमरोहा के ऐतिहासिक तिगरी मेले का है। इस बार तंबू व नलों के ठेकेदार को भारी नुकसान हुआ है। क्योंकि श्रद्धालु ठेकेदारों का करीब 13 लाख रुपये का सामान अपने साथ में ले गए हैं।
ठेकेदारों ने अफसरों बताई बात
इस नुकसान से ठेकेदार अफसरों को अवगत कराएंगे। फिलहाल सामान को एकत्र करने का काम चल रहा है। मेरठ से आए तंबू के ठेकेदार वकील अहमद ने बताया कि इस बार मेले में 1450 तंबू लगे थे। जिनमें छोलदारी, ईपी और स्विच काटेज शामिल हैं। लेकिन, कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के बाद जब श्रद्धालुओं की वापसी हुई तो ठेकेदार ने अपना सामान भी जुटाना शुरू कर दिया।
तंबू भी अपने साथ ले गए
गुरुवार को अधिकांश सामान एकत्र करने के बाद गणना की गई तो आवंटित हुए 1450 में से 185 तंबू गायब मिले। मसलन, श्रद्धालु उन्हें जमा करने के बजाय अपने साथ ही ले गए। इसके अलावा 350 दरी, तीस सोफे सेट की कुर्सी आदि सामान भी ले गए। इन सामान की कीमत लगभग सात लाख रुपये है।
नल तक उखाड़ ले गए श्रद्धालु
उधर, नलों के ठेकेदार शिवराम सिंह ने बताया कि पूरे मेला स्थल पर 1408 नल लगाए थे लेकिन, अब उन्हें जुटाया गया तो 300 से अधिक नल गायब मिले। एक नल की किमत दो हजार है, तो सीधा छह लाख रुपये का नुकसान हुआ है। दोनों ठेकेदारों को 13 लाख रुपये का सामान गायब हुआ है।
नुकसान की कौन करेगा भरपाई
अब इस नुकसान से ठेकेदार अधिकारियों को अवगत कराएंगे। फिलहाल सामान को एकत्र कर ठिकाने पर पहुंचने का कार्य चल रहा है। ठेकेदारों ने बताया कि इस नुकसान की कोई भरपाई नहीं होती है।
तंबू आवंटित करने को बनी थी टीम
मेले में लगने वाले तंबुओं को आंवटित करने की जिम्मेदारी यूं तो जिला पंचायत को सौंपी गई थी मगर, उस पर आखिरी मोहर लगाने के लिए एक प्रशासनिक अधिकारियों की टीम का भी गठन किया गया था। जिसमें सीडीओ व दो एसडीएम शामिल थे। उन्हीं ही संस्तुति के बाद तंबू ठेकेदार सामान देता था।
क्या कहते हैं अधिकारी
अपर मुख्य अधिकारी हरमिक सिंह ने बताया कि ठेकेदारों का जो सामान मेला स्थल से गायब हो जाता है। उसकी भरपाई के लिए कोई पैसा उन्हें नहीं दिया जाता है। हालांकि श्रद्धालुओं को ऐसा नहीं करना चाहिए। जो, सामान लिया जाता है। उसी वापस करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होती है।

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