यूपी के किसानों ने ऐसा क्या कर दिया जो लगा 70000 का अर्थदंड? 14 लोगों को मिली सजा
अंबेडकरनगर में धान कटाई के बाद पराली जलाने के मामले बढ़े हैं। 14 किसानों पर 70 हजार का जुर्माना लगा, जिसमें से 15 हजार वसूले गए। पिछले साल 128 मामले दर्ज हुए थे। जागरूकता अभियानों के बावजूद पराली जलाने के मामले नहीं थम रहे। कृषि निदेशक ने किसानों से पराली न जलाने और गोशाला भेजने की अपील की है, ताकि पर्यावरण और भूमि को बचाया जा सके।

संवाद सूत्र, अंबेडकरनगर। धान की कटाई अंतिम चरण में होने संग पराली जलाने के मामले बढ़ने लगे हैं। पराली जलाने पर 14 किसानों पर अर्थदंड लगा गया है। इसमें कुल 70 हजार का अर्थदंड आरोपित किया गया है। इसके सापेक्ष 15 हजार रुपये की वसूली की गई है। गत वर्ष कुल 128 घटनाएं दर्ज हुई थीं, इसमें 89 पराली जलाने व 39 कूड़ा-करकट जलाने के मामले शामिल हैं।
किसानों से जुर्माना राशि भी वसूला गया था। पराली नहीं जलाएं, पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है,इससे भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है। तमाम स्लोगन के माध्यम से प्रचार-प्रसार व जागरूकता के बाद भी पराली जलाने के मामले थम नहीं रहे हैं। कृषि अपशिष्ट एवं पराली के वृहद रूप से जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और मानव जीवन पर कुप्रभाव पड़ रहा है।
इसे सर्वोच्च न्यायालय ने इसे संज्ञान में लिया गया है। पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्टों के जलाने से पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए जनपद, तहसील व ब्लाक स्तर पर टीम का गठन हुआ है। उक्त टीमों के निर्देशन में निरंतर कृषकों को जागरूक किया जा रहा है।
उपकृषि निदेशक डा. अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि दो एकड़ से कम क्षेत्रफल के लिए पांच हजार रुपये, दो से पांच एकड़ 10 हजार रुपये और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लिए 30 हजार रुपये तक पर्यावरण जुर्माना की वसूली के निर्देश हैं।
बताया कि इस वर्ष अकबरपुर के तीन, आलापुर में पांच, जलालपुर में चार, टांडा में दो कृषकों पर 70 हजार रुपये जुर्माना अधिरोपित हुआ है। कहा कि किसान भाई पराली नहीं जलाएं, बल्कि गोशाला पर भेजें। बताया कि किसान वायु प्रदूषण के खिलाफ स्वयं जिम्मेदार बनें और भूमि को खराब होने से बचाएं।

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