सीएम योगी ने अकबरपुर बस स्टेशन का बदला नाम, 1184 करोड़ 194 विकास परियोजनाओं का किया लोकार्पण-शिलान्यास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐतिहासिक शिवबाबा धाम में दर्शन-पूजन किया और अकबरपुर बस स्टेशन का नाम शिवबाबा धाम करने की घोषणा की। उन्होंने टांडा बस स्टेशन का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय जयराम वर्मा के नाम पर करने की भी घोषणा की। योगी आदित्यनाथ ने 1184 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि अब विकास और विरासत उत्तर प्रदेश की पहचान हैं।

जागरण संवाददाता, अंबेडकरनगर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐतिहासिक शिवबाबा धाम में दर्शन-पूजन के साथ ही अकबरपुर बस स्टेशन का नाम शिवबाबा धाम किया। उन्होंने टांडा बस स्टेशन का नाम भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय जयराम वर्मा के नाम पर करने की घोषणा की।
योगी ने एमएलसी डा. हरिओम पांडेय के प्रस्ताव पर अकबरपुर बस स्टेशन और टांडा बस स्टेशन के नामकरण के साथ ही 1,184 करोड़ रुपये की 194 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब विकास और विरासत उत्तर प्रदेश की पहचान है। वर्ष 2017 से पहले प्रदेश दंगा और गुंडागर्दी के लिए जाना जाता था।
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नया भारत विकास के साथ विरासत पर गौरव की अनुभूति भी कराता है। यहां सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, पर्यटन में अयोध्या धाम, काशी में विश्वनाथ व शिवबाबा और श्रवण धाम के विकास को सब देख रहे हैं।
शिवबाबा धाम के मैदान पर आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई सुरक्षा में सेंध लगाने का काम करेगा, बेटी और व्यापारी की सुरक्षा से खिलवाड़ करेगा तो कानून का डंडा उसको ऐसे चपेट में लेगा, जिसको उसने कभी सोचा नहीं होगा।
आज उसी का परिणाम है कि पिछले आठ वर्ष में उत्तर प्रदेश के अंदर दंगा नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त हुआ है। कुछ लोग हैं, जिन्हें विकास अच्छा नहीं लगता, उनके लिए अपने परिवार का विकास ही सबकुछ होता है और परिवार के नाम पर जाति को निशाना बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि आज प्रदेश भर में मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा कल्याण योजना के अंतर्गत प्रदेश के 11,690 आश्रित परिवारों को 561 करोड़ रुपये की सहायता राशि का वितरण भी किया जा रहा है।
आस्था का प्रमुख केंद्र है शिवबाबा धाम
अयोध्या मार्ग पर स्थित शिवबाबा धाम आस्था का प्रमुख केंद्र है। महंत ओमप्रकाश गोस्वामी के मुताबिक, गोरखपुर जनपद के सिद्ध संत शिवप्रसाद तिवारी अपने साथियों के साथ वर्ष 1869 में घर से पैदल अयोध्या की तीर्थ यात्रा पर वाया श्रवण धाम निकले थे।
सीहमई कारीरात गांव स्थित सरोवर कराने उनका दल विश्राम के लिए ठहरा। तत्समय दुल्लापुर रियासत के राजा ने शिवप्रसाद को 154 बीघा भूमि दान दी थी, लेकिन बाद में भूमि वापस लेने को लेकर विवाद शुरू हो गया। इससे आहत बाबा ने 154 बीघा क्षेत्र में हल चलाने वाले का सर्वनाश होने का श्राप देकर यहीं समाधि ले ली।
समाधि स्थल पर उगा एक वट वृक्ष आस्था का केंद्र बन गया और यह शिवबाबा धाम नाम से विख्यात है। यहीं दूसरे वट वृक्ष के पास भगवान शिव-पार्वती की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। यहां वंदन योजना एवं पर्यटन योजना के तहत दो करोड़ रुपये के विकास कार्य गतिमान है।
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