अमेठी में प्राइवेट की जगह सरकारी स्कूल में क्यों एडमिशन ले रहे हैं बच्चे, अभिभावकों को भा रही हैं सुविधाएं
अमेठी में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला करा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में अब बेहतर सुविधाएं और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। उच्च प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर एक ऐसा ही उदाहरण है जहां शिक्षकों के अथक प्रयासों से स्कूल की तस्वीर बदल गई है।

आशुतोष तिवारी, रामगंज (अमेठी)। अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजना ज्यादा पसंद करते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त होने की ओर अग्रसर है।
क्षेत्र के कई सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला करा रहे हैं। कई विद्यालय लक्ष्य से ऊपर नामांकन करा चुके हैं।
पहले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की मनमानी व स्कूलों के पठन-पाठन व्यवस्था पर लेाग सवाल उठाते थे। लेकिन, भादर विकास खंड के एक नहीं कई ऐसे विद्यालय हैं, जो किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं हैं।
हम बात कर रहे हैं, उच्च प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर की, जहां शिक्षकों के अथक प्रयास से स्कूल की तस्वीर बदल गई है। विद्यालय की रंग बिरंगी दीवारें, बच्चों के पढ़ने के लिए बेंच व डेस्क से लेकर स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर तक यहां उपलब्ध हैं।
विद्यालय पूरी तरह हाईटेक है। डाइनिंग सेट बनाया गया है, जहां बच्चे इकट्ठा होकर भोजन करते हैं। व्यवस्थित रूप से बैठकर पढ़ते बच्चों को देखकर हर किसी को लगता है कि यह कोई प्राइवेट स्कूल है। शिक्षा की गुणवत्ता की वजह से अब इस स्कूलों की अलग पहचान बन चुकी है।
विद्यालयों की स्थिति पर एक नजर
विकास खंड में कुल 103 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें से 17 कंपोजिट, 67 प्राथमिक, 19 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। शिक्षकों की बात करें तो यहां पर कुल 289 शिक्षक है, 36 अनुदेशक व 102 शिक्षामित्र बच्चों को शिक्षा देते हैं।
सरकारी स्कूलों में हैं अच्छी सुविधाएं
प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त शिक्षा, कपड़ा, भोजन, जूता के साथ किताबें दी जा रही हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई में भी गुणवत्ता आई है, जिसके वजह से आज अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से नाम कटवा कर सरकारी स्कूल में दाखिला करवा रहे हैं।
उच्च प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर की प्रधानाध्यापिका ममता सिंह ने बताया कि हम लोग जब यहां पढ़ाने आए ये तो बहुत स्थिति खराब थी। लगातार मेहनत करने से पढ़ाई भी अच्छी हुई है और अधिकारियों, ग्राम प्रधानों के साथ अन्य लोगों के सहयोग से स्कूल में सारी व्यवस्था करा दी गई है। इसके वजह से बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है।
लक्ष्य से ऊपर चल रहे विद्यालय
स्कूल चलो अभियान के तहत अभिभावकों और छात्रों को जागरूक किया जा रहा है। बीइओ शिवकुमार यादव ने बताया कि शिक्षक अभिभावकों से मिलकर उनके बच्चों का विद्यालयों में दाखिला करा रहे हैं।
ज्यादातर विद्यालयों को जो लक्ष्य दिया गया है, वह भी कई स्कूल पूरा कर लिए है। उच्च प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर, इस्माइलपुर, कंपोजिट विद्यालय सावनगी, प्राथमिक विद्यालय भोजपुर तो लक्ष्य से ऊपर चल रहे हैं।
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