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    आइएएस अफसर बनने के लिए छोड़ी 30 लाख की नौकरी, पहले ही प्रयास में शिवम चंद्रा ने हासिल की सफलता

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Thu, 02 Jun 2022 12:26 PM (IST)

    सेंट जोसफ के छात्र शिवम ने 2015 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीटेक किया और 2019 में पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई की एलईके कंसल्टिंग में नौकरी ज्वाइन की पर दिल में आईएएस बनना का जूनून था इसलिए 2020 में 30 लाख सैलरी पैकेज वाली नौकरी से इस्तीफा दे दिया

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    शिवम ने सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करते हुए 453वीं रैंक हासिल कर सपना पूरा कर लिया।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। आइआइटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक शिवम चंद्रा ने आइएएस अफसर बनने के लिए 30 लाख रूपये सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ दी। घर पर रहकर तैयारी की और पहले ही प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करते हुए 453वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा कर लिया।

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    शुरूआती पढ़ाई के दौरान ही देखा था आइएएस अफसर बनने का सपना

    वाणिज्य कर अधिकारी रमेश चंद्र कनौजिया के बेटे शिवम चंद्रा ने आईएएस बनने का सपना शुरूआती पढ़ाई के दौरान ही देखना शुरू कर दिया था। सेंट जोसफ के छात्र शिवम ने 2015 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीटेक किया और 2019 में पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई की एलईके कंसल्टिंग में नौकरी ज्वाइन कर ली, पर दिल में आईएएस बनना का जूनून था, इसलिए 2020 में 30 लाख सैलरी पैकेज वाली नौकरी से इस्तीफा दे दिया और और प्रयागराज आकर तैयारी शुरू कर दी।

    इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के स्नातक शिवम ने सिविल सेवा परीक्षा में समाजशास्त्र विषय को चुना। शिवम बताते हैं कि आईआईटी में मानविकी के एक विषय के रुप में समाजशास्त्र लिया था, इलेक्ट्रिकल का सिलेबस काफी बृहद था, इसलिए तैयारी में समाजशास्त्र का चयन किया और तैयारी के लिए आनलाइन क्लास ली। सुलेम सराय निवासी शिवम चंद्रा ने बताया कि पहले ही प्रयास में उनको सफलता मिली है। उन्होंने सफलता का श्रेय अपने पिता रमेश चंद्र कनौजिया और मां संजू कनौजिया को दिया है। उन्होंने कहा कि सही विषय का चयन कर सकारात्मकता के साथ किया गया अध्ययन ही सफलता की कुंजी है।

    व्यक्तित्व विकास में पाए 90 नंबर

    शिवम बताते हैं कि आइआइटी में व्यक्तित्व विकास को लेकर काफी ध्यान दिया जाता है। इसका फायदा मिला। आइआइटी में लीडरशिप के सत्र में भाग लिया करते थे। यही कारण है कि परीक्षा में व्यक्तित्व विकास में 90 नंबर मिले, जो काफी अधिक हैं।