माध्यमिक स्कूलों के 42 शिक्षकों की नौकरी पर संकट
अमेठी माध्यमिक स्तर के सहायता प्राप्त 25 इंटर कालेजों में कार्यरत 42 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी
अमेठी: माध्यमिक स्तर के सहायता प्राप्त 25 इंटर कालेजों में कार्यरत 42 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उनका मई का वेतन रोक दिया गया है। सुप्रीमकोर्ट ने टीजीटी परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों को ही नौकरी देने का फैसला सुनाया है। टीजीटी परीक्षा में तदर्थ शिक्षकों को वेटेज देने का भी आदेश है। अब उन शिक्षकों के लिए समस्या खड़ी हो गई है, जो 15 से 20 साल तक अपनी सेवा दे चुके हैं। स्नातक क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि भी तदर्थ शिक्षकों के पक्ष में हैं।
ऐसे हुई तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति
सहायता प्राप्त इंटर कालेजों के प्रबंधकों की ओर से तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति कर ली जाती थी। तब ऐसे शिक्षक वेतन के लिए हाईकोर्ट की शरण लेते थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से शिक्षकों को वेतन जारी कर दिया जाता है। पर यह शर्त भी होती है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद चयन बोर्ड से यदि कोई शिक्षक आता है,तो तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं स्वत: समाप्त हो जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट गए थे तदर्थ शिक्षक
तदर्थ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट में विनियमितीकरण के लिए गए थे। पर उन्हें झटका लगा है। कोर्ट के फैसले के बाद तदर्थ शिक्षक उहापोह की स्थिति में हैं। वेतन भुगतान पर रोक लगने के बाद से उनके चेहरे से मुस्कान गायब हो गई है। अब ऐसे शिक्षकों को सरकार से ही मदद की उम्मीद है।
सरकार को बताया शिक्षक विरोधी
माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष शिवभूषण उपाध्याय ने कहा कि यह जनप्रिय सरकार पूर्णरूप से शिक्षक विरोधी है। कहा कि जो शिक्षक 15 से 20 साल तक की सेवा दे चुके हैं। एकाएक उनकी सेवा समाप्त करवाना उनके पूरे परिवार की हत्या के बराबर है। सुप्रीमकोर्ट का फैसला तो एक बहाना है। सरकार चाहती तो चयन बोर्ड से चयनित और तदर्थ शिक्षक दोनों को समायोजित कर सकती है।
अधिकारी की सुनिए
जिला विद्यालय निरीक्षक उदय प्रकाश मिश्र ने बताया कि 42 तदर्थ शिक्षकों का वेतन रोका गया है। सुप्रीमकोर्ट ने तदर्थ शिक्षकों को टीजीटी परीक्षा पास करने पर शिक्षक मानने का फैसला दिया है। उस परीक्षा में तदर्थ शिक्षकों को छूट भी दी गई है। आगे जो भी आदेश आएगा। उसका पालन कराया जाएगा।