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    ठहरिए...और करिए प्रयागराज शहर के आजाद पार्क में दुर्लभ पारिजात के दर्शन

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sun, 22 Nov 2020 05:46 PM (IST)

    इलाहाबाद संग्रहालय में पुरातत्ववेत्ता राजेश मिश्रा बताते हैं कि चंद्रशेखर आजाद पार्क (कंपनी बाग) में स्थित हनुमान मंदिर के पास यह वृक्ष लगा हुआ है। अत ...और पढ़ें

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    शहर के दिल यानी चंद्रशेखर आजाद पार्क में लोग दुर्लभ पारिजात वृक्ष को देख सकते हैं।

    प्रयागराज,जेएनएन। शहर के दिल यानी चंद्रशेखर आजाद पार्क में लोग दुर्लभ पारिजात वृक्ष को देख सकते हैं। यह यहां पर वर्षों से है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पता नहीं है। दरअसल, पारिजात का उल्लेख श्रीमद्भागवत में समुद्र मंथन के प्रसंग में आता है। इसके अलावा यह वृक्ष चुनिंदा स्थानों पर है, जिसमें प्रयागराज भी शामिल है। हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी वहां पारिजात का पौधा लगाया है।

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    हनुमान मंदिर के पास है वृक्ष
    इलाहाबाद संग्रहालय में पुरातत्ववेत्ता राजेश मिश्रा बताते हैं कि चंद्रशेखर आजाद पार्क (कंपनी बाग) में स्थित हनुमान मंदिर के पास यह वृक्ष लगा हुआ है। अति प्राचीन होने के बावजूद यह वृक्ष पार्क में प्रतिदिन टहलने वाले लोगों की नजर में नहीं आ पाता, क्योंकि यह पेड़ जॉगिंग ट्रैक से हटकर पार्क के अंदर है। लोगों की जानकारी में नहीं होने के कारण इस दुर्लभ वृक्ष का उचित प्रचार नहीं हो पा रहा है। जबकि बाराबंकी के किन्तुर नामक गांव में कुंतेश्वर महादेव के प्राचीन मंदिर के पास स्थित पारिजात वृक्ष के निकट आज भी मेला लगता है तथा कामना पूॢत की दृष्टि से इस वृक्ष का दर्शन शुभ माना जाता है। विशेष रूप से नवविवाहित जोड़ों को उस क्षेत्र में दर्शन अवश्य कराया जाता है।
     

    धार्मिक ग्रंथ में मिलता है उल्लेख
    जी हां, अतिप्राचीन वृक्ष पारिजात की गणना देव वृक्ष के रूप में की गई है। भगवान शिव को प्रिय इसके पुष्प जो बहुत कम और रात को ही खिलते हैं। यह वातावरण को सुगंध से भर देते हैं तथा सुबह सूख कर गिर जाते हैं। धर्मशास्त्र के ज्ञाता आदित्यकीर्ति त्रिपाठी बताते हैं पारिजात का उल्लेख श्रीमद्भागवत में समुद्र मंथन के प्रसंग में इस प्रकार आया है:
    ततोऽभवत् पारिजात: सुरलोकविभूषणम।
    पूरयत्यॢथनो योऽर्थे शश्वद् भुवि यथा भवान्।।
    (श्रीमद्भागवत 18.6)
    अर्थात परीक्षित ! इसके बाद स्वर्गलोक का आभूषण पारिजात उत्पन्न हुआ जो याचकों की इच्छाओं को वैसे ही पूरा करता है जैसे तुम पृथ्वी पर निरंतर पूरी करते हो।। कालिदास ने भी ' कल्पद्रुमाणामिव पारिजात:Ó अर्थात कल्पद्रुम जैसे पारिजात के रूप में इसे इच्छित फलदाता वृक्ष कहा है।
     

    प्रदेश में चार स्थानों में है परिजात
    इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.एनबी सिंह बताते हैं कि पारिजात वृक्ष प्रदेश के चार स्थानों बाराबंकी, सुल्तानपुर एवं प्रयागराज में दो स्थानों आजाद पार्क एवं उल्टा किला झूंसी में है। प्रयागराज में आजाद पार्क का पारिजात वृक्ष एक हजार वर्ष पुराना है। हालांकि बाराबंकी के पारिजात वृक्ष को सबसे पुराना माना गया है। पांडव की मां कुंती का अंतिम संस्कार इसी वृक्ष के नीचे किया गया था। हालांकि प्रो.सिंह यह भी बताते हैं कि यह वृक्ष अफ्रीका में भी मिलता है। वहां पर इसे अडन सोनिया डिजी टाटा के नाम से जाना जाता है। अफ्रीकन इसे बाओबॉब भी कहतें हैं। वनस्पति वैज्ञानिक इसे हरश्रंृगार की भी संज्ञा देते हैं। वैसे हिन्दू धर्मशास्त्र में इस वृक्ष का उल्लेख मिलता है। हिन्दू लोग इस वृक्ष में पीला धागा लपेट कर मनौती मांगते हैं। मुस्लिम लोग इस वृक्ष में सफेद धागा बांधते हैं। मुस्लिम तांत्रिक इसकी जड़ से मिट्टी निकालकर ताबीज बनाते हैं। इसी वजह से अंग्रेजों ने इस वृक्ष के नीचे चबूतरा बना दिया था।
     

