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अमरोहा कांड : फांसी के फंदे तक पहुंची शबनम-सलीम के खूनी इश्क की दास्तां, पढ़िये पूरी कहानी...

14 अप्रैल 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर शबनम ने माता-पिता और मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों का कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुला दिया था।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 09:55 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 02:53 PM (IST)
अमरोहा कांड : फांसी के फंदे तक पहुंची शबनम-सलीम के खूनी इश्क की दास्तां, पढ़िये पूरी कहानी...
अमरोहा कांड : फांसी के फंदे तक पहुंची शबनम-सलीम के खूनी इश्क की दास्तां, पढ़िये पूरी कहानी...

अमरोहा, जेएनएन। शबनम और सलीम के बेमेल इश्क की खूनी दास्तां फांसी के फंदे के बेहद नजदीक पहुंच चुकी है। 14 अप्रैल, 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर माता-पिता और मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों का कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुलाने वाली शबनम की फांसी की सजा को राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा है। शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया गया है। ऐसे में अब उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है।

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शबनम और सलीम को निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से फांसी की सजा सुनवाई जा चुकी है। दोनों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर फांसी माफ करने की गुहार लगाई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ने दोनों दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

अमरोहा जिले से हसनपुर क्षेत्र के गांव के बावनखेड़ी में रहने वाले शिक्षक शौकत अली के परिवार में पत्नी हाशमी, बेटा अनीस, राशिद, पुत्रवधु अंजुम, बेटी शबनम व दस महीने का मासूम पौत्र अर्श थे। इकलौती बेटी शबनम को पिता शौकत अली ने लाड़-प्यार से पाला था। बेहतर तालीम दिलाई। एमए पास करने के बाद वह शिक्षामित्र हो गई। इस दौरान शबनम का प्रेम प्रसंग गांव के ही आठवीं पास युवक सलीम से शुरू हो गया। दोनों प्यार में इतना आगे बढ़ गए कि उन्होंने सामाजिक तानाबाना छिन्न-भिन्न कर दिया। दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन शबनम सैफी तो सलीम पठान बिरादरी से था। लिहाजा शबनम के परिवारीजन को यह मंजूर नहीं हुआ।

परिवार के खिलाफ जाकर दोनों रात को चोरी-छिपे मिलने लगे। शबनम रात को प्रेमी सलीम को घर बुलाने लगी। इसके लिए वह परिवारीजन को खाने में नींद की गोलियां देती थी। इश्क को परवान न चढ़ता देख दोनों ने ऐसा फैसला लिया जिसने देश को हिलाकर रख दिया। 14 अप्रैल, 2008 की रात को शबनम ने प्रेमी सलीम को घर बुलाया। इससे पहले उसने परिवारीजन को खाने में नींद की गोली खिलाकर सुला दिया था। उस दिन शबनम की फुफेरी बहन राबिया भी उनके घर आई हुई थी। रात में शबनम व सलीम ने मिलकर नशे की हालत में सो रहे पिता शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम, फुफेरी बहन राबिया व दस माह के भतीजे अर्श का गला काट कर मौत की नींद सुला दिया।

घटना को अंजाम देकर सलीम तो वहां से भाग गया था, लेकिन शबनम रातभर घर में ही रही। तड़के में उसने शोर मचा दिया कि बदमाश आ गए हैं। शोर सुनकर गांव के लोग मौके पर पहुंचे और वहां का नजारा देख पैरों तले जमीन खिसक गई। दुमंजले पर बने तीन कमरों में मासूम समेत सभी सात लोगों के गला कटे शव पड़े थे। दिन निकलने तक गांव बावनखेड़ी देशभर में छा गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती भी गांव पहुंची थीं। घटना के हालात देखते हुए शबनम पर ही शक की सुई गई।

