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    संविधान के अच्छे जानकार और साहित्य से प्यार... ऐसे थे केशरी नाथ त्रिपाठी; 1953 में गए थे जेल

    By Jagran NewsEdited By: Ashish Pandey
    Updated: Sun, 08 Jan 2023 11:40 AM (IST)

    Who is Keshari Nath Tripathi बंगाल के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पूर्व अध्यक्ष पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी का आज सुबह पांच बजे प्रयागराज में निधन हो गया। वह 88 साल के थे।

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    नहीं रहे बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी (फाइल फोटो)। जागरण

     जागरण संवाददाता, प्रयागराज: बंगाल के पूर्व राज्यपाल पं. केशरीनाथ त्रिपाठी विधिवेत्ता होने के साथ साहित्य में भी गहरी रुचि रखते थे। काव्यधारा से खास लगाव था। उनके कई काव्य संग्रह उनकी याद दिलाएंगे हमेशा-हमेशा। राजभाषा हिंदी के विस्तार में भी बढ़ चढ़ कर सहयोग दिया, कई देशों में राजभाषा के उन्नयन के लिए गए । हिंदी से इतर साहित्यकारों को सौहार्द सम्मान से समलंकृत कर उनका समर्थन और सहयोग प्राप्त किया। विदेश में रह रहे भारतीय मूल के साहित्यकारों की साहित्य साधना का अवलोकन कर उनकी प्रतिभा का मूल्यांकन किया। सन् 1999 में छठां विश्व हिंदी सम्मेलन लंदन में हुआ, उसमें देश का प्रतिनिधित्व किया। सन् 2003 में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में भी प्रतिभागिता की। उन्हें भारत गौरव सम्मान, विश्व भारती सम्मान, उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान, हिंदी गरिमा सम्मान, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, साहित्य वाचस्पति सम्मान, अभिषेकश्री सम्मान, बागीश्वरी सम्मान, चाणक्य सम्मान (कनाडा में) , काव्य कौस्तुभ सम्मान जैसे सम्मान उन्हें मिले थे।

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    साहित्य साधन पर नजर दौड़ाएं तो पूर्व राज्यपाल के नाम सात कविता संग्रह तथा एक दोहा संग्रह है। काव्य संग्रहों में ‘मनोनुकृति’, ‘आयु पंख’, ‘चिरंतन’, ‘उन्मुक्त’ ,‘मौन और शून्य’, जख्मों पर सबाब , खयालों का सफर शामिल है। एक दोहा संग्रह ‘निर्मल दोहे’ के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2015 में सभी काव्य संग्रहों को मिला कर डा. प्रकाश त्रिपाठी के संपादन में ‘संचयिता : केशरीनाथ त्रिपाठी’ का प्रकाशन हुआ। उनके भाषणों का संकलन भी है ‘समय-समय पर’ नाम से। द इमिजेज (मनोनुकृति का अंग्रेजी में अनुवाद) तथा मनोनुकृति काव्य संग्रह पर आलोचनात्मक कृति मनोनुकृति : रचना और आलोचना (स.प्रकाश त्रिपाठी ) पुस्तकें भी उन्होंने लिखीं।

    इलाहाबाद बार एसो. के अध्यक्ष भी रहे

    पं. केशरीनाथ त्रिपाठी ने अधिवक्ता के रूप में 1956 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पंजीकरण कराया। एक वर्ष का प्रशिक्षण एडवोकेट बाबू जगदीश स्वरूप से लिया। वर्ष 1965 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पुस्तकालय सचिव तथा वर्ष 1987-88 एवं 1988-89 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष 1980 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश का पद स्वीकार करने का प्रस्ताव आया जिसे अस्वीकार कर दिया। वर्ष 1989 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नाम निर्दिष्ट किया। संविधान संबंधी मामलों में उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है। इस विषय पर उन्होंने पुस्तक भी लिखी। वर्ष 1992-93 में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें विधायिका, न्यायपालिका में सौहार्दपूर्ण संबंध रखने वाली समिति का सदस्य नामित किया गया।

