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    वर्षों से बस स्टैंड के लिए तरस रही बुनकर नगरी जलालपुर

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 04 Feb 2022 10:25 PM (IST)

    परिवहन सेवा न के बराबर होने से डग्गामार वाहनों का लेना पड़ता है सहारा व्यापार के सिलसिले में दूरदराज से आने वालों को झेलनी पड़ती है दुश्वारी।

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    वर्षों से बस स्टैंड के लिए तरस रही बुनकर नगरी जलालपुर

    ओंकार शर्मा, मालीपुर (अंबेडकरनगर): चुनाव-दर-चुनाव दावों और वादों का खेल खूब चलता रहा, लेकिन जलालपुर विधानसभा क्षेत्र में आज तक समुचित यातायात सुविधाएं नसीब नहीं हुईं। एक अदद परिवहन डिपो की स्थापना तक यहां के लोगों के लिए सपना सरीखा साबित हो रहा है। विडंबना यह कि बुनकर नगरी की यह समस्या कभी राजनीतिक मुद्दा नहीं बन सकी।

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    जलालपुर कस्बा व आसपास की लगभग पांच लाख से अधिक की जनता परिवहन सेवा से वंचित है। वाराणसी-लखनऊ रेलखंड पर स्थित मालीपुर रेलवे स्टेशन से जलालपुर तहसील मुख्यालय की दूरी 12 किलोमीटर है। लोगों को बनारस, फैजाबाद, लखनऊ एवं दिल्ली जाने के लिए मालीपुर स्टेशन तक पहुंचने के लिए निजी व डग्गामार वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। सड़क मार्ग से लखनऊ व वाराणसी, प्रयागराज एवं आजमगढ़ पहुंचने के लिए प्राइवेट बसें ही सहारा हैं। जलालपुर से जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए भी सरकारी साधन नहीं है। बस अड्डे की दशकों से हो रही मांग लखनऊ में नक्कारखाने में तूती की तरह गूंजती रही। लुंगी व सूती गमछे के लिए विख्यात यहां की मंडी अब न के बराबर है। परिवहन सुविधा के अभाव में व्यापारियों के न आने से गमछा मंडी अपना अस्तित्व खोती जा रही है।

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    -राजनीतिक हस्तियों ने नहीं दिया ध्यान: जलालपुर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक तौर पर काफी उर्वर रही है। यहां की धरा ने कई नेताओं को अर्श तक पहुंचाया, लेकिन यह समस्या आवाज नहीं बन सकी। बसपा के दिग्गज नेता स्व. रामलखन वर्मा वन व पंचायतराज विभाग के मंत्री रहे तो स्व. शेर बहादुर सिंह ने पांच बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। पूर्व सांसद राकेश पांडेय, नेता प्रतिपक्ष व सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अहमद हसन नामचीन राजनीतिक हस्तियों में शुमार हैं। यहां की बुनकरी की पहचान प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में है। पड़ोसी जनपद आजमगढ़-जौनपुर की सीमाओं को छूता यह भू-भाग साहित्य समाज का भी सिरमौर रहा है। इसके बावजूद जलालपुर को बस अड्डा व परिवहन सेवाओं का लाभ नहीं मिला।

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    -फेयर बस स्टाप पर अवैध कब्जा: दशकों पूर्व पोस्ट आफिस के बगल यात्रियों की सुविधा के लिए फेयर बस स्टाप बनाया गया था। यहां परिवहन निगम की बसें संचालित नहीं होने से अवैध कब्जा हो गया है। कुछ वर्ष पहले तक यहां से इक्का-दुक्का स्थानों के लिए रोडवेज की बसें संचालित हो रही थीं, जो अब बंद है।

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    -जान जोखिम में डाल यात्रा कर रहे लोग: जलालपुर से प्रतिदिन हजारों यात्री लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, सुलतानपुर समेत अन्य स्थानों को जाते हैं। सैकड़ों कर्मचारी, अधिवक्ता व छात्र-छात्राएं यहां से जनपद मुख्यालय और स्कूल-दफ्तरों तक जाते हैं। लेकिन, सरकारी परिवहन सेवा नहीं होने से उन्हें अपनी जान-जोखिम में डालना पड़ रहा है।

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    परिवहन डिपो व बसों का संचालन जनहित से जुड़ा मामला है। इस तरफ विशेष ध्यान देने की जरूरत है। परिवहन सेवा से सभी वर्गों के लोगों को लाभ मिलेगा।

    -राज सोनी, समाजसेवी

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    परिवहन डिपो की वर्षों से मांग अनसुनी रही है। बसों का संचालन बंद होना दुर्भाग्यपूर्ण है। जलालपुर बुनकर बाहुल्य कस्बा होने के कारण यहां दूरदराज के बड़े शहरों से व्यापारिक संबंध है। परिवहन व्यवस्था दुरुस्त होने से सभी को लाभ मिलेगा।

    -इब्ने अब्बास, समाजसेवी

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    अवागमन की सुविधा उपलब्ध होने पर ही क्षेत्र का विकास संभव है। जलालपुर से बसों का संचालन शुरू हो तो लोगों को आने-जाने में सहूलियत मिलेगी। साथ ही दूसरे शहरों तक व्यापार करने में भी आसानी होगी।

    -आशुतोष सिंह, समाजसेवी

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    परिवहन निगम की बसें संचालित न होने से जनता डग्गामार वाहनों से यात्रा करने के लिए मजबूर है। डग्गामार वाहन जहां ज्यादा भाड़ा वसूलते हैं, वही दुर्घटना के समय जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। परिवहन सेवा के बगैर विकास अधूरा है।

    -शिवानी पांडेय, गृहिणी