Ambedkar Nagar News: रेफर हुईं प्रसव पीड़िता तो अधीक्षक व आशा की जवाबदेही, CMO ने लिए सख्त एक्शन
अंबेडकरनगर में प्रसव पीड़िताओं को रेफर करने पर डॉक्टरों को अब लिखित में कारण बताना होगा। सीएमओ ने यह निर्देश निजी अस्पतालों में प्रसूताओं की मौत के बाद दिया। जांच में पता चला कि सरकारी अस्पतालों से रेफरल अभियान चलाकर मरीजों को निजी नर्सिंग होम में भेजा जा रहा है। आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम को सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया गया है।

जागरण संवाददाता, अंबेडकरनगर। पीएचसी, सीएचसी एवं जिला चिकित्सालय से कोई भी प्रसव पीड़िता उच्च चिकित्सा संस्थान को रेफर होती है तो इसका वाजिब कारण अब डाक्टरों को लिखित में देना होगा।
बीते माह में प्राइवेट हास्पिटलों में हुई प्रसूताओं की मौत एवं सीएमओ के निरीक्षण में यह पता चला कि रेफर अभियान चलाकर मरीजों को सरकारी संस्थानों से निजी नर्सिंग होम शिफ्ट दिया जाता है। सीएमओ ने सभी अधीक्षक, आशा को पत्र भेजकर प्रसव पीड़िताओं को सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराने का निर्देश दिया है। रेफर होने पर जवाबदेही भी तय की है।
सीएचसी, जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कालेज सद्दरपुर टांडा में कार्यरत अधिकांश संविदा एवं स्थाई चिकित्सकों का नर्सिंग होम जिले में धड़ल्ले से चल रहा है। हालांकि लाइसेंस दूसरों के नाम है लेकिन ओपीडी ऐसे डाक्टरों के हवाले ही है।
सरकारी अस्पतालों से ही मरीजों को बरगलाकर अपने नर्सिंग होम ले जाने में सफल हो रहे हैं। बीते सप्ताह डिप्टी सीएमओ डा. संजय वर्मा, आशुतोष सिंह व कर्मचारी टांडा रोड पर संचालित एमकेडी हास्पिटल में छापेमारी की थी।
यहां पर रूबी नाम की प्रसव पीड़िता को सीएचसी से जिला चिकित्सालय फिर मेडिकल कालेज और वहां से लखनऊ रेफर किया गया। लेकिन दलालों की चंगुल में फंस प्रसव पीड़िता निजी हास्पिटल पहुंचा दी गई। यह हास्पिटल मेडिकल कालेज में तैनात चिकित्सक दंपति का बताया जा रहा है। इसी प्रकरण के बाद सीएमओ की कार्यशैली सख्त हुई है।
प्राइवेट हास्पिटलों में प्रसूताओं की मौत के बाद जागा विभाग
बीते 24 नवंबर को उर्मिला निषाद की मौत जय गुरुदेव हास्पिटल कम्हरिया घाट, आलापुर का अमन हास्पिटल, बसखारी, जलालपुर तहसील क्षेत्र में बीते आठ माह में लगभग 30 से अधिक प्रसूताओं की मौत प्रसव के दौरान हुई। दोषी हास्पिटलों को सील भी किया गया। इन मौत के बाद विभागीय अधिकारियों की नींद टूटी तब लाइसेंस प्रक्रिया को जटिल करते हुए समक्ष सत्यापन प्रक्रिया अपनाई गई।
अधीक्षक, आशा व स्टाफ नर्स को भेजा पत्र
सीएमओ ने पत्र में निर्देश दिया कि अधीक्षक, आशा एवं स्टाफ नर्स प्रसव पीड़िता को जांच एवं प्रसव के लिए प्राइवेट संस्थान भेज देते हैं। इसका जांच में खुलासा हो चुका है, इसलिए अपने कार्यों के प्रति संवेदनशील रहे, नहीं तो जवाबदेही बनेगी। आशाओं व एएनएम गर्भवती एवं उसके स्वजन को समझाए कि प्रसव सरकारी अस्पतालों में कराएं, वहां व्यवस्था अच्छी है और भोजन व दवाएं निश्शुल्क दिया जाता है।
25 से 60 हजार वसूल करते हैं निजी डाक्टर
निजी नर्सिंग होम में सामान्य प्रसव पर भी 25 से 30 हजार रुपये वसूल कर रहे हैं। माइनर सर्जरी व बड़ी सिजेरियन में 40 से 60 हजार रुपये तक वसूल कर रहे हैं। गंभीर व जच्चा-बच्चा को खतरा बताकर नर्सिंग हाेम में शिफ्ट कर दिया जाता है।
जांच के दौरान पता चला है कि सरकारी अस्पतालों से रेफर प्रसव पीड़िताओं को निजी हास्पिटल पहुंचा दिया जा रहा है। इसके लिए दलालों का एक चेन काम कर रहा है। जांच प्रक्रिया संचालित है, इसमें किसी भी दोषी को नहीं छोड़ा जाएगा। जहां से रेफर किया जाएगा उस मरीज की पूरी केस डायरी बनानी होगी, उसे चाहे जब देखा जा सकता है। इन कारणों से गरीब जनता का धन व्यय होता है और विभाग की छवि भी धूमिल होती है।
डा. संजय कुमार शैवाल, सीएमओ।
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