    1953 में जाना पड़ा था जेल

    पं. केशरीनाथ त्रिपाठी 1946 में आरएसएस के स्वयंसेवक बने। जनसंघ के स्थापना काल 1952 में उससे जुड़ गए थे। जनसंघ द्वारा 1953 में चलाए गए कश्मीर आंदोलन में सक्रियता दिखाई। इसे लेकर जेल भी गए। नैनी जेल में राजनीतिक कैदी के रूप में रहे। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर झूंसी विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए। 1977 में ही पहली बार वित्त तथा बिक्री कर मंत्री बने। इस पद पर अप्रैल 1979 तक आसीन रहे। मंत्री पद छोड़ने के बाद उन्होंने पुनः हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। भाजपा के टिकट पर वर्ष 1989, 1991, 1993, 1996 तथा 2002 में शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा सदस्य चुने गये। कुल मिलाकर छह बार विधानसभा सदस्य रहे। 30 जुलाई 1991 से 15 दिसंबर 1993 तक, 27 मार्च 1997 से मार्च 2002 तक तथा मार्च 2002 से 19 मई 2004 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के तीन बार अध्यक्ष बनने का गौरव उन्हें मिला। वह कामनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन की उत्तर प्रदेश शाखा के अध्यक्ष भी रहे। संविधान विद के रूप में उनकी ख्यात ऐसी थी कि मई 2014 में पहली बार सरकार बनने के बाद 14 जुलाई सन 2014 को उन्हें बंगाल का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद 27 नवम्बर 2014 को बिहार, 06 जनवरी 2015 को मेघालय व बाद में मिजोरम व त्रिपुरा तथा पुनः बिहार के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।

    सात संतानों में सबसे छोटे थे पं. केशरीनाथ

    पं. केशरीनाथ त्रिपाठी का जन्म कार्तिक शुक्ल चतुर्थी, दिन शनिवार, दिनांक 10 नवंबर, सन् 1934 को प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) में हुआ। वह अपने पिता की सात संतानों, चार पुत्रियों तथा तीन पुत्रों में सबसे छोटे थे। घर में इन्हें ‘भइया’ के नाम से संबोधित किया जाता है। पूर्वज मूल निवासी ग्राम पीड़ी (पिण्डी), तहसील सलेमपुर के रहने वाले थे। यह पहले गोरखपुर जनपद का हिस्सा था। बाद में देवरिया जनपद का अंग हो गया। कालांतर में वहां से कुछ पूर्वज प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) के नींवा में आकर बस गए। सन् 1850 ई. के लगभग पितामह पं. मथुरा प्रसाद त्रिपाठी, ग्राम नीवां से इलाहाबाद शहर चले आए। मथुरा प्रसाद के पिता का नाम पं. बाल गोविंद त्रिपाठी था। पं. केशरीनाथ त्रिपाठी के पितामह ने सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस को हिंदी, संस्कृत, उर्दू तथा फारसी सिखाई। वह सन् 1876 में उच्च न्यायालय में सेवारत हो गए। उन्होंने एक संस्कृत पाठशाला की भी स्थापना की जो बहादुरगंज में अब भी संचालित है।

    केशरीनाथ के पिता स्वर्गीय पं. हरिश्चन्द्र त्रिपाठी को लोग हरी महाराज के नाम से पुकारते थे। वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सन् 1913-1914 में तैनात हुए। अपने पिता की तरह पं. हरिश्चन्द्र त्रिपाठी भी सामाजिक कार्यों में लगे रहते थे। उन्होंने सरयूपारीण स्कूल स्थापित कराया। अब उसे सर्वार्य इंटर कालेज के रूप में जाना जाता है।

    प्रारंभिक शिक्षा सेंट्रल हिंदू स्कूल से मिली

    केशरीनाथ त्रिपाठी को प्रारंभिक शिक्षा के लिए 1940 में सेंट्रल हिंदू स्कूल में प्रवेश दिलाया गया था। अगले वर्ष कक्षा दो से आठवीं तक की पढ़ाई के लिए उनका प्रवेश सरयूपारीण स्कूल में करा दिया गया। अग्रवाल इंटर कालेज से 1949 में हाईस्कूल तथा 1951 में इंटरमीडिएट उत्तीर्ण की। फिर इलाहाबाद विश्व विद्यालय में पढ़े। बीए की उपाधि 1953 में मिली। इसी विश्वविद्यालय से 1555 में एलएलबी की उपाधि मिली। बाद में मेरठ विश्वविद्यालय से डी. लिट्. तथा उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय,इलाहाबाद से एलएलडी की मानद उपाधि भी मिली।

    परिवार में एक पुत्र, दो पुत्री

    केशरीनाथ जी का भरा पूरा परिवार है। विवाह वाराणसी के प्रतिष्ठित मिश्रा परिवार में 1958 में हुआ था। पत्नी सुधा त्रिपाठी भी गोलोकवासी हो चुकी हैं। पुत्र नीरज त्रिपाठी इलाहाबाद हाई कोर्ट में अधिवक्ता हैं। दो पुत्रियां हैं।