Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ..फिर बदला अमेठी का 'भूगोल'

    By Edited By:
    Updated: Tue, 20 Oct 2015 05:47 PM (IST)

    अमेठी : इतिहास पर गौर करें तो अमेठी ऐसा इकलौता जिला है जिसके इतिहास भूगोल से पिछले एक दशक में दर्जन

    अमेठी : इतिहास पर गौर करें तो अमेठी ऐसा इकलौता जिला है जिसके इतिहास भूगोल से पिछले एक दशक में दर्जन भर बार बदलाव हुआ है। वैसे तो अमेठी जिले का जन्म ही विवादों की कोख से हुआ और विवादों में कभी भी अमेठी का दामन नहीं छोड़ा। कभी नाम को लेकर तो कभी क्षेत्रफल को लेकर हमेशा अमेठी सुर्खियों में रही। अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार ने अमेठी जिले में सुलतानपुर के 29 राजस्व गांवों को जोड़कर इसका दायरा बढ़ा दिया है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब अमेठी के इतिहास-भूगोल में तब्दीली हुई हो, पिछले 12 सालों में जिला 11 बड़े परिवर्तनों का गवाह बना है। इतना ही नहीं तीन बार जिले का नाम बदला गया तो दो बार जिले की अधिसूचना सरकार द्वारा रद्द की गई। तीन बार उच्च न्यायालय ने जिले की स्थापना पर रोक लगाई तो एक बार जिले ने बटवारे का दंश भी झेला।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंगलवार का दिन अमेठी जिले के लिए खासा अहम हो गया। जब उसे जिले के दायरे में बढोत्तरी सूचना मिली। सुलतानपुर के सदर तहसील के 29 राजस्व गांवों को काट कर अमेठी जिले के मुसाफिरखाना तहसील से जोड़ने का फैसला प्रदेश सरकार ने लिया। खबर मिलते ही हलियापुर के 29 गांवों में खुशी का माहौल कायम हो गया। यह सभी गांव अमेठी संसदीय क्षेत्र व जगदीशपुर विधान सभा क्षेत्र के पहले से ही हिस्सा हैं। ऐसे में हलियापुर के लोग लंबे समय से इन गांवों को अमेठी में जोड़ने को लेकर संघर्षरत थे। सरकार से लेकर अदालत तक हर जगह उन्होंने अर्जी लगा रखी थी। सुलतानपुर के 29 गांव के अमेठी में शामिल होने के बाद अब अमेठी संसदीय क्षेत्र तीन जिलों के बजाय दो जिलों में ही विभाजित रहेगा। संसदीय क्षेत्र की चार तहसीलें अमेठी, गौरीगंज, मुसाफिरखाना व तिलोई अमेठी जिले तो सलोन तहसील रायबरेली का हिस्सा है।

    छतोह ने भी उठाई अमेठी में शामिल होने की मांग

    सुलतानपुर जिले के 29 गांवों के अमेठी में शामिल करने के सरकार के फैसले के बाद जिला मुख्यालय से महज कुछ किमी की दूरी पर बसा रायबरेली जिले का विकास खंड छतोह के ग्रामीणों ने भी खुद को अमेठी में शामिल करने की मांग फिर से बुलंद कर दी है। गांधी नगर, संडहा, कुढ़ा, बनी, कांटा सहित दर्जन भर गांवों में लोगों ने बैठक कर छतोह को रायबरेली से काटकर अमेठी में शामिल करने की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि इसके लिए अब वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

    कब क्या हुआ

    21 मई 2003

    तत्कालीन मायावती सरकार ने सुलतानपुर जिले के तीन तहसील अमेठी, गौरीगंज, मुसाफिरखाना व रायबरेली जिले की सलोन व तिलोई को मिलाकर नया जिला छत्रपति शाहू जी महाराज नगर बनाया था।

    13 नवंबर 2003

    मुलायम सिंह यादव ने सत्ता में आने पर इस जिले के गठन के आदेश को निरस्त कर दिया था।

    26 मार्च 2010

    उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक निर्णय में छत्रपति शाहू जी महाराज नगर जिले को बहाल किए जाने के मामले में याची उमाशंकर पांडे के प्रत्यावेदन पर तीन माह में सरकार को निर्णय लेने का आदेश दिया।

    1 जुलाई 2010

    राज्य सरकार ने नए जिले के गठन की बहाली को लेकर अधिसूचना जारी की।

    18 अगस्त 2010

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जिला बनाने पर रोक लगाई।

    1 सिंतबर 2010

    सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट द्वारा छत्रपति शाहू जी महाराज जिले के गठन पर लगी रोक हटाई।

    24 जुलाई 2012

    अखिलेश सरकार ने छत्रपति शाहू जी महाराज नगर का नाम बदलकर अमेठी रखा।

    15 अप्रैल 2013

    उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अमेठी जिला गठन की अधिसूचना रद्द की और सरकार को नए सिरे से अधिसूचना जारी करने का अधिकार दिया।

    4 जुलाई 2013

    अखिलेश सरकार ने अमेठी जिले की अधिसूचना रद्द की।

    5 जुलाई 2013

    अमेठी जिले की तहसील सलोन को काटकर रायबरेली से जोड़ा गया।

    अमेठी जिले की नई अधिसूचना जारी हुई। जिसमें चार तहसीलों को अमेठी का हिस्सा बनाया गया।

    20 अक्टूबर 2015

    सुलतानपुर के सदर तहसील के 29 गांवों को काटकर अमेठी जिले के मुसाफिरखाना तहसील से जोड़ने का निर्णय कैबिनेट ने लिया।