4.52 करोड़ से जिला अस्पताल में लगेगा अग्निशमन संयंत्र, 2005 से संचालित है हॉस्पिटल
अंबेडकरनगर जिला अस्पताल में 4.52 करोड़ रुपये की लागत से अग्निशमन संयंत्र लगाया जाएगा। यह अस्पताल 2005 से संचालित है और इसमें सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत ...और पढ़ें

4.52 करोड़ से जिला अस्पताल में लगेगा अग्निशमन संयंत्र।
संवाद सूत्र, अंबेडकरनगर। संयुक्त जिला चिकित्सालय का संचालन आरंभ हुए 20 वर्ष बीत गए, लेकिन अभी तक आग से होने वाले हादसों से निपटने में संयंत्र नहीं लगा सका था। आग बुझाने में सिलेंडर संग पाइप लगाया गया है।
नया फायर अलार्म समेत अग्निशमन संयंत्र लगाने पर चार करोड़ 52 लाख रुपये व्यय होगा। इसके लिए शासन ने संस्था को नामित करते हुए स्टीमेट को स्वीकृति किया है। फरवरी-मार्च में सुविधाओं से आच्छादित होने की उम्मीद है।
जिला चिकित्सालय भवन का निर्माण कई चक्र में निर्मित होने से अग्निशमन विभाग से अभी तक एनओसी नहीं मिली है, जबकि यह चिकित्सालय वर्ष 2005 से संचालित है। इसके आसपास कई और भवन भी बन तैयार हो चुके हैं।
लगभग सात वर्ष पहले एकबार दूसरे तल पर शॉर्ट-सर्किट से आग लगी थी, इसमें आग से नहीं बल्कि सीढ़ियों से गिरकर पांच से आठ लोग घायल हुए थे।
हालांकि आग से बचाव में सिलेंडर और परिसर में जलापूर्ति के लिए पाइप लगाई गई है। इसकी पड़ताल प्रत्येक छह माह में एक बार किया जाता है। तत्कालीन सीएमएस डॉ. ओमप्रकाश की मांग अब पुरी हुई।
अस्पताल प्रबंधक डॉ. हर्षित गुप्त ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने अयोध्या मंडल के अपर निदेशक को पत्र भेजकर कार्ययोजना और बजट का आंकलन मांगा गया था। ताकि एनओसी मिलने की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सके।
इसी के आधार पर नामित संस्था यूपी सिडको (उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड) ने लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का एस्टीमेट बनाकर शासन से धनराशि मांगी गई थी, इसे अब स्वीकृति मिल गई है।
नया संयंत्र व स्मोक डिटेक्टर लगेगा
चार सामान्य और तीन इमरजेंसी वाले जिला चिकित्सालय में अब अग्निशमन का पूरा संयंत्र नये सिरे से लगाया जाएगा। इसमें स्वचलित मोटर, टैंक, पाइप, फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर सहित पूरा संयंत्र स्थापित किया जाएगा।
वार्डों के बाहर नहीं लगे अग्निशमन सिलेंडर
प्रसव कक्ष, महिला वार्ड, एसएनसीयू वार्ड संग कई वार्डों के मुख्य दरवाजे पर कोई भी अग्निशमन सिलेंडर नहीं लगाया गया है, जबकि बिजली के बड़े बोर्ड लगाए गए हैं। ऐसे में वार्ड में कोई घटना होने पर सबसे पहले कर्मचारी सिलेंडर की तलाश करेंगे।
गलियारे में आने-जाने से हमेशा बना जोखिम
एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड जांच कराने के लिए जहां मरीज बैठते हैं। यहां कोई घटना होने पर भगदड़ मचने से बड़ा हादसा हो सकता है। कारण गलियारे में सौ से अधिक लोग एक साथ जमा रहते हैं। इनके आने-जाने का एक ही रास्ता है।
शासन ने कार्यदायी संस्था के एस्टीमेट को स्वीकृत कर लिया है। आगामी दो-तीन माह में कार्य प्रारंभ किया जा सकता है। फायर संबंधित सभी उपकरण स्थापित होंगे। इसमें एमसीएच विंग में भी लगे फायर संयत्रों की मरम्मत कराई जाएगी। -डॉ. पीएन यादव, सीएमएस।

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