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    अंबेडकरनगर में फिर से बढ़ने लगा घाघरा नदी का जलस्‍तर, कटान के मुहाने पर खड़ी फसलें

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 04:49 PM (IST)

    राजेसुल्तानपुर में घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से मांझा कम्हरिया और आराजी देवारा में कटाव तेज हो गया है। खतरे के निशान से ऊपर जलस्तर पहुँचने पर किसान अपनी फसलें काटने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ नियंत्रण के उपाय नाकाफी हैं जबकि विभाग का कहना है कि निगरानी की जा रही है और मुआवजे का प्रयास होगा।

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    माझा कम्हरिया में कटान की चपेट में आई धान की फसलें।- जागरण

    संवाद सूत्र, राजेसुल्तानपुर। घाघरा नदी का जलस्तर एक बार फिर से बढ़ने लगा है। मांझा कम्हरिया एवं आराजी देवारा में नदी की कटान तेज हो गई है। कटान के मुहाने पर खड़ी धान एवं गन्ने की फसलों को लोग स्वयं काटने में जुटे हैं। बुधवार को नदी का जलस्तर खतरे के निशान 92.730 मीटर से ऊपर 93.040 मीटर पर पहुंच गया है। घाघरा नदी से कटान को रोकने व बचाव में बाढ़ खंड और राजस्व कर्मी जुटे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह कार्य समय से पहले किया गया होता तो तबाही का सामना न करना पड़ता।

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    पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश से नदी का जलस्तर फिर से बढ़ने लगा है, इससे ग्रामीणों को उपजाऊ भूमि तेजी से नदी में समाहित होने का भय सता रहा है। ग्रामीणों का अनुमान है कि इस महीने के मध्य में बाढ़ आने की संभावना प्रबल है। मांझा कम्हरिया के कल्लू का पुरवा, करिया लोनी का पुरवा, निषाद बस्ती, इटौरा ढोलीपुर, हंसू का पुरवा आदि गांवों के दर्जनों किसानों की खेतों में खड़ी फसलें नदी कटान की भेंट चढ़ रही हैं। वहीं कटान प्रभावित क्षेत्रों के किसान अपनी धान एवं गन्ने की फसलों को नदी में समाहित होता देख उसे काटकर पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।

    ग्रामीणों ने बताया कि नदी की धारा दक्षिणी किनारे पर स्थित आबादी की तरफ बढ़ रही है, जिससे निकट भविष्य में आबादी के भी प्रभावित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ खंड सिंचाई विभाग कटान रोकने के लिए किए जा रहे सभी उपाय नाकाफी हैं। हर वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कटान रोकने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। सहायक अभियंता अंशुल वर्मा ने बताया कि राजस्व कर्मियों के साथ हम लोग कटान क्षेत्रों की नियमित निगरानी कर रहे हैं। नदी का जलस्तर बढ़ा है, लेकिन कटान ज्यादा नहीं हो रही है। किसानों की फसलों का सर्वे कराकर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी जाएगी। किसानों को मुआवजा देने का प्रयास किया जाएगा।

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