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    प्रयागराज में है दुनिया का दूसरा सबसे उम्रदराज कल्पवृक्ष, सबसे पुराना पेड़ है दक्षिण अफ्रीका में

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sat, 21 May 2022 12:55 PM (IST)

    हजारों वर्ष तक जीवित रहने वाले कल्पवृक्ष को इच्छापूर्ति वृक्ष भी माना जाता है। दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन कल्पवृक्ष तीर्थराज प्रयागराज के झूंसी स्थित प्रतिष्ठानपुरी में मौजूद है। तीसरा सबसे पुराना कल्पवृक्ष श्रीलंका के मन्नार टाउन में है जिसकी उम्र 750 साल आंकी गई है।

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    दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन कल्पवृक्ष तीर्थराज प्रयागराज के झूंसी स्थित प्रतिष्ठानपुरी में

    मृत्युंजय मिश्र, प्रयागराज। पुराणों में कल्पवृक्ष को समुद्र मंथन में निकला दिव्य वृक्ष माना जाता है। हजारों वर्ष तक जीवित रहने वाले कल्पवृक्ष को इच्छापूर्ति वृक्ष भी माना जाता है। दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन कल्पवृक्ष तीर्थराज प्रयागराज के झूंसी स्थित प्रतिष्ठानपुरी में मौजूद है। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) के वैज्ञानिकों ने शोध में प्रयागराज और बाराबंकी स्थित कल्पवृक्ष की वास्तविक उम्र का पता लगा लिया है। ये दोनों वृक्ष 800 वर्ष पुराने हैं। तीसरा सबसे पुराना कल्पवृक्ष श्रीलंका के मन्नार टाउन में है जिसकी उम्र 750 साल आंकी गई है।

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    सबसे पुराना कल्पवृक्ष अफ्रीका में, इसकी उम्र है दो हजार साल

    कल्पवृक्ष (एडनसोनिया डिजिटाटा) को आमतौर पर बाओबाब पारिजात या विलायती इमली कहा जाता है। यह दुर्लभ प्रजाति है भारत में। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआइ) की प्रयागराज इकाई की वैज्ञानिक डा. आरती गर्ग के अनुसार बीएसआइ तथा रोमानिया के प्रो. एड्रियन पैट्रुट की टीम ने कल्पवृक्षों के समय-काल निर्धारण के लिए अध्ययन किया। नमूनों पर अनुसंधान दल ने एक्सीलेटर मास स्पेक्ट्रोस्कोपी (एएमएस) तकनीक से प्राप्त रेडियोकार्बन के आधार पर उम्र का अनुमान लगाया।

    प्रयागराज स्थित झूंसी और बाराबंकी के किंतूर स्थित कल्पवृक्ष 800 वर्ष के पाए गए। डा. गर्ग कहती हैं कि 1200 संवत के आसपास यह वृक्ष विकसित होने लगे। सबसे पुराना कल्पवृक्ष अफ्रीका में है और इसकी उम्र दो हजार साल है। माना जाता है कि हिंद महासागर से व्यापार संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से आए अफ्रीकी, अरब नाविकों तथा पुर्तगाली, डच और फ्रांसीसी आंक्राताओं के जरिए यह पारिजात वृक्ष भारत पहुंचे।

    पानी की कमी से मजबूती प्रभावित

    कल्पवृक्ष (पारिजात) की लकड़ी में पानी की मात्रा लगभग 79 प्रतिशत तक होती है, इस वजह से वह सीधे खड़े रहते हैं। चिंताजनक यह है कि प्रयागराज व बाराबंकी स्थित कल्पवृक्ष का पानी कम होता जा रहा है।

    14 मीटर ऊंचा है प्रयागराज का वृक्ष

    गंगा नदी के बाएं किनारे पर मिट्टी के विशाल टीले पर कल्पवृक्ष फैला है। इसकी परिधि 21.2 मीटर तथा ऊंचार्ई 14 मीटर है। बाराबंकी जिले के किंतूर गांव के पास मौजूद परिजात 13.7 मीटर ऊंचा है और इसकी परिधि 14.10 मीटर है।

    औषधीय गुणों से है भरपूर

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कल्पवृक्ष में प्रचुर मात्रा में अमीनो एसिड, संतरे से ज्यादा विटामिन सी और गाय के दूध से अधिक कैल्शियम होता है। इसमें कीट-पतंगों को भगाने की खासियत है।