नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाना हमारा दायित्व : शांतनु महराज
तिलोई(अमेठी) लोभ लालच में लोग भाई से बैर पाल लेते हैं जबकि कलयुग में सबसे बड़ी ताकत वह

तिलोई(अमेठी) : लोभ लालच में लोग भाई से बैर पाल लेते हैं, जबकि कलयुग में सबसे बड़ी ताकत वहीं है, जहां भाई-भाई एक हैं और उनमें परस्पर प्रेम है। श्रीराम चरित मानस की कथा की सार्थकता तभी है •ाब कथा सुनने से आपका विवेक जाग्रत हो, नहीं तो कथा श्रवण व्यर्थ है।
यह बातें आरबीएस इंटर कालेज परिसर में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान आचार्य शांतनु महाराज ने श्रद्धालुओं को श्रीराम कथा सुनाते हुए कही। कथा के दौरान उन्होंने कहा की आज भाई-भाई के मध्य प्रेम का अभाव देखा जा रहा है। सच तो यही है की आज जहां भाई-भाई एक मत है वह सर्वाधिक ताकतवर है। श्रीराम चरित मानस भी हमें भाई-भाई में प्रेम सौहार्द और समर्पण की शिक्षा देता है। हमें संस्कार की शिक्षा मानस से मिलती है। भाई वन में था तो एक भाई महल में, लेकिन दोनों में एक दूसरे के प्रति समर्पण का अभाव कभी कम नहीं हुआ। आचार्य ने कहा की लोग मृत्यु लोक में आकर सुख की मांग करते हैं, जबकि यह संसार सुखालय नहीं बल्कि दुखालय है। ईश्वर की भक्ति से आप अपने दुखों से मुक्ति पा सकते हैं। आचार्य ने कहा की अपने बच्चों में संस्कार का रोपण कीजिए क्योंकि बच्चों में संस्कार का अभाव हो रहा है। संस्कार की शुरूआत तो गर्भाधान से शुरू हो जाती है। कुल सोलह संस्कार बताए गए हैं, जिनमे पहला संस्कार गर्भाधान और आखिरी अंतिम संस्कार बताया गया है। श्रीराम कथा के तीसरे दिन राज्यमंत्री के सुपुत्र कुंवर उत्कर्ष शरण सिंह, प्रमुख पुत्र अखंड प्रताप सिंह, ग्राम प्रधान देवी शरण बाजपेयी, सुधांशु शुक्ला, यजमान अंकिता सिंह, बबलू सिंह ने कथा व्यास का माल्यार्पण कर आरती-पूजन किया। मृगांकेश्वर शरण सिंह ने अतिथियों को श्रीराम दरबार का प्रतीक चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन धर्मेश कुमार मिश्र ने किया।
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-24 अवतार व समुद्र मंथन की कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु
संवादसूत्र, रामगंज (अमेठी) : त्रिसुंडी गांव में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन मथुरा वृंदावन से पधारे कथा वाचक पवन देव महराज ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा के साथ-साथ समुद्र मंथन की रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाई। कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मों द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है। तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सज्जनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं। कथा के प्रारंभ में श्री भागवत भगवान का आयोजक हरिप्रताप सिंह व उनकी पत्नी माला ने पूजन कर आरती की। इस मौके पर अभिषेक प्रताप आदित्य नरेंद्र श्रीमती माला सिंह राकेश प्रताप सिंह रमेश प्रताप सिंह प्रमोद सिंह मनीष सिंह मोनू तिवारी उमेश सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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