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    Amethi News: लंपी वायरस बढ़ने पर विभाग अलर्ट, बाहर से पशुओं के आवागमन पर लगाई गई रोक

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 08:31 PM (IST)

    अमेठी जिले में लंपी रोग के बढ़ते खतरे को देखते हुए पशुपालन विभाग सतर्क हो गया है। प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन पर रोक लगा दी गई है और पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है। जिले में अब तक दस हजार टीके लगाए जा चुके हैं और टीकाकरण अभियान जारी है। विभाग पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

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    लंपी वायरस के संक्रमण को देखते हुए पशुओं के बाहर से आवागमन पर लगाई गई रोक।

    जागरण संवाददाता, अमेठी। प्रदेश के कई जिलों में पशुओं में तेजी से फैल रहा लंपी रोग पशुपालकों के साथ ही पशुपालन विभाग की भी चिंता बढ़ा दी है। छुआछूत से फैलने वाले इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए पशुपालन विभाग सतर्क हो गया है। जिन जिलों में इसका असर देखा जा रहा है, वहां से पशुओं के खरीद फरोख्त और उसके आवागमन पर रोक लगा दी गई है। पशुपालकों को भी जागरूक किया जा रहा है।

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    साथ ही दस हजार टीके भी लगवा दिए गए हैं। शेष 50 हजार टीकों की मांग की गई थी। जिसमें से 25 हजार टीके मिल गए हैं। जिसे टीकाकरण के लिए वितरण किया जा चुका है। जिले में चार लाख 95 हजार मवेशी हैं। जिनमें दो लाख 20 हजार गाय व दो लाख 74 हजार के करीब भैंस हैं।

    पशुओं में लंपी रोग, जिसे लंपी त्वचा रोग भी कहते हैं। यह एक वायरल संक्रमण है, जो मवेशियों को प्रभावित करता है और उनकी त्वचा पर गांठें बनने, बुखार और सुस्ती जैसे लक्षण पैदा करता है। यह नीथलिंग वायरस के कारण होता है और मक्खियों या अन्य कीटों के काटने से फैलता है।

    इस रोग के कारण पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है, भूख नहीं लगती, और कई मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। इसका नियंत्रण टीकाकरण और कीटों से बचाव के माध्यम से किया जाता है। प्रदेश के कई जिलों में लंपी रोग फैलने से पशु पालन विभाग सतर्क हो गया है। पशु पालकों को जागरूक करने के साथ ही टीकाकरण किया जा रहा है।

    लंपी वायरस के लक्षण

    पशुओं को भूख कम लगना, पशु के शरीर का तापमान करीब 106 डिग्री फारेनहाइट होना, पशु के चेहरे, गर्दन, नाक, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें, पैरों में सूजन, लंगड़ापन, नर पशु में काम करने की क्षमता कम हो जाना।

    बचाव के उपाय

    लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को अलग रखें, मक्खी, मच्छर, जूं आदि को मार दें, पशु की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें, पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

    यहां फैला है लंपी रोग

    प्रदेश के 11 जिलों जिसमें चंदौली, गाजीपुर, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, मऊ, संत कबीर नगर और महाराजगंज में लंपी वायरस फैला हुआ है। जिसको देखते हुए पशु पालन विभाग सतर्क हो गया है। इससे बचाव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

    लंपी रोग को देखते हुए विभाग सतर्क है। पशुओं का टीकाकरण कराया जा रहा है। पशुपालकों को भी सजग किया जा रहा है। अब तक दस हजार टीके लगाए जा चुकें हैं। 25 हजार टीके और प्राप्त हुए हैं। जिसे लगाने के लिए वितरण किया जा चुका है। जिन जिलों में रोग फैला है वहां से मवेशियों के आवागमन पर रोक लगाई गई है। -डॉ. गोपाल कृष्ण शुक्ल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।