UPSC Toppers Success Story: एक साल पहले प्री में हुई फेल, अब IAS बनीं प्रयागराज की श्रेया
UPSC Toppers Success Story श्रेया शुरुआत से ही टॉपर रही । हाई स्कूल में जिले की सेकंड टॉपर थी। श्रेया सिंह ने आईटी बड़ोदरा से बीटेक किया हुआ है। श्रेया के पिता शैलेश कुमार बिजनेसमैन है जबकि उनकी मां पंकजा सिंह सेंट्रल अकेडमी झूंसी में शिक्षिका है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : UPSC Toppers Success Story- मेहनत करने वालों के आगे किस्मत भी झुक जाती है और जिद पकड़ने वाले एक न एक दिन अपनी मंजिल जरूर पा लेते हैं। यह साबित कर दिखाया है प्रयागराज की श्रेया सिंह ने ।
मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सिविल सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ। इस प्रतिष्ठित परीक्षा में प्रयागराज की श्रेया सिंह का भी चयन हुआ है। उनकी सफलता के बाद पूरे घर में जश्न का माहौल है। आस पास के लोगों की घर में भीड़ जुट गई।
रिश्तेदारों का लगातार फोन पर बधाई देने का क्रम जारी है। स्वजन की आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे हैं और मिठाई बांट कर लोग श्रेया को बधाई दे रहे हैं।
2021 में प्री में हुई थी फेल
संगम नगरी के छोटे से गांव कोटवा हनुमानगंज की रहने वाली श्रेया सिंह असफलता की सीढ़ी पर चढ़ते हुए सफलता की मिशाल बन गई। 2021 में प्री क्वालीफाई नहीं हुआ तो श्रेया सिंह पूरी तरह से टूट गई थी।
हिम्मत बांधी, संकल्प लिया और फिर से परीक्षा में बैठी तो प्री, मेंस, साक्षात्कार की बाधा पार करते हुए 639 वीं रैंक हासिल की।
बारहवीं में बनी थी टापर
श्रेया ने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई सेंट्रल एकेडमी झूंसी से की। 2014 में बारहवीं में वह जिले में तीसरे स्थान पर रहीं। त्रिपलआइटी बड़ोदरा से आइटी में बीटेक करने वाली श्रेया ने 2018 में स्नातक के साथ तैयारी शुरू की और 2019 में पहली बार परीक्षा दी। 2020 में प्री पास हुई लेकिन, मेंस में असफल रही।
किसान हैं पिता
श्रेया की मां पंकजा सिंह शिक्षिका हैं। पिता शैलेश कुमार सिंह मूलत: किसान हैं और अब उन्होंने अपना बिजनेस भी शुरू किया है।
जागरण से फोन पर बातचीत करते हुए श्रेया ने बताया कि आठवीं क्लास में थी तब कलेक्टर के बारे में पहली बार सुना था। तब से ख्वाब सजाया था। इस यात्रा में मेरा मोटीवेशन मेरी फैमली रही और यह सफलता भी उन्हीं की है। यह परीक्षा बहुत ऊपर नीचे ले जाती है। इसलिए धैर्य जरूरी है।
श्रेया के चयन पर उनकी बहन उत्तर मध्य रेलवे की पीआरओ रागिनी सिंह, सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय, सीनियर पीआरओ डा. अमित मालवीय आदि ने शुभकामनाएं दी।
क्या कहती हैं बहन
उत्तर मध्य रेलवे में जन संपर्क अधिकारी के पद पर कार्यरत रागिनी सिंह अपनी छोटी बहन श्रेया सिंह के इस यात्रा की कहानी साझा करती हैं। बताती हैं कि श्रेया ने इस परीक्षा को पूरी तरह से समर्पित कर दिया था। उसे परीक्षा निकालने की जिद थी और उसका पूरा समय किताबों के बीच ही गुजरता था।
जो जुनून होना चाहिए वह उसमें देखने को मिल रहा था। 2021 में जब उसका प्री नहीं निकला तो हम सबने उसे मोटीवेट किया। उसका आत्मविश्वास बहुत अधिक है। 2022 में जब प्री निकला तभी हमें यह लगा था कि इस बार उसका चयन जरूर होगा और अब वह आइएएस बन गई है।
श्रेया का नए बच्चों को संदेश
- सबसे पहले पाठ्यक्रम को आत्मसात करें।
- पुराने वर्ष के प्रश्न को हल करें, पैटर्न समझे।
- एनसीआरटी से अपना बेस बनाएं।
-रिवीजन और निरंतरता ही सफलता की कुंजी है।
- 7-8 घंटा प्रतिदिन पढ़ाई को दीजिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।