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    सपा प्रत्याशी विजमा यादव की दास्तां, पति जवाहर पंडित की हत्या के बाद मुलायम सिंह यादव ने रखा था सिर पर हाथ

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 03:09 PM (IST)

    समाजवादी पार्टी ने विजमा को प्रतापपुर से उम्मीदवार बनाया है। विजमा का यह छठवां चुनाव है। तीन चुनावों में वह जीत चुकी हैं जबकि दो में पराजय का सामना करना पड़ा था। एक समय ऐसा था जब विजमा का सियासत से दूर-दूर तक ताल्लुक नहीं था। वह गृहणी थीं।

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    यूपी चुनाव में विजमा यादव को सपा ने फिर प्रतापपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा है

    राजेंद्र यादव, प्रयागराज। पूर्व विधायक विजमा यादव। समाजवादी पार्टी ने उनको प्रतापपुर से उम्मीदवार बनाया है। विजमा का यह छठवां चुनाव है। तीन चुनावों में वह जीत चुकी हैं, जबकि दो में पराजय का सामना करना पड़ा था। एक समय ऐसा था जब विजमा का सियासत से दूर-दूर तक कोई ताल्लुक नहीं था। वह गृहणी थीं, लेकिन पति की हत्या के बाद मुलायम सिंह यादव ने उनको सियासत में उतार दिया। इसके बाद विजमा यादव ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। उनका तेवर भरा अंदाज जो 26 वर्ष पहले था, वह आज भी बरकरार है।

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    जानिए कैसे शुरू हुई राजनीतिक पारी विजमा की

    विजमा यादव की शादी जवाहर यादव उर्फ पंडित से हुई थी। 1993 में सपा के टिकट से झूंसी विधानसभा से मैदान में उतरे थे। इस सीट से जीत दर्ज कर पहली बार जिले में पार्टी का खाता खोला तो तत्कालीन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उनको गले से लगा लिया था। जवाहर पंडित की गिनती मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबियों में होती थी। 13 अगस्त 1996 की शाम करीब सात बजे जवाहर पंडित कार से सिविल लाइंस की तरफ जा रहे थे। पैलेस सिनेमा के पास अत्याधुनिक असलहों से लैस हमलावरों ने गोलियों से भूनकर उनकी हत्या कर दी गई थी।

    मुलायम सिंह ने तब दुखी विजमा के सिर पर रखा था हाथ

    जवाहर के कत्ल से सियासी भूचाल मच गया था। जवाहर पंडित की अंत्येष्टि में मुलायम सिंह यादव यहां आए थे। विजमा यादव के सिर पर हाथ रखकर सांत्वना दी थी। बोले थे कि वह उनकी छोटी बहन की तरह है। अब इस परिवार की रखवाली की जिम्मेदारी उनकी है। जवाहर पंडित की हत्या से खाली से झूंसी विधानसभा सीट पर उसी वर्ष उपचुनाव हुआ। सपा ने विजमा यादव को मैदान में उतार दिया। जनता ने भी अपने कदम आगे बढ़ाए और विजमा को विधानसभा पहुंचा दिया। कम पढ़ी लिखी और घर में गृहणी की भूमिका निभाने वाली विजमा यादव विधायक बनीं तो उन्होंने फिर मुड़कर नहीं देखा। थोड़े ही समय में उनके तेवर की हर तरफ चर्चा होने लगी।

    2002 में फिर सपा ने उन्हें इसी सीट से उम्मीदवार बनाया और विजमा ने पुन: विजयश्री हासिल की। इसके बाद 2007 का चुनाव वह हार गईं। परिसीमन के बाद यह सीट फूलपुर विधानसभा हो गई और 2012 के चुनाव में सपा ने उन्हें प्रतापपुर से टिकट दिया। विजमा यादव ने पार्टी को निराश नहीं किया और इस सीट से भी जीत दर्ज की। हालांकि, इसी सीट से 2017 के चुनाव में उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा था। इस बार फिर सपा ने उन्हें इसी सीट से उम्मीदवार घोषित किया है। एक तौर पर देखा जाए तो सभी चुनाव में पार्टी ने विजमा यादव को टिकट दिया। कभी उनका टिकट नहीं काटा। इसके पीछे जो वजह है, वह यह कि मुलायम सिंह यादव ने उनको अपनी छोटी बहन कहा था और जवाहर पंडित की हत्या के बाद पूरे परिवार को रखवाली का वचन दिया था, जिसे आज तक निभाया जा रहा है।