राजीव गांधी का अमेठी से था अटूट नाता, राजनीति में बड़े-बड़े दिग्गज को पराजित कर बने रहे अजेय योद्धा
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 81वीं जयंती पर अमेठी में उन्हें याद किया गया। अमेठी से उनका गहरा नाता था और लोगों के दिलों में उनके लिए खास जगह थी। प्रधानमंत्री रहते हुए भी अमेठी उनके दिल में बसा था और उन्होंने इसे विकास की प्रयोगशाला बनाया। अमेठी के लोग आज भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हैं।

जागरण संवाददाता, अमेठी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 81वीं जयंती है। अमेठी से राजीव का अटूट कनेक्शन था। युवाओं के साथ बड़े-बूड़े व बच्चे सभी उनके दीवाने थे। 20 अगस्त 1944 को जन्मे राजीव गांधी को आज भी अमेठी के लोग बहुत याद करते हैं। राजीव का नाम आते ही अब भी लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। प्रधानमंत्री रहते हुए भी उनके दिल में अमेठी का ही बसेरा था। उन्होंने देश के विकास की प्रयोगशाला अपनी अमेठी को बनाया।
अमेठी की चुनावी रणभूमि में जहां एक ओर बड़े राजनीतिक योद्धाओं को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभालने अमेठी आए राजीव गांधी को यहां की जनता ने हमेशा सिर माथे बिठाया। वह अमेठी की चुनावी रणभूमि के अजेय योद्धा बने रहे। 1981 से लेकर लेकर निधन तक वह अमेठी के सांसद रहे।
अमेठी से अजेय योद्धा रहे राजीव गांधी
1967 में अमेठी संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ। तब से लेकर अब तक पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ही अमेठी संसदीय राजनीति में ऐसे नेता हैं, जिन्होंने एक के बाद एक लगातार चार चुनाव जीतकर इतिहास रचा। उप चुनाव 1981 के बाद आम चुनाव 1984, 1989 व 1991 में अपने प्रतिद्वंदी को हराकर बड़ी जीत दर्ज की।
गांव-गांव और घर-घर लोकप्रिय रहे राजीव गांधी
अमेठी की राजनीति में राजीव गांधी गांव-गांव लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय रहे। बुजुर्ग कांग्रेस नेता हनुमंत सिंह व बैजनाथ तिवारी बताते हैं कि राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए भी अमेठी में लोगों से बिना किसी प्रोटोकॉल के मिलते थे। उनका स्थान अमेठी की राजनीति में कोई नहीं ले सकता है।
'अमेठी आए और फिर वह यहीं के होकर रह गए'
कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल कहते हैं कि राजीव अपने भाई संजय गांधी के सपनों को पूरा करने के लिए 1981 में अमेठी आए और फिर वह यहीं के होकर रह गए। वरिष्ठ साहित्यकार स्व. जगदीश पीयूष के पुत्र कांग्रेस नेता अनुपम पांडेय कहते हैं राजीव जी के समय में अमेठी विकास की कसौटी का पैमाना बन गई।
उनके समय में बड़े पैमाने पर औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हुआ और कारखानों की स्थापना से देश व दुनिया में अमेठी को एक नई पहचान मिली। लोग आज भी उन्हें याद करते हैं।
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