यूपी के कई हिस्सों में कोहरे और गलन से जन-जीवन अस्त-व्यस्त, IMD ने आगामी सप्ताह के लिए जारी किया अलर्ट
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में कोहरे और गलन से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। IMD ने आगामी सप्ताह के लिए अलर्ट जारी किया है, जिससे लोगों को सावधानी बरत ...और पढ़ें

कोहरे और गलन से जन जीवन बेहाल।
जागरण टीम, अमेठी। जिला इस समय कोहरे तथा शीतलहर की चपेट में है। मौसम में हुए परिवर्तन तथा अचानक बढ़ी ठंड व कोहरे से जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है। कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो जाने से वाहनों के परिचालन में भी कठिनाई का सामना करना पड़ा। सुबह शाम सड़कों पर सन्नाटा दिख रहा है। कोहरा व गलन में लोग घरों से कम निकल रहे हैं।
जिले का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया, मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक आगामी सप्ताह में तापमान में और गिरावट आएगी तथा कोहरे को प्रकोप बढ़ेगा।
वहीं शीत लहर को देखते हुए जिलाधिकारी संजय चौहान ने कक्षा आठ के सभी विद्यालयों को सुबह 10 बजे से तीन बजे तक चलाने का आदेश दिया है।
ठंड का सितम लगातार जारी है। इससे लोग परेशान हो रहे हैं। पशु पक्षियों के साथ ही आमजन व राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रही है। सड़कें सूनी हैं तो सुबह कोहरा तेज होने के चलते वाहन रेंगते नजर आए।
ठंड में सबसे अधिक दिक्कत बच्चों व बुजुर्गों को हो रही है। जिन्हें ठंड से बचाव के लिए चिकित्सकों की ओर से सलाह दी जा रही है। गांवों व कस्बों में लोग अलाव व हीटर का सहरा लेते नजर आ रहे हैं। हांड़ कपा देने वाली ठंड से जल जीवन पूरी तरह से बेहाल हो गया है।
सब्जियों को पहुंच सकती है क्षति
कोहरे तथा पाले से दलहनी तथा सब्जियों की फसलों को क्षति पहुंच सकती है। कोहरे की वजह से वातावरण में नमी बढ़ जाने से आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में किसान अपने खेतों की निगरानी रखें तथा किसी प्रकार की समस्या दिखाई पड़ने पर स्थानीय कृषि विशेषज्ञ अथवा कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।
ठंड में पशुओं की देखभाल जरूरी
ठंड से पशुओं को बचाने के लिए पशुशाला की नियमित सफाई करते रहना चाहिए। समय समय पर बिछावन बदलते रहना चाहिए। पशुशाला की खिड़कियों तथा दरवाजों पर पर्दा लगा देना चाहिए।
बढ़ रहे सांस के मरीज
बढ़ती ठंड से निमोनिया, खांसी तथा अन्य श्वास संबंधित रोगों के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। मौसम के प्रकोप से बचाव के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है, घर से बाहर निकलते समय ऊनी तथा गर्म कपड़े अवश्य पहनने चाहिए। बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
फसलों तथा छोटे पौधों को पाला से बचाने के लिए उनकी सिंचाई करना चाहिए। शाम के समय खेत के पश्चिमी दिशा में धुआं करें। छोटे पौधों के ऊपर पुआल अथवा पालीथीन की छतरी बना कर पाले से बचाव कर सकते हैं। दलहनी तथा तिलहन वाली फसलों में घुलनशील सल्फर (80 डब्ल्यूपी) की तीन ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने पर पाले से बचाव होता है। आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2.5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। -डॉ. लाल पंकज सिंह, वैज्ञानिक, फसल सुरक्षा, कृषि विज्ञान केन्द्र, कठौरा।

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