घटना के चौथे दिन पुलिस ने शबनम व सलीम को हिरासत में ले लिया। इससे पहले उसके मोबाइल की कॉल डिटेल से सारा राजफाश हो गया था। दोनों ने पूछताछ के दौरान घटना भी कबूल कर ली थी। सलीम ने हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी गांव के तालाब से बरामद करा दी थी। स्थानीय अदालत ने भी दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी। सर्वोच्च अदालत ने भी इस सजा को बरकरार रखा तो राष्ट्रपति ने भी दया याचिका खारिज कर दी। यानि सलीम व शबनम के खूनी इश्क की कहानी फांसी के फंदे तक पहुंच गई है।

घटना के समय दो माह की गर्भवती थी शबनम

सलीम व शबनम लगभग हर रोज मिलते थे। दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे। जिस दिन दोनों ने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया उस समय शबनम दो माह की गर्भवती थी। उसके पेट में सलीम का बच्चा पल रहा था। ऐसी हालत में भी शबनम के हाथ अपने दस माह के मासूम भतीजे अर्श का गला काटते हुए नहीं कांपे। बाद में शबनम ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया। उसका नाम मुहम्मद ताज रखा गया।

जेल में दिया था बेटे को जन्म

शबनम ने मुरादाबाद जेल में ही बेटे को जन्म दिया था। जेल में साथ रखने के साथ ही उसकी बहुत अच्छे से देखभाल करती थी। सात साल की उम्र होने पर शबनम के एक दोस्त ने उसे गोद ले लिया था, जो आज भी उसकी देखभाल कर रहा है। अक्सर शबनम से जेल में मिलने के लिए उसका बेटा आता है।

घर में मिली थी नशे की दस गोलियां

विवेचक आरपी गुप्ता को घर में नशे की दस गोलियां मिली थीं। फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सभी मृतकों को नशा दिए जाने की पुष्टि हुई थी। इसके साथ ही उन्हें घर के किचन में रखी चाय की पत्ती के डिब्बे में एक सिम मिला था। उसकी कॉल डिटेल में घटना वाली रात को सलीम के पास 50 से अधिक कॉल किए जाने की जानकारी हुई थी। परिवार के सभी सदस्यों को नशा दिए जाने के साथ केवल शबनम का बेहोश न होना तथा सलीम को 50 से अधिक कॉल किए जाने को आधार बनाकर पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया था।

गांव में बेटी का नाम नहीं रखते शबनम

बावनखेड़ी कांड के बाद यह गांव सारे देश में बदनाम हुआ। इकलौती बेटी द्वारा परिवार के साथ सदस्यों की हत्या को लेकर इस गांव के देश के लोग जान गए। मास्टर शौकत सैफी के घर में शबनम इकलौती बेटी थी। इस घटना के बाद गांव के लोगों को शबनम से इतनी नफरत हो गई कि अब इस गांव में कोई अपनी बेटी का नाम शबनम रखना नहीं चाहता।

आरा मशीन पर मजदूरी करता था सलीम

शबनम का घर गांव में सड़क किनारे है। अतरासी-हसनपुर रोड पर स्थित शबनम के घर के सामने एक आरा मशीन है। सलीम उसी आरा मशीन पर मजदूरी करता था। यहां से दोनों की प्रेम कहानी शुरू हुई थी। शबनम का परिवार शिक्षित व संपन्न था। जबकि सलीम के परिवार की गिनती मध्यम वर्ग में होती है।

रामपुर जेल में फूट फूटकर रो रही शबनम

पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के रुख की सूचना मिलने पर शबनम रामपुर जेल में फूट फूटकर रो रही है। सूत्रों के मुताबिक दो दिन पहले शबनम को सुप्रीम कोर्ट में दायर उसकी पुर्नविचार याचिका पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुनवाई किए जाने की वकील के माध्यम से जानकारी होने के बाद से शबनम खूब रो रही है। अब उसे यह पछतावा हो रहा है कि अपने घर वह कैसी जिंदगी गुजार रही थी तथा जेल की असली जिंदगी कैसी हो गई है। दरअसल, मुरादाबाद जेल में शबनम की कुछ सहेली भी हो गई थी, लेकिन जब से उसे रामपुर जेल में शिफ्ट किया गया है वह अकेलापन भी महसूस कर रही है। फांसी का खतरा भी उसे सोने नहीं दे रहा है।


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