जलालपुर में तमसा नदी पर अतिक्रमण चिन्हित शुरू होते ही मची खलबली
जलालपुर कस्बे में राजस्व टीम ने बगैर मजिस्ट्रेट के तमसा नदी की पैमाइश शुरू कर दी गई है।

अंबेडकरनगर: जलालपुर कस्बे में राजस्व टीम ने बगैर मजिस्ट्रेट के तमसा नदी की पैमाइश शुरू की। नदी के बीचोंबीच से आबादी की तरफ 300 फीट तक पैमाइश कर रहे राजस्व कर्मियों ने तमसा श्रेष्ठ ट्रस्ट के पदाधिकारियों के एतराज के बाद इसे 325 फीट तक बढ़ा दिया। नदी के बीच से पैमाइश करने पर बसखारी-जलालपुर पुल से मछली मंडी व पश्चिम तरफ जा रहा मुख्य मार्ग तक नदी की सीमा में मिला। नदी की सीमा निर्धारित करते ही यहां के निवासियों में खलबली मच गई। हजारों घर इसकी चपेट में आ रहे हैं।
गुरुवार को राजस्व निरीक्षक अंकिता सिंह के साथ लेखपाल धर्मेंद्र सिंह के नेतृत्व में आधा दर्जन लेखपाल व नगरपालिका कर्मचारियों के मौजूदगी में जलालपुर-बसखारी पुल के पूर्वी छोर से पैमाइश शुरू की गई। इस दौरान नायब तहसीलदार, तहसीलदार व उपजिलाधिकारी आदि मौजूद नहीं रहे। बगैर मजिस्ट्रेट के राजस्व निरीक्षक व लेखपाल पैमाइश करते नजर आए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर नदी के तट से 100 मीटर के दायरे में किए गए अतिक्रमण को हटाया जाना है। इसके लिए राजस्व टीम चिन्हांकन कर रही है। उपजिलाधिकारी मोहनलाल गुप्त ने बताया कि नदी के किनारे हजारों परिवार घर बनाकर रहते हैं। लगभग दो से ढाई किलोमीटर तक आबादी फैली हुई है। पैमाइश व चिन्हांकन के बाद ऐसे लोगों की सूची तैयार कर आगे की कार्रवाई के लिए इसे डीएम के पास भेजा जाएगा।
पैमाइश में भी खेल: एनजीटी का स्पष्ट आदेश है कि बरसात के दिनों में नदी की धारा के अधिकतम फैलाव वाले बिदु से दोनों तरफ 100 मीटर के इलाके को पूर्ण रूप से खाली कराया जाए। ऐसे में गर्मी के इस मौसम में एक चौथाई हिस्से में सिमट चुकी जलधारा के बीचोंबीच से 100 मीटर दायरे को चिन्हित करना एनजीटी के आदेशों का सीधे तौर पर मखौल उड़ाना है। इन दिनों नदी मुश्किल से 50 फीट चौड़ाई में बह रही है, जबकि बरसात में इसका दायरा बढ़कर 200 से 250 मीटर तक हो जाता है। एनजीटी की शर्तों के मुताबिक वर्तमान में नदी की बीच धारा से कम से कम 150 मीटर तक के अतिक्रमण को चिन्हित किया जाना चाहिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।