    वृक्ष की पत्ती गठिया रोग में फायदेमंद
    प्रो.सिंह बताते हैं कि पारिजात वृक्ष की पत्तियां गठिया रोग में बेहद फायदेमंद हैं। इसकी पत्ती पानी में उबालकर पीने से गठिया रोग जड़ से चला जाता है। आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है। इसकी पत्तियां आयुर्वेद के चिकित्सक लेकर जाते हैं। इसका फूल भी काफी महत्व रखता है। यह रात में ही खिलता है इसकी सुगंध बहुत दूर तक रहती है। पारिजात का वृक्ष भारतीय डाक टिकट में स्थान पा चुका है।

    प्रयागवासी पारिजात से हैं अनजान
    हिन्दुस्तान एकेडमी के पूर्व सचिव रविनंदन सिंह का मानना है कि आज इस बात की जरूरत है कि आजाद पार्क में स्थित पारिजात वृक्ष के महत्व से प्रयागराज के निवासियों का न सिर्फ परिचय कराया जाये बल्कि उस तक पहुंचने के मार्ग पर कोई पट्टिका आदि लगाई जाये जिससे पार्क में जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस वृक्ष के दर्शन का लाभ मिल सके।


    पीएम मोदी ने रोपा पौधा तो चर्चा में आया अति प्राचीन वृक्ष
    अयोध्या में रामजन्म भूमि के शिलान्यास के समय में पीएम नरेंद्र मोदी ने पारिजात के पौधे को लगाया था। इसी के बाद यह वृक्ष चर्चा में आया था। लोगों में इस पौधे की मांग की बढ़ गई थी। इसी दौरान प्रयागराज के आजाद पार्क में सैकड़ों वर्ष पहले लगाए गए पारिजात वृक्ष की लोगों की याद आई। यह वृक्ष आजाद पार्क के अंदर होने के कारण आम लोगों की निगाह इस पर नहीं पड़ती। पार्क में सुबह सैर करने वाले शिवकुमार राय का कहना है कि इस दुर्लभ वृक्ष के बारें में लोगों को जानकारी देनी चाहिए। सुबह-शाम को पार्क में सैर करने वाले महिलाएं एवं पुरुष पारिजात की पूजा करते हैं। वृक्ष पर मत्था लगाते हैं एवं इसकी परिक्रमा करते हैं। प्रशासन को इस वृक्ष की महत्ता को देखते हुए इसके आसपास बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए।


    आजाद पार्क प्रयागराज की सबसे बड़ी धरोहर
    साहित्यकार शिवकुमार राय बताते हैं कि 1870 प्रिंस अल्फ्रेड के प्रयागराज तब के इलाहाबाद आगमन पर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा बनवाया गया कंपनी बाग आज भी प्रयागराज की सबसे बड़ी धरोहरों में से एक है । यहीं पर महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की शहादत के कारण अब उनके ही नाम से जाने जाना वाला आजाद पार्क सिर्फ हवाखोरी, मनोरंजन या स्वास्थ्य की देखभाल के लिए होने वाली सैर के लिए ही नहीं बल्कि इस बाग में उपस्थित अनेकों महत्वपूर्ण स्थलों/ प्रतीकों के लिए भी जाना जाता है । ऐतिहासिक महत्व के इस पार्क में स्थित इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयाग संगीत समिति, मदन मोहन मालवीय स्टेडियम, थार्नहिल मायने मेओरियल (इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी), विक्टोरिया मेमोरियल जैसे महत्वपूर्ण स्थल तो आम तौर पर सामान्य जन द्वारा जाने ही जाते हैं मगर इस पार्क में कुछ ऐसे भी महत्वपूर्ण स्थल हैं जिनके बारे में आम जन को कम ही जानकारी है जैसे पारिजात वृक्ष, हनुमान मंदिर, इलाहाबाद जिमखाना क्लब आदि।