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    सैर-सपाटा: आप भी ​​​​​आइए प्रयागराज के निकट इन वादियों में, देखने झरनों का सौंदर्य और प्राकृतिक नजारे

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Mon, 12 Jul 2021 07:00 AM (IST)

    नारीबारी से थोड़ा आगे मध्य प्रदेश की सीमा में आने वाले चाकघाट होकर सोहागी पहाड़ चढ़ते ही प्रकृति का सौंदर्य दिखने लगता है। पास में क्योटी चचाई और बहूती झरना हैैं। कोरोना की दूसरी लहर मंद होने और बारिश से मौसम सुहाना होते ही लोग यहां पहुंचने लगे हैं।

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    विंध्य पर्वत श्रृंखला में रीवा जनपद के तीन जलप्रपात पर जुटने लगी है भीड़

    प्रयागराज, ज्ञानेंद्र सिंह। हरे-भरे पहाड़। कल-कल करती नदियां, ऊंचाई से गिरते झरने, वन्य जीव-जंतु। देखते ही मुंह से बरबस यही निकलता है कि 'वाह क्या नजारा है। बात हो रही है उप्र-मप्र सीमा पर विंध्य पर्वत श्रृंखला में प्रयागराज और उसके आसपास के क्षेत्र की। यहां प्राकृतिक छटा इस बार देखते ही बन रही है। बारिश के बाद झरने मानो पिकनिक स्पाट बन गए हैैं। एक ही दिन में तीन-तीन झरनों को देखने मौका मिलता है यहां।

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    मौसम हुआ सुहाना तो पहुंच रहे सैलानी

    आपदा में अवसर विंध्य के पहाड़ों ने भी दिया है। नारीबारी से थोड़ा आगे मध्य प्रदेश की सीमा में आने वाले चाकघाट होकर सोहागी पहाड़ चढ़ते ही प्रकृति का सौंदर्य दिखने लगता है। पास में क्योटी, चचाई और बहूती झरना हैैं। कोरोना की दूसरी लहर मंद होने और बारिश से मौसम सुहाना होते ही लोग यहां पहुंचने लगे हैं। प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी, भदोही, जौनपुर, फतेहपुर के लोग अब यहां वीकेंड मनाने आ रहे हैं। मेजा के गुनई निवासी बिन्नू तिवारी कहते हैैं कि कुछ ही दूरी पर तीन झरने होने का अलग ही आनंद है। रविवार को हंडिया के गौरव सपरिवार और रिश्तेदारों के साथ यहां पहुंचे थे। कहा कि दिन भर प्रकृति की गोद में रहे और रात को ढाबे पर भोजन कर घर लौटे। इसी दिन झरनों का आनंद लेने गए प्रतापगढ़ के राकेश सोनी भी पहुंचे थे। झरनों की सुंदरता से अभिभूत दिखे। बोले, ऐसा लग रहा है मानो हम उत्तराखंड या हिमालय की वादियों में हों।

    डेढ़ घंटे लगता है पहुंचने में

    प्रयागराज जिला मुख्यालय से यह झरने मात्र 75 से 80 किमी दूर हैैं। लगभग डेढ़ घंटे में यहां लोग पहुंच जाते हैैं। पर्यटकों की तादाद बढऩे से हाईवे पर फेमिली ढाबे और रिजार्ट भी बन गए हैैं। रेस्टोरेंट व चाय-नाश्ते की दुकानें गुलजार हो चली हैैं। इससे रोजगार के पैदा हुए हैं।

    चचाई फाल यानी भारत का नियाग्रा फाल

    चचाई जलप्रपात को स्थानीय लोग भारत का नियाग्रा फाल भी कहते हैं। यहां प्राकृतिक सुंदरता अद्भुत है। इसकी ऊंचाई लगभग 130 मीटर है और गहराई करीब 115 मीटर । यह जलप्रपात सबसे अधिक एकल बूंद वाले झरनों में एक है।

    विस्मयकारी ऊंचाई से क्योटी फाल मुख्य आकर्षण

    क्योटी जलप्रपात प्रयागराज और रीवा क्षेत्र का मुख्य आकर्षण है। यह अपनी विस्मयकारी ऊंचाई के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता हैं। झरने का दृश्य नीचे से बेहद शानदार दिखाई देता है। ऊंचाई लगभग 130 मीटर है।

    बहुती में है बहुत पानी

    बहुती जलप्रपात पानी की बहुतायत के लिए जाने जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 142 मीटर है। यह चचाई और क्योटी झरने से भी ऊंचा है। करीब एक किलोमीटर दूर से ही पानी गिरने की आवाज सुनाई देने लगती है।

    बरतें सावधानी, जोखिम नहीं लें

    यदि यहां घूमने जाएं तो सतर्कता अवश्य बरतें। स्नान के दौरान कई लोग झरने में गिर चुके हैैं। वर्ष 2020 के सितंबर माह में प्रयागराज के 13 युवा दो समूहों में गए थे, जिनमें प्रयागराज के मुटठीगंज, कीटगंज, धूमनगंज और सरायइनायत के छह युवक डूब गए थे।