नाथ संप्रदाय के प्रणेता गुरु गोरखनाथ सम्मान से सम्मानित होंगे साहित्यकार
हिंदुस्तानी एकेडमी साहित्यकारों को गुरु गोरखनाथ सम्मान से सम्मानित करेगी। अकादमी 21 साल बाद एक बार फिर साहित्यकारों के सम्मान की परंपरा को शुरू करने जा रही है।
प्रयागराज, जेएनएन : हिंदी-उर्दू साहित्य को संरक्षित करने वाली ¨हदुस्तानी एकेडमी 21 साल बाद सम्मान समारोह कराएगी। साहित्यकारों को सबसे बड़ा सम्मान नाथ संप्रदाय के प्रणेता गुरु गोरखनाथ के नाम से मिलेगा। साहित्य के क्षेत्र में गोरखनाथ के नाम से यह पहला सम्मान है। इसके तहत साहित्यकारों को पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नाथ सम्प्रदाय की परंपरा से आते हैं। इसके चलते गोरखनाथ सम्मान चर्चा का केंद्र है। हिंदुस्तानी एकेडमी का सम्मान काफी पुराना है। पहले यह सम्मान हिंदुस्तानी एकेडमी नाम से ही दिया जाता है। मुंशी प्रेमचंद को 1928-29 में पहला हिंदुस्तानी एकेडमी सम्मान मिला था, जबकि अंतिम पुरस्कार डॉ. नामवर सिंह को 1997-98 में दिया गया।
इसके बाद वित्तीय संकट के चलते पुरस्कार की परंपरा बंद हो गई। प्रदेश में योगी सरकार के आने पर एकेडमी ने सम्मान की परंपरा पुन: शुरू की है। इसके लिए 19 फरवरी से दस मार्च 2019 तक आवेदन लिए गए, जिसमें प्रदेश भर के 80 रचनाकारों ने आवेदन किए हैं। पहले 29 मार्च को पुरस्कार की घोषणा हो जानी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते उसे आगे बढ़ा दिया गया।
अब जुलाई में रचनाकार पुरस्कृत होंगे। हिंदुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह ने बताया कि गुरु गोरखनाथ पहले कवि माने जाते हैं। हिंदी व संस्कृत में उनके अनेक उपदेश हैं। सही मायने में उन्होंने ही हिंदी को भाषा के रूप में स्थापित किया है, जिसके चलते उनके नाम से सम्मान देने का निर्णय लिया गया है। साहित्यिक चिंतक प्रो. एमसी चट्टोपाध्याय का कहना कि हिंदुस्तानी एकेडमी में सम्मान की परंपरा पुन: आरंभ होना अच्छा कदम है, लेकिन सम्मान किसी संत के बजाय मुंशी प्रेमचंद, निराला, पंत जैसे रचनाकारों के नाम पर मिलना चाहिए। उर्दू के साहित्यकारों को बढ़ावा देने के लिए भी काम होना चाहिए।
इन नामों से मिलेंगे सम्मान
-गुरु गोरखनाथ सम्मान : पांच लाख रुपये
-गोस्वामी तुलसीदास सम्मान : 2.50 लाख रुपये
-भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान : पुरस्कार दो लाख रुपये
-आचार्य महावीर प्रसाद सम्मान : दो लाख रुपये
-महादेवी वर्मा सम्मान : एक लाख रुपये
-फिराक गोरखपुरी : सम्मान एक लाख रुपये
-भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान : एक लाख
-बनादास अवधी सम्मान : एक लाख रुपये
-कुंभनदास ब्रजभाषा सम्मान : एक लाख
-ईसुरी बुंदेली सम्मान : एक लाख रुपये
-हिंदुस्तानी एकेडमी युवा लेखन सम्मान : 11 हजार रुपये
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नाथ सम्प्रदाय की परंपरा से आते हैं। इसके चलते गोरखनाथ सम्मान चर्चा का केंद्र है। हिंदुस्तानी एकेडमी का सम्मान काफी पुराना है। पहले यह सम्मान हिंदुस्तानी एकेडमी नाम से ही दिया जाता है। मुंशी प्रेमचंद को 1928-29 में पहला हिंदुस्तानी एकेडमी सम्मान मिला था, जबकि अंतिम पुरस्कार डॉ. नामवर सिंह को 1997-98 में दिया गया।
इसके बाद वित्तीय संकट के चलते पुरस्कार की परंपरा बंद हो गई। प्रदेश में योगी सरकार के आने पर एकेडमी ने सम्मान की परंपरा पुन: शुरू की है। इसके लिए 19 फरवरी से दस मार्च 2019 तक आवेदन लिए गए, जिसमें प्रदेश भर के 80 रचनाकारों ने आवेदन किए हैं। पहले 29 मार्च को पुरस्कार की घोषणा हो जानी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते उसे आगे बढ़ा दिया गया।
अब जुलाई में रचनाकार पुरस्कृत होंगे। हिंदुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह ने बताया कि गुरु गोरखनाथ पहले कवि माने जाते हैं। हिंदी व संस्कृत में उनके अनेक उपदेश हैं। सही मायने में उन्होंने ही हिंदी को भाषा के रूप में स्थापित किया है, जिसके चलते उनके नाम से सम्मान देने का निर्णय लिया गया है। साहित्यिक चिंतक प्रो. एमसी चट्टोपाध्याय का कहना कि हिंदुस्तानी एकेडमी में सम्मान की परंपरा पुन: आरंभ होना अच्छा कदम है, लेकिन सम्मान किसी संत के बजाय मुंशी प्रेमचंद, निराला, पंत जैसे रचनाकारों के नाम पर मिलना चाहिए। उर्दू के साहित्यकारों को बढ़ावा देने के लिए भी काम होना चाहिए।
इन नामों से मिलेंगे सम्मान
-गुरु गोरखनाथ सम्मान : पांच लाख रुपये
-गोस्वामी तुलसीदास सम्मान : 2.50 लाख रुपये
-भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान : पुरस्कार दो लाख रुपये
-आचार्य महावीर प्रसाद सम्मान : दो लाख रुपये
-महादेवी वर्मा सम्मान : एक लाख रुपये
-फिराक गोरखपुरी : सम्मान एक लाख रुपये
-भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान : एक लाख
-बनादास अवधी सम्मान : एक लाख रुपये
-कुंभनदास ब्रजभाषा सम्मान : एक लाख
-ईसुरी बुंदेली सम्मान : एक लाख रुपये
-हिंदुस्तानी एकेडमी युवा लेखन सम्मान : 11 हजार रुपये
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