पूना पैक्ट समझौता लागू होने से मिलेगा सम्मान
अंबेडकरनगर : पूना पैक्ट दिवस के मौके पर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति बेसिक शिक्षक संघ की ...और पढ़ें

अंबेडकरनगर : पूना पैक्ट दिवस के मौके पर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति बेसिक शिक्षक संघ की जिला इकाई ने पदावनत शिक्षकों की समस्याओं पर विचार गोष्ठी का आयोजन कलेक्ट्रेट के निकट डॉ. भीवराव अंबेडकर की प्रतिमा समक्ष किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के मौके मंडलीय महामंत्री डीएन बौद्ध, टीएन राना तथा ईश्वरलाल मौजूद रहे। विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए पूना पैक्ट लागू हुए आज 85 वर्ष हो चुका है और इस समझौते को लागू नहीं हो पा रहा है। इससे एसी-एसटी और ओबीसी की स्थिति सम्मानजनक नहीं हुई है। इस पर पूरे देश के लोगों को विचार करना चाहिए। जिलाध्यक्ष जियालाल त्यागी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम पूना पैक्ट दिवस पर शपथ लें कि जिले में असंवैधानिक तरह से पदावनत किये गये शिक्षकों के सम्मान के लिए लड़ाई तेज करनी पड़ेगी तभी समस्या का निदान होगा। इस मौके पर मित्रसेन, एचसी गौतम, संपूर्णानंद, राम करन, परशुराम, शिवधारी, राधेश्याम, मेवालाल, रामवृक्ष, गंगाराम आदि मौजूद रहे।
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-पूना पैक्ट पर मनाया धिक्कार दिवस-
अंबेडकरनगर : पूना पैक्ट दिवस पर ही अखिल भारतीय अनुसूचितजाति- जनजाति कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन की जिला इकाई ने धिक्कार दिवस के रूप में मनाया। इसमें जोगापुर सारंगपुर में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष आरबी बौद्ध ने कहा कि प्रथम गोलमेज सम्मेलन में प्रत्येक समुदाय को पृथक निर्वाचन का अधिकार प्रदान किया गया। यहां तक कि अस्पृश्यों को भी पृथक निर्वाचन का अधिकार प्राप्त हुआ। इसके बाद कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध किया। इसके कारण 24 सितंबर 1932 को ¨हदुओं और अस्पृश्यों के बीच पूना में समझौता हुआ जिसे 1932 के नाम से जाना जाता है। इस समझौते में प्रथम तो अस्पृश्यों ने 78 विधानसभा क्षेत्र के प्रथम प्रतिनिधित्व के स्थान पर संयुक्त प्रतिनिधित्व को स्वीकार किया। दूसरा 78 से बढ़कर 148 सीटें की गयी। इस मौके पर पीसी सेन, आरबी त्रिशरण, चुन्नीलाल, नरेंद्र भारती, सूर्यनाथ बौद्ध ने भी अपने विचार रखें।

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