कलवारी पुल पर पूरी तरह बंद हुआ वाहनों का आवागमन, टांडा से बस्ती के लिए तय करनी होगी 65 किमी अतिरिक्त दूरी
अम्बेडकरनगर में टांडा-बस्ती मार्ग पर स्थित कलवारी पुल मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया है। दो महीने तक पुल पर यातायात प्रतिबंधित रहेगा जिससे यात्रियों को 65 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी। एनएचएआई ने पुल के क्षतिग्रस्त होने की रिपोर्ट दी थी जिसके बाद मरम्मत कार्य शुरू किया गया है। रूट डायवर्जन किया गया है और वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

संवाद सूत्र, विद्युतनगर। टांडा से बस्ती की दूरी को कम करने वाले कलवारी पुल पर आवागमन शुक्रवार को सुबह से पूरी तरह बंद कर दिया गया है। पुल के मरम्मत का कार्य के दृष्टिगत दो माह तक घाघरा पर बने पूर्वांचल के इस सबसे लंबे पुल पर छोटे-बड़े सभी वाहनों का आवागमन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। ऐसे में लोगों को लगभग 65 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर टांडा से बस्ती तक आवागमन करना होगा।
टांडा से पूर्वांचल के बस्ती, गोरखपुर सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर समेत अन्य जिलों की दूरी लगभग 100 किलोमीटर कम करने वाले कलवारी पुल पर हाईवे का आवागमन उतार दिया गया था। वाहनों का दबाव बढ़ने से पुल क्षतिग्रस्त हो गया। पुल के बेयरिंग से लेकर खंभों तक क्षतिग्रस्त बताए जा रहे हैं।
इसकी रिपोर्ट एनएचएआइ ने छह माह पहले दी थी। तीन महीने पहले एनएचएआइ ने मरम्मत कार्य शुरू कराया था। रूट डायवर्जन के लिए बस्ती जिला प्रशासन से अनुमति मांगी गई थी। कांवड़ यात्रा को देखते हुए अनुमति नहीं मिला पाई थी।
बाद में प्रशासन ने 11 सितंबर से रूट डायवर्जन की अनुमति दी थी। शुक्रवार की सुबह टांडा कलवारी पुल पर आवागमन पूरी तरह रोक दिया गया। सम्हारिया चौराहे पर ही प्रशासन ने रूट डायवर्जन का बोर्ड लगाया है, जबकि पुल पर भी बैरियर और सूचना बोर्ड लगाने के साथ ही पूरे रास्ते को मिट्टी डालकर बंद किया गया है।
मरम्मत कार्य के बीच टांडा से होकर बस्ती जाने वाले यात्रियों को आलापुर के बिड़हर घाट पुल के माध्यम से घनघटा होते हुए जाना पड़ेगा। जबकि बस्ती से आजमगढ़, बनारस जाने वाले वाहनों को धनघटा बाजार से बिड़हर घाट होकर आजमगढ़ निकलना होगा।
इससे लगभग 65 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी। एसडीएम अरविंद कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पुल मरम्मत के दृष्टिगत आवागमन बंद किया गया है।
वर्ष 2013 में शुरू हुआ था निर्माण
वर्ष 2013 में 1.19 अरब रुपये की लागत से तैयार 72 खंभों वाले 2231 मीटर लंबे पुल का लोकार्पण हुआ था। राज्य सेतु निगम से निर्मित पुल को आठ वर्ष में बनाया था। लोकार्पण के बाद 10 वर्षों में यह पुल कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है।
वर्ष 2017 में पुल की बेयरिंग टूटने से लगभग 40 दिनों तक आवागमन बंद रहा। हाईवे के लिहाज से यह पुल शुरू से ही संकरा महसूस किया जा रहा है। पुल पर का पैच जगह-जगह उखड़ चुका है। पुल की सतह पर लगाए गए वायर भी कमजोर हैं।
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