IPS अमित कुमार आनंद साइबर अपराधों के प्रति कर रहे जागरूक, देश भर में तैयार किए 500 साइबर योद्धा
अमरोहा के पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने साइबर अपराधों से बचाव के लिए एक अनूठी पहल की है। उन्होंने साइबर सिक्योरिटी इंटर्नशिप प्रोग्राम के माध्यम से 22 राज्यों के 500 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित कर साइबर योद्धा बनाया। ये योद्धा अब स्कूलों और कॉलेजों में कार्यशालाएं आयोजित कर 26 हजार से अधिक लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य साइबर ठगी को कम करना है।

आसिफ अली, अमरोहा। आम आदमी हो या खास... साइबर अपराध से बचना सभी के लिए चुनौती है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट में 31.2 प्रतिशत साइबर अपराध बढ़ने और 70 फीसद आनलाइन धोखाधड़ी के केस समस्या की भयावहता बताने को काफी हैं। ऐसे में साइबर अपराध होने के बाद ‘पोस्टमार्टम’ की जगह लोगों को जागरूक कर बचाव यानी ‘प्री-मार्टम’ करने की पहल की आइपीएस और उप्र के अमरोहा जिले के पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने। सोच थी, केस हल करने के साथ लोगों को साइबर ठगी से बचाया जाए।
उन्होंने लोगों को जागरूक करना शुरू किया। हालांकि, ये प्रयास सीमित थे और लक्ष्य था अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना। ऐसे में उपाधीक्षक अंजलि कटारिया के साथ मिलकर देश के विभिन्न साइबर विशेषज्ञों से बात की। अमरोहा पुलिस साइबर सिक्योरिटी इंटर्नशिप प्रोग्राम नाम से राष्ट्रीय कार्यशाला रखी। अमरोहा पुलिस पेज के जरिए जानकारी विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के जरिए विभिन्न राज्यों व वहां के तकनीक से जुड़े संस्थानों तक जानकारी भेजी।
इस कोर्स के लिए चार हजार युवाओं ने आनलाइन आवेदन किए। इसमें उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, केरल, असम, झारखंड, पंजाब, जम्मू कश्मीर समेत 22 राज्यों से 500 से ज्यादा युवाओं को आधुनिक अपराध के विरुद्ध प्रशिक्षित कर साइबर योद्धा बनाया गया। लाइव स्ट्रीमिंग में अन्य युवाओं ने भी आनलाइन हिस्सा लेकर साइबर सुरक्षा के गुर सीखे। अब ये साइबर योद्धा विभिन्न राज्यों के स्कूल-कालेजों व अन्य निजी संस्थानों में 185 से अधिक कार्यशाला कर 26 हजार से अधिक लोगों को जागरूक कर आनलाइन धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने में जुटे हैं।
वाट्सएप ग्रुप पर नया तरीका तुरंत होता साझा
एसपी अमित कुमार आनंद बताते हैं साइबर ठगी पूरी तरह खत्म नहीं कर सकते। इसलिए मेरा लक्ष्य अधिकांश लोगों को जागरूक कर इसे न्यूनतम स्तर तक लाना है। इसके लिए एक वाट्सएप ग्रुप बनाया है। जिसमें साइबर एक्सपर्ट व पुलिस अधिकारी भी जुड़े हैं। नए तरीके का साइबर अपराध होने पर इसकी जानकारी व रोकने के तरीके तत्काल ग्रुप पर साझा होते हैं।
प्रदेश के थानों में ई-ऑफिस प्रणाली भी करा चुके लागू
मूल रूप से नोएडा निवासी अमित कुमार आनंद ने ही 11 मार्च 2023 को सिद्धार्थनगर में तैनाती के दौरान दो थानों से ई-आफिस प्रणाली शुरू की थी। फिर कन्नौज में तैनाती के दौरान 11 नवंबर 2023 को जिले का पुलिस विभाग ई-आफिस प्रणाली से जोड़ा। डीजीपी ने प्रशंसा चिह्न देकर सम्मानित भी किया। बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में लागू कराया।
साइबर ठगी से बचाव के लिए बताये ये तरीके
- बीच-बीच में अपने फोन, लैपटाप का इंटरनेट कनेक्शन बंद रखें।
- हर आनलाइन खाते के लिए अलग-अलग व कठिन पासवर्ड बनाएं।
- जन्मदिन, नाम या आसानी से अनुमान लगाए जाने वाले पासवर्ड न हों।
- मल्टी-फैक्टर आथेंटिकेशन रखें। इसमें पासवर्ड के बावजूद ओटीपी मांगता है।
- संदिग्ध लिंक और ईमेल या अटैचमेंट पर क्लिक न करें।
- अपने आपरेटिंग सिस्टम, वेब ब्राउजर और अन्य सभी साफ्टवेयर अपडेट रखें।
- सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करते समय लेनदेन व खुफिया बातचीत न करें।
केस- एक
दिल्ली के व्यापारी आकाश के पास साइबर अपराधी ने फेसबुक पर काल कर उनकी आपत्तिजनक फोटो भेजी। इसे वायरल कर धमकाया और दो लाख रुपये मांगे। व्यापारी ने कार्यशाला अटैंड कर चुके दोस्त अमित से बात कर शिकायत फेसबुक पर की। जिसके बाद वह अकाउंट ब्लाक कर दिया गया।
केस- दो
साइबर अपराधियों ने अगस्त 2025 में अमरोहा निवासी मोहम्मद अकरम का मोबाइल हैक कर लिया था। अकरम को कार्यशाला में बताया गया था कि कोई साइबर ठगी होने का अंदेशा होने पर तत्काल इंटरनेट बंद कर देना है। उन्होंने ऐसा ही किया और ठगी का शिकार होने से बच गए।
साइबर अपराध के इन नए तौर तरीकों से किया अपडेट
रैंसमवेयर : इसमें साइबर अपराधी कंप्यूटर सिस्टम या स्मार्ट फोन का डाटा हथिया लेते हैं। इसे वापस देने के बदले रुपये मांगते हैं।
फिशिंग : ठग बैंककर्मी अथवा अधिकारी बनकर ईमेल, टेक्स्ट मैसेज या वेबसाइट से संवेदनशील जानकारी (क्रेडिट कार्ड नंबर, पासवर्ड) चुराते हैं।
मैलवेयर : इसमें डिवाइस (फोन, कंप्यूटर, लैपटाप आदि) से डाटा चुरा सकता है।
पहचान की चोरी: किसी व्यक्ति की निजी जानकारी (जैसे क्रेडिट कार्ड या व्यक्तिगत तस्वीरों) का इस्तेमाल उसकी अनुमति के बिना धोखाधड़ी के लिए करते हैं।
मैन-इन-द-मिडिल: इसमें अपराधी दो पक्षों के बीच संचार से गुप्त रूप से जानकारी चुरा लेते हैं। यह अक्सर असुरक्षित सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क पर होता है।
एआइ जनित अपराध: इसमें किसी की फोटो, वीडियो को एआइ के जरिए अश्लील बनाकर उसे वायरल करने की धमकी देकर रकम ठगी जाती है।
एसपी अमित कुमार आनंद की पहल पर अमरोहा पुलिस साइबर सिक्योरिटी इंटर्नशिप प्रोग्राम एक अच्छी पहल रही। साइबर योद्धा अब तक हजारों लोग जागरूक कर चुके। 15 दिवसीय कार्यशाला के सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।- मुनिराज जी, डीआइजी, मुरादाबाद
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