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बचाओ... बचाओ... अंगीठी से हालत बिगड़ने पर पुलिस ने बचाईं मां-बेटी की जान

अंगीठी के धुएं से कमरे में बेसुध होकर चिल्ला रहीं मां-बेटी की जान सिपाहियों ने शटर और दरवाजा तोड़कर बचाई। उनको बाहर निकाला और उपचार कराया। बाहर निकालने के काफी देर बाद मां-बेटी की स्थिति में सुधार हुआ।

By Jagran NewsEdited By: Anil PandeyPublished: Tue, 10 Jan 2023 01:59 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jan 2023 01:59 PM (IST)
बचाओ... बचाओ... अंगीठी से हालत बिगड़ने पर पुलिस ने बचाईं मां-बेटी की जान
मां बेटी को बचाकर लाए पुलिसकर्मी। जागरण

 जागरण संवाददाता, मेरठ : अंगीठी के धुएं से कमरे में बेसुध होकर चिल्ला रहीं मां-बेटी की जान सिपाहियों ने शटर और दरवाजा तोड़कर बचाई। उनको बाहर निकाला और उपचार कराया। काफी देर बाद मां-बेटी की स्थिति में सुधार हुआ। फैंटम पर तैनात दीवान अवधेश और सिपाही विपिन की ड्यूटी रोहटा रोड पर है। सोमवार रात किशनपुरा मार्केट में आग की सूचना पर दोनों पहुंचे थे।

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आग पर काबू पाने के बाद दोनों लौट रहे थे। जैसे ही कुछ दूर चले तो एक महिला की बचाओ, बचाओ की आवाज सुनाई दी। कलर ज्वेलर्स शोरूम की पहली मंजिल पर बने कमरे में से आवाज आ रही थी। ऊपर जाने के लिए जीना था, जिस पर शटर लगा था। दोनों ने शटर तोड़ा और ऊपर पहुंचे। कमरे का भी दरवाजा तोड़ दिया। दीवान अवधेश ने बताया कि पांच साल की बच्ची आरोही बेहोशी की स्थिति में थी, वहीं उसकी मां सुमन की हालत खराब थी। उन्होंने दोनों को कमरे से निकाला और केएमसी में ले गए।

अंगीठी जलाएं तो रखें ध्यान

  • अंगीठी को बंद कमरे में नहीं बल्कि खुली जगह पर जलाएं
  • कमरे में अंगीठी जलाते हैं तो खिड़की या दरवाजा खुला रखें
  • कमरे में अंगीठी जलाकर कभी भी नहीं सोयें
  • अंगीठी के आसपास किसी तरह के ज्वलनशील पदार्थ रखने से बचें
  • गीठी जलाते समय बाल्टी आदि में पानी भी अपने पास रखें
  • दम घुटने का एहसास हो तो कमरे से निकलकर तत्काल खुले स्थान पर जाएं

बंद कमरे में अंगीठी जलाना क्यों खतरनाक

वाराणसी के सरकारी जिला अस्पताल के सीनियर फीजिशियन डा. मनीष यादव का कहना है कि कार्बन मोनो आक्साइड बेहद खतरनाक गैस है। यह इंसान को धीरे-धीरे मौत की तरफ ले जाती है। अंगीठी आदि के धुएं से यह गैस निकलती है। किसी बंद कमरे में अंगीठी जलाई जाए तो कमरे में मौजूद आक्सीजन को खत्म करती है। धीरे-धीरे कार्बन मोनो आक्साइड कमरे में भरने लगता है। इसके प्रभाव में कमरे में मौजूद लोग अचेतावस्था में चले जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है।


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