जिस तट पर श्रीराम ने किया विश्राम, वही स्थान तलाश रहा अपनी पहचान
अमेठी प्रभु श्रीराम ने वन गमन के समय लक्ष्मण व सीता के साथ रामघाट पर विश्राम किया था। वहीं पर

अमेठी : प्रभु श्रीराम ने वन गमन के समय लक्ष्मण व सीता के साथ रामघाट पर विश्राम किया था। वहीं पर स्नान भी किए थे। श्रीराम का खड़ाऊं लेकर चित्रकूट से अयोध्या वापस आते समय भरत ने भी मालती नदी के रामघाट पर स्नान कर पूजन अर्चन किया था। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आसपास के लोग यहां नदी में स्नान, ध्यान व पूजन करते हैं। पर, इस घाट का अस्तित्व मिटने की ओर है। उसकी पहचान खत्म होती जा रही है। घाट पर अव्यवस्था व्याप्त है। चारों ओर गंदगी की भरमार है। रामघाट पर अंत्येष्टि के लिए वर्ष भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। मालती नदी की उचित देखभाल और संरक्षण न होने से स्थिति दयनीय होती जा रही है। नदी में जलकुंभी व जंगली घासों का जाल फैलता जा रहा है। जिससे नदी का जल साफ नहीं रह गया है। शव का अंतिम संस्कार करने वाले लोग भी गंदगी के कारण नदी में नहाने से परहेज करते हैं। --------- श्रीराम मंदिर का होगा निर्माण राम घाट सेवा समिति के अध्यक्ष आशुतोष मिश्र ने कहा कि श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन हो गया है। रामघाट पर भव्य मंदिर का निर्माण होगा। इसमें सहयोग के लिए लोग आगे आ रहे हैं। क्या कहते है भक्त करुणेश मिश्र कहते है रामघाट का पौराणिक महत्व है। दशकों से यहां मेला लगता आ रहा है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पहले दूर-दूर से श्रद्धालु आते रहे हैं। घाट और नदी की साफ- सफाई की जरूरत है। संजय सिंह जनप्रतिनिधियों से ऐसे धार्मिक स्थल के विकास के लिए पहल करने की अपेक्षा रखते हैं। अरुण सिंह कहते है कि रामघाट से लोगों की आस्था जुड़ी है, जल पहले की तरह स्वच्छ नहीं रह गया है। वहीं त्रिवेणी तिवारी कहते है यहां की पहचान कायम रखने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। - बीडीओ संग्रामपुर को साफ- सफाई और स्थल के रंगरोगन के लिए ब्लाक की निधि से कार्य करवाने के लिए निर्देशित किया जाएगा। संजीव कुमार मौर्य, संयुक्त मजिस्ट्रेट
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