OTP ना लिंक, इस जुगाड़ से बैंक खाते खाली कर रहे साइबर अपराधी, तरीका जानकर हिल जाएगा दिमाग
अमरोहा के नौगावां सादात में एक व्यक्ति के खाते से साइबर ठगों ने नौ लाख रुपये निकाल लिए। पीड़ित का सिम कार्ड बंद हो गया था और जब उसने उसे फिर से चालू कराया तो उसे इस धोखाधड़ी का पता चला। साइबर अपराधी अब नए तरीके अपना रहे हैं जिसमें वे बिना ओटीपी के ही खातों से पैसे निकाल रहे हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, अमरोहा । नौगावां सादात के गांव कालाखेड़ा निवासी समरपाल सिंह अमरोहा ब्लाक में ब्लाक कोआर्डिनेटर के पद पर तैनात हैं। अगस्त में उनका सिम कार्ड अचानक बंद हो गया। आठ दिन की भागदौड़ के बाद जब उन्होंने फिर से वही मोबाइल नंबर चालू कराया तथा बैंक खाता चेक किया तो होश उड़ गए। उनके खाते से नौ लाख रुपये निकाल लिए गए थे।
अब यह पैसे कैसे निकले, किसने निकाले यह समझ से परे था। हालांकि उन्होंने साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है तथा पुलिस जांच कर रही है। बैंक खातों से अचानक पैसे गायब होने का यह पहला मामला नहीं है। तमाम ऐसे लोग हैं जिनके पास न तो ओटीपी आया और न ही कोई लिंक। जिसके झांसे में आकर वह पैसे गवां देते। हैरत की बात तो यह है कि साइबर अपराधी अब सीधे तौर पर खातों पर हमला कर उन्हें खाली कर रहे हैं। इससे निपटना पुलिस के सामने बड़ी चुनौती है।
ऐसे कर रहे खाते खाली
दरअसल साइबर अपराधी अब तू डाल-डाल, मैं पात-पात की ट्रैक पर हैं। उनके लिए नौकरी लगवाने, लाटरी लगने, हनी ट्रैप, शेयर मार्किट में पैसा लगाने या एपीके फाइल भेज कर मोबाइल हैक कर ठगी करने के तरीके पुराने हो गए हैं। अब वह न तो लिंक भेज रहे हैं तथा न ही कोई ओटीपी। उसके बाद भी खातों से पैसे निकाल रहे हैं। यह वास्तव में चौंकाने वाला व चिंतनीय विषय है। हालांकि जिले में दो महीना के भीतर सामने आए ऐसे चार मामलों की प्राथमिकी साइबर थाने में दर्ज हो चुकी है।
अभी तक की पड़ताल में भी चौंकाने वाली बात सामने आई है। साइबर अपराधियों ने ब्लाक कोआर्डिनेटर के मोबाइल सिम का क्लोन सिम तैयार कर उससे नेट बैंकिंग शुरू कर ली थी। जिसके माध्यम से उन्होंने खाते से आठ दिन में नौ लाख रुपये निकाले थे। अब सवाल यह है कि बगैर आधार कार्ड के साइबर अपराधियों ने उनके नाम से क्लोन सिम कार्ड कैसे लिया?
निशाने पर रजिस्ट्रार कार्यालय की वेबसाइट
इस बारे में साइबर थाना प्रभारी जितेंद्र बालियान बताते हैं कि साइबर अपराधियों के निशाने पर अब रजिस्ट्रार कार्यालय की वेबसाइट है। चूंकि वह सीधे तौर पर खुल जाती है तथा वहां से किसी भी जमीन के बैनामे की प्रति भी देखी जा सकती है। वहां खरीदार व विक्रेता के आधार कार्ड व अंगूठे के निशान भी लगे होते हैं। ऐसे में साइबर अपराधी वहां से आधार कार्ड व अंगूठे के निशान चोरी कर रहे हैं।
बताया कि अंगूठे के निशान का क्लोन तैयार कर आधार कार्ड नंबर के जरिए वह जनसेवा केंद्र से खाते से पैसे निकाल रहे हैं। वहीं धोखाधड़ी के इस गैंग में शामिल सिम विक्रेता की मदद से मोबाइल सिम का क्लोन (उसी नंबर की दूसरा सिम कार्ड) तैयार कर आनलाइन बैंकिंग शुरू कर लेते हैं। समरपाल सिंह के मामले में भी क्लोन सिम के माध्यम से धोखाधड़ी हुई थी।
इन लोगों के साथ भी हुई इसी तरह से धोखाधड़ी
दो महीना के भीतर केवल समरपाल सिंह ही नहीं बल्कि नौगावां सादात के गांव गुलड़िया निवासी जाहिद हुसैन के खाते से 1.63 लाख रुपये, गांव ढकिया चमन निवासी व्यापारी शाह आलम के खाते से 88 हजार रुपये तथा देहात थाना क्षेत्र के गांव मऊ मयचक निवासी
सरफराज के खाते से 3.73 लाख रुपये भी इसी तरह से निकाले गए हैं। उन्हें केवल खाते से पैसे निकाले जाने का मैसेज मिला था। पुलिस इन सभी मामलों की जांच कर रही है।
आधार कार्ड की बायोमैट्रिक करें लाक
आधार कार्ड के माध्यम से होने वाली धोेखाधड़ी से बचने के लिए लोगों को उसकी बायोमैट्रिक लाक करना जरुरी है। साथ ही वर्चुअल आईडी भी बना सकते हैं। उसके बाद वास्तविक व्यक्ति के अलावा कोई उसका प्रयोग नहीं कर सकता।
साइबर एक्सपर्ट मनीष सिरोही बताते हैं कि आधार नंबर धारक यूआईडीएआई वेबसाइट (www.myaadhaar.uidai.gov.in) या एमआधार ऐप के माध्यम से अपना आधार (यूआईडी) लाक कर सकता है। ऐसा करने से आधार संख्या धारक बायोमेट्रिक्स, जनसांख्यिकी और ओटीपी मोडैलिटी के लिए यूआईडी, यूआईडी टोकन और वीआईडी (वर्चुअल आईडी) का उपयोग निजी स्तर पर कर अपने आधार कार्ड को सुरक्षित रख सकता है।
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