6 साल में भी पूरा नहीं हो पाया पुल, हवा हवाई साबित हो रहा संस्था का दावा; बारिश में लेना पड़ेगा नाव का सहारा
अमेठी के बाजारशुकुल में गोमती नदी पर बन रहा पुल छह साल बाद भी अधूरा है जिससे ग्रामीणों को नाव से नदी पार करने की मजबूरी है। कार्यदायी संस्था ने बजट की कमी के कारण निर्माण कार्य ठप कर दिया है। अधिकारियों के दावे झूठे साबित हुए हैं। ग्रामीणों को अभी भी पुल बनने का इंतजार है।

संवाद सूत्र, बाजारशुकुल, (अमेठी)। छह वर्ष से निर्माणाधीन गोमती नदी के पाली घाट का पुल कार्यदायी संस्था के दावे की ही नहीं अपितु सरकारी व्यवस्था की भी पोल खोल रहा है। पिछले वर्ष 2019 से बनना शुरू यह पुल आज छह वर्ष बाद भी अधूरा पड़ा ग्रामीणों को ठेंगा दिखा रहा है।
लोगों को धीरे धीरे यह विश्वास होता जा रहा है कि इस बारिश भी उनकी पुल से पार जाकर खेती किसानी करने की हसरत पूरी नहीं होगी। जिस पुल का निर्माण 30 महीने में पूरा होना था, उसका निर्माण छह वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका।
निर्माण कराने वाली कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निर्माण इकाई पहले तो दो तीन वर्ष संसाधनों का रोना रोती रही, किंतु अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के दबाव में जब वह समय सीमा में काम पूरा न कर सकी तो बजट की कमी आ गई।
शासन से बजट भी मिला किंतु निर्माण आज भी अधूरा पड़ा व्यवस्था की दुहाई दे रहा है। सूत्र बताते हैं कि पुल निर्माण में एक बार फिर बजट की कमी अड़चन बन गई है। पिछले काफी दिनों से निर्माण ठप पड़ा है। पुल का एक तरफ का पैराफिट व मार्ग निर्माण आज भी बाकी है।
समदा निवासी साहब सरन ने बताया कि काफी दिन से काम बंद है। यहां जो रहते हैं वह बता रहे हैं कि पुल बनना इसलिए बंद है क्योंकि पैसा खत्म हो गया है। ठप पड़े काम व अधूरे पुल निर्माण के बारे में जानकारी के लिए जब कभी कार्यदायी संस्था के जिम्मेदारों को फोन लगाया जाता है तो उनका फोन नहीं उठता है।
परियोजना प्रबंधक प्रशांत कुमार सिंह ने जनवरी में जिला प्रशासन से मार्च 2025 में निर्माण पूर्ण करते हुए लोकार्पण कराने का दावा किया था, किंतु वह भी झूठा साबित हुआ।
तहसीलदार राहुल सिंह ने बताया कि पुल के निर्माण का जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया था। इससे तहसील का कोई मतलब नहीं है फिर भी संबंधित अधिकारियों से बात कर यथा स्थिति की जानकारी की जाएगी।
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