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    आदिपुरुष फिल्म में 'जलेगी तेरे बाप की' जैसे कई डायलाग पर मनोज मुंतशिर हो रहे ट्रोल, माता-पिता ने कही ये बात

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Sun, 18 Jun 2023 03:08 PM (IST)

    आदिपुरुष फिल्म के विवाद पर डायलाग लिखने वाले अमेठी के मनोज मुंतशिर के माता-पिता ने बेटे की सराहना करते हुए कहा कि फिल्म वेदों और पुराणों को पढ़ कर ही बनाया गया है। लोगों के देखने का नजरिया अलग है लेकिन फिल्म अच्छी है।

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    आदिपुरुष फिल्म के डायलाग पर मनोज मुंतशिर हो रहे ट्रोल। (फाइल फोटो)

    गौरीगंज (अमेठी), जागरण संवाददाता। प्रभास और कृति सेनन की फिल्म आदिपुरुष सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म को दर्शकों और क्रिटिक दोनों से ही अच्छे रिव्यू नहीं मिले हैं। हर जगह फिल्म में वीएफएक्स और डायलाग को लेकर आलोचना हो रही है। खासकर हनुमान के डायलाग को लेकर लोग इसे इंटरनेट मीडिया पर ट्रोल कर रहे हैं। हनुमान के डायलाग के वीडियो इंटरनेट मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं।

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    मनोज मुंतशिर ने लिखा है फिल्म का डायलाग

    इस फिल्म के डायलाग लिखने वाले लेखक जिले के गौरीगंज वार्ड नंबर 16 निवासी मनोज मुंतशिर पर सवाल अब यहां भी लोग उठा रहे हैं। आदिपुरुष फिल्म के डायलाग मनोज मुंतशिर ने ही लिखे हैं। डायलाग की भाषा को लेकर खड़े हुए सवाल पर अब मनोज मुंतशिर के माता पिता ने अपने बेटे का पक्ष रखा है। दैनिक जागरण के बातचीत के दौरान मनोज मुंतशिर के पिता शिवप्रताप शुक्ल ने कहा, आदिपुरुष फिल्म बहुत ही अच्छी है। इस फिल्म की कहानी को पहले कई वेदों और पुराणों को पढ़ने के बाद लिखा गया है। लोग बिना किसी कारण फिल्म को लेकर विवाद फैला रहे हैं।

    पिता ने ये दिया उदाहरण

    उन्होंने रामायण की एक चौपाई के अंश 'जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी' के माध्यम से समझाया कि जिसकी जैसी भावना है। उस हिसाब से लोग फिल्म देख रहे हैं। फिल्म में कोई खराबी नहीं है। फिल्म हमारे धर्म ग्रंथों पर आधारित है। उसका ट्रेलर भी बहुत अच्छा लगा। लोगों का अपना-अपना नजरिया है, लेकिन फिल्म बहुत अच्छी है। हिंदू धर्म पर आधारित है।

    बेटे की सराहना करते हुए पिता ने कहा कि आदिपुरुष फिल्म को लेकर उनके पूरे परिवार में चर्चा की थी। हम लोग बहुत खुश हैं कि जिले का बेटा पूरे देश में नाम रोशन कर रहा है। वहीं मनोज की मां प्रेमा शुक्ला ने बताया कि बचपन में मनोज अपने नाना के घर रहते थे। उनके नाना बहुत ही विद्वान व्यक्ति थे और वहीं से उन्होंने ऐसे आध्यात्मिक ज्ञान की जानकारी ली थी। उन्होंने कहा कि हमारे बेटे की लिखी फिल्म को फिल्म के भाव से देखिए। पता नहीं लोग क्यों एतराज कर रहे हैं? समझ नहीं आ रहा है।