TET परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे ये शिक्षक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नौकरी पर मंडराया संकट
TET Exam में अंबेडकरनगर जिले में लगभग 350 शिक्षक टीईटी परीक्षा को लेकर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इनमें बीटीसी मुक्त कम अंक वाले और बिना स्नातक वाले शिक्षक शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार दो साल में टीईटी पास करना मुश्किल है। शिक्षकों को पहले परीक्षा में शामिल होने के लिए योग्यता हासिल करनी होगी जिससे नौकरी पर खतरा है।

अरविंद सिंह, अंबेडकरनगर। बीटीसी मुक्त, इंटरमीडिएट में 45 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले और स्नातक नहीं करने वालों संग बीपीएड करके शिक्षक बने शिक्षकों के सामने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में शामिल होना ही सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे लगभग 350 शिक्षक जिले में कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार दो वर्षों में टीईटी पास करना इनके के लिए संभव नहीं दिखता है।
उक्त शिक्षक पहले टीईटी में शामिल होने के लिए योग्यता पाने में ही तीन से पांच वर्ष लग सकते हैं। ऐसे में न्यायालय से मिली दो वर्ष की मोहलत के बाद इनकी नौकरी पर खतरा बन गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सेवारत शिक्षकों में बड़ी संख्या में बीएड, बीपीएड, इंटरमीडिएट पास तथा बीटीसी मुक्त शिक्षक तैनात हैं। वर्ष 1995 के आसपास मृतक आश्रित कोटे में भर्ती हुए 90 प्रतिशत शिक्षक हाईस्कूल ही पास रहे।
इन्हें लंबी सेवा अनुभव के आधार पर सरकार के द्वारा योग्य मानते हुए बीटीसी प्रशिक्षण से मुक्त कर प्रशिक्षित वेतनमान दिया जाने लगा। वहीं, वर्ष 1997 के आसपास में सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए इंटरमीडिएट पास एवं बीडीसी प्रशिक्षित योग्यता पर भर्ती किया है।
वर्ष 1999 तक विशिष्ट बीटीसी में बीएड तथा बीपीएड योग्यताधारी शिक्षक बनाए गए। उन्हें छह माह का प्रशिक्षण देने के बाद शिक्षक मान लिया था।
नौकरी बचाने को पार करनी होगी लक्ष्मण रेखा
शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होने से पहले इसमें शामिल होने की ही चुनौतियों से पार पाना शिक्षकों के लिए बड़ी कठिनाई बनी है। हाईस्कूल पास शिक्षकों को इंटरमीडिएट, स्नातक तथा बीटीसी पास करना होगा। इसमें लगभग सात वर्ष का समय लगेगा।
वहीं, इंटरमीडिएट पास शिक्षकों को स्नातक समेत बीटीसी पास करना होगा। इसमें पांच वर्ष लगेगा। वहीं स्नातक में 45 प्रतिशत से कम अंक पाने वालों को फिर से इस परीक्षा को अधिक अंक लाकर पास करना होगा। तीन से पांच वर्ष लगेंगे।
वहीं, स्नातक पास करने वालों को बीटीसी ही पास करना होगा। वहीं छह माह का बीटीसी प्रशिक्षण हासिल करने वाले बीएड व बीपीएड डिग्री धारकों को टीईटी परीक्षा में शामिल हाेने को लेकर स्थितियां स्पष्ट नहीं हैं। उनका बीटीसी प्रशिक्षण पूर्ण नहीं माने जाने की दशा में फिर से बीडीसी प्रशिक्षण लेना होगा।
ऐसे शिक्षकों के समने टीईटी पास करने से पहले खुद को उक्त परीक्षा में बैठने योग्य बनाने की अपार चुनौतिया लक्ष्मण रेखा बनकर खड़ी हैं। बढ़ती उम्र संग अब तीन से चार परीक्षाएं पास करने में पसीना छूटने लगा है।
सेवारत शिक्षकों पर नए नियमों को लागू किया जाना न्यायपूर्ण नहीं है। सेवाग्रहण करने के दौरान सरकार के निर्णय पर कार्यभार ग्रहण किया है। बड़ी संख्या में शिक्षक टीईटी देने की योग्यता नहीं रखते हैं। अब तीन से चार परीक्षा देना ही उक्त शिक्षकों के लिए संभव नहीं होगा। सरकार को अध्यादेश लाकर शिक्षक हितों की रखा करनी चाहिए। -बृजेश मिश्र, जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ।
सरकार द्वारा निर्धारित मानकों को पूर्ण करके ही शिक्षक भर्ती हुए थे। सेवाकाल के बीच में नए बदलाव करके अनुपालन कराना न्यायसंगत नहीं है। सरकार के निर्णय पर विभिन्न वर्षों में कम शैक्षिक योग्यता पर भर्ती शिक्षक अभी टीईटी में शामिल होने योग्य नहीं हैं। इन्हें इंटरमीडिए, स्नातक, बीटीसी करना होगा। ऐसे में कोर्ट से बीटीसी करने की निर्धारित अवधि निकल जाएगी। न्यायालय को शिक्षक हित में पुनर्विचार करना चाहिए। -राघवेंद्र शुक्ल, जिलाध्यक्ष, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ।
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