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आइएएस बनकर भी बच्चों को पढ़ाना नहीं भूलतीं हसीन जेहरा

आईएएस बनकर जेहरा जहां अपने कार्य को बेहतर कर रहीं हैं वहीं गरीब बच्चों को रोज पढ़ाने का कार्य कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 08:49 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 08:49 PM (IST)
आइएएस बनकर भी बच्चों को पढ़ाना नहीं भूलतीं हसीन जेहरा
आइएएस बनकर भी बच्चों को पढ़ाना नहीं भूलतीं हसीन जेहरा

अंबेडकरनगर : खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी र•ा क्या है। कवि की इन पंक्तियों को जिले की होनहार लाडली हसीन जेहरा रिजवी ने सच साबित कर दिखाया। अपनी मेहनत से सफलता की सीढि़यां चढ़ते हुए हसीन जहरा देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा सिविल सेवा में आइएएस अफसर बनकर इन दिनों पश्चिम बंगाल प्रांत में पंचायत राज एवं ग्राम्य विकास विभाग में ओएसडी पद पर कार्यरत हैं। पढ़ाई के लिए दिल्ली तक का सफर तय कर परिवार में माता-पिता, नाना और मामा का सहयोग मिला तो कामयाबी की मंजिल तक पहुंचना आसान हो गया।

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रिश्तेदारों एवं पिता का मिला सहयोग: जलालपुर तहसील क्षेत्र के मछली गांव निवासी हसीन जेहरा रिजवी के पिता हसन रजा रि•ावी उद्योग विभाग में सहायक आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। माता उच्च शिक्षा प्राप्त गृहणी हैं। पिता की तीन औलाद में कोई बेटा नहीं है। नाना एएस नक़वी, मामा सैय्यद साजिद र•ा, बड़े पापा सय्यद मेंहदी र•ा हमेशा से बच्चों को शिक्षा से लगाव रखने की प्ररेणा देते रहे। तीन बेटियों में दूसरे नंबर की हसीन जेहरा रिजवी ने बताया कि उन्होंने बड़ों से जीवन में आगे बढ़ने की सीख लेकर अपना नाम रोशन करने की दिशा में कदम बढ़ाया तो इसमें पिता से लेकर रिश्तेदारों तक सभी का सहयोग मिला। वहीं बड़ी बेटी कमर जेहरा रिजवी बीटेक करने के बाद मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी कर रही हैं। जबकि सबसे छोटी बेटी सानिया जेहरा इंटरमीडिएट में पढ़ाई कर रही हैं।

शिक्षा के प्रति रहीं संवेदनशील : शिक्षा के प्रति हसीन जहरा रिजवी बचपन से ही संवेदनशील एवं कुशाग्र बुद्धि की रहीं। पिता की पोस्टिग बहराइच जनपद में होने के कारण प्राथमिक स्तर की पढ़ाई बहराइच में ही करनी पड़ी। इसके बाद माध्यमिक स्तर की पढ़ाई लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल में करने के उपरांत जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली का रुख किया। वहां से इन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल कर अपने लक्ष्य पाने के लिए सतत प्रयासरत रहीं। 2018 में संघ लोक की परीक्षा में सफलता हासिल कर आइएएस बनीं।

-अशिक्षा के कलंक को मिटाना सपना: बालिकाओं के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में अपना योगदान देकर अशिक्षा के कलंक को मिटाना इनका सपना है। पश्चिम बंगाल में पंचायत राज एवं ग्राम विकास मंत्रालय के अधीन योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रति जेहरा काफी सजग हैं। कोविड-19 से बचाव के कार्यक्रमों में सहभागी बनकर लोगों को सचेत कर रही हैं। बच्चों की शिक्षा व चिकित्सा के प्रति भी बेहद सजग हैं। समय मिलने पर प्राथमिक व आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ रहे बच्चों से बात करना, उन्हें शिक्षा देना और सामाजिक रीति-रिवाजों से परिचित कराना इनकी दिनचर्या में शामिल है। जेहरा बताती हैं कि देश सेवा के साथ ही समाजसेवा और सरकारी योजनाओं को अंतिम पायदान तक पहुंचाना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है।


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