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    यमुना नदी के बीच में प्रयागराज का अनोखा शिव मंदिर, सुजावन देव में आस्‍था संग प्रकृति की छटा निराली

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jul 2022 02:59 PM (IST)

    प्रयागराज के सुजावन देव मंदिर से जुड़ी मान्‍यता है कि यहां यम द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। अपने आतिथ्‍य सत्‍कार से खुश होकर यमराज ने यमुना से वरदान मंगाने के लिए कहा। यमुना ने जन हित में वर मांगा।

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    प्रयागराज में यमुना नदी के बीच में स्थित अनोखा शिव मंदिर और सुजावन देव मंदिर से जुड़ी रोचक बातें हैं।

    प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में यमुना नदी के बीच में प्रकृति की एक अनोखी कृति भी है। शहर से करीब 25 किमी दूर पश्चिम में यमुना नदी के बीच में सुजावन देव मंदिर की लोकेशन मन को बहुत लुभाती है। यहां भगवान शिव व माता यमुना का मंदिर है। इस मंदिर में वर्ष भर लोगों का आना जाना रहता है। मंदिर के आस-पास की भीटा पहाड़ी में कभी नगरीय सभ्यता थी। इस मंदिर की आस्‍था हजारों लोगों से जुड़ी है। प्रकृति की गोद में मंदिर स्थित होने से भव्‍यता और बढ़ जाती है।

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    भगवान शिव, मां यमुना की पूजा होती है : सुजावन देव मंदिर में कार्तिक माह में यम द्वितीया पर विशाल मेला लगता है। इस मेले में आस पास के अलावा मध्य प्रदेश के जिलों से भक्‍त शिवजी और मां यमुना की आराधना करने आते हैं। यहां सावन के एक महीने और महाशिवरात्रि पर भी भक्‍तों की भीड़ जुटती है।

    मंदिर के निकट भीटा पहाड़ी पर कभी थी नगरीय सभ्यता : भीटा पहाड़ी में स्थित सुजावन देव मंदिर की उत्पत्ति की कहानी दिलचस्प है। मंदिर के विषय में पहले लोगों को जानकारी ही नहीं थी। बताया जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत में गदर के बाद यमुना नदी की एक शाखा जब ईस्ट इंडियन रेलवे के उस पार निकली तो उससे जुड़े ठेकेदारों ने ईंटों की खोज में इस स्‍थान को खोज निकाला। ईंटों को निