यूपी में मौसम का मिजाज बिगड़ने से बढ़ी किसानों की टेंशन, धान की फसल पर मंडराया संकट
उत्तर प्रदेश में मौसम बदलने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। अचानक तापमान में गिरावट और बारिश होने से धान की फसल पर संकट मंडरा रहा है। किसानों को डर है कि अगर बारिश जारी रही तो उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो सकता है।

मौसम के बिगड़े मिजाज ने किसानों की बढ़ाई चिंता।
संवाद सूत्र, तिलोई (अमेठी)। बीते दिनों मौसम साफ रहा लेकिन, अचानक मौसम के बदले मिजाज ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। बड़ी संख्या में किसानों की धान की फसल खेतों में पकी खड़ी है। तमाम किसानों ने हाथ से धान के फसल की कटाई करवाई है और फसल खेतों में पड़ी है। मौसम को देखते हुए बड़ी संख्या में किसान खेतों में ही कटी फसल की पिटाई कराकर धान के दानों को पुआल से अलग करने में जुटे हैं।
हालांकि हल्की बूंदाबांदी से फसल गीली हुई है, उसके बाद भी फसल खराब होने के डर से किसान खेतों में मंगलवार को धान पीटने में जुटे देखे गए। मौसम खराब होने से किसानों ने दलहनी तिलहनी और आलू की फसल की बुआई का कार्य भी रोक दिया है।
रविवार को मामूली बादल आसमान में दिखे और सोमवार की सुबह घने बादलों ने आसमान में डेरा जमा लिया। सुबह से ही बीच-बीच हल्की बूंदाबांदी होती रही, देर रात थोड़ी तेज बूंदाबांदी हुई। गनीमत रही कि तेज हवा नहीं चली अन्यथा पकी फसल खेतों में गिर जाती।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले शुक्रवार तक मौसम खराब रहने की संभावना जताई गई है। धान की देर से पकने वाली प्रजातियों को छोड़ दें तो लगभग 60 प्रतिशत फसल खेतों में पकी खड़ी है। यही नहीं 15 से 20 प्रतिशत फसल किसानों ने हाथों से काटकर खेतों में छोड़ रखी है।
तेज बरसात हुई तो खेतों में कटी पड़ी फसल को ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। हालांकि मौसम खराब होते ही बड़ी संख्या में किसान खेतों में ही कटी फसल को पीटकर धान की फसल निकालने की जुगत में लग गए हैं।
मौसम के बिगड़े मिजाज को देखते हुए किसान भाई हाथों से धान की कटाई रोक दें। फसल यदि ज्यादा पकी है, तो कंबाइन मशीन से कटाई करा लें। यदि सरसों, चना, मटर, आलू की बोआई करने का विचार बना रहे हैं तो शुक्रवार तक मौसम के रुख का इंतजार अवश्य कर लें। तब तक बोआई न करें। हालांकि स्थानीय मौसम की भविष्यवाणी में तेज बरसात होने की संभावना नहीं है। फिर भी मौसम बदलने का इंतजार अवश्य कर लें। -डॉ. लाल पंकज सिंह, कृषि वैज्ञानिक फसल सुरक्षा, केवीके कठौरा।

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