Furniture: बांस के फर्नीचर का बढ़ा इस्तेमाल, प्रयागराज में कई परिवारों के लिए बना यह रोजगार
हिंदू हास्टल के निकट जौनपुर के विनय पिछले कई सालों से बांस के फर्नीचर बना रहे हैं। वह बताते हैं कि पहले बांस के फर्नीचर के लिए केवल छात्रों की ही डिमांड आती थी लेकिन अब घरों में बांस के फर्नीचर की डिमांग 10 गुना तक बढ़ गई है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बांस के फर्नीचर के कई परिवाराें को जीवनयापन बेहतर हुआ है। यह इक्रो फ्रेंडली भी और अब इसकी डिमांड भी बढ़ी है। पिछले कुछ सालों में इसके कारोबार ने कई परिवारों काे संजीवनी दी है। वहीं बांस की खेती करने वालों को भी फायदा हो रहा है।
तमाम छात्र भी प्रयोग करते हैं बांस की पुस्तक रैक
हिंदू हास्टल के निकट जौनपुर के विनय पिछले कई सालों से बांस के फर्नीचर बना रहे हैं। वह बताते हैं कि पहले बांस के फर्नीचर के लिए केवल छात्रों की ही डिमांड आती थी, लेकिन अब घरों में बांस के फर्नीचर की डिमांग 10 गुना तक बढ़ गई है। सरकार और लोग पर्यावरणक के प्रति जागरूक हो रहे हैं। ऐसे में फाइबर प्लास्टिक से तो दूरी बना ही रहे हैं, जिन पेड़ों को बड़े होने पर लंबा समय लगता है, उन्हें कटने से बचाने के लिए बांस को और अधिक तरजीह दे रहे हैं। आजमगढ़ के कारीगर जुगनूं पिछले 15 साल से शहर में अपने पूरे परिवार के साथ यह काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि पिताजी से काम सीखा और अब पूरा घर परिवार इसी से चलता है। हर दिन चार-पांच आर्डर कुर्सी, मेज और बेंच आदि के मिल जाते हैं। इनकी कीमत एक हजार से पंद्रह सौ रुपये के बीच होती है। हिंदू हास्टल के पास से मनमोहन पार्क तक दाे दर्जन परिवार इस समय फुल टाइम बांस के सामान को बनाने का ही काम करते हैं।
टिकाऊ होती हैं बांस की वस्तुएं
बांस के फर्नीचर इस्तेमाल कर रहे सिविल लाइंस के गोपेश ओझा बताते हैं कि बांस की लकड़ी वायुमंडलीय परिवर्तनों और मौसम के कारण सिकुड़ता और फैलती नहीं है। जिससे इसका इस्तेमाल बाहरी फर्नीचर के तौर पर भी होता है। बढ़ई का पुश्तैनी काम करने वाले राकेश विश्वकर्मा ने बताया कि बांस की लकड़ी अंदर से खोखली होती है, जिसके कारण इससे सजावटी वस्तुएं भी आसानी से बनाई जा सकती है। बांस की लकड़ी में ऐसा गुण है कि वह प्लास्टिक, स्टील के कई अनुप्रयोगों को प्रतिस्थापित करने के लिए बेहद अच्छी सामग्री है। इससे निर्मित फर्नीचर टिकाऊ, व्यवहारिक, आधुनिक स्वारूप वाला होता है। रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल आसान। पारंपरिक लकड़ी की तुलना में क्षति कम होती है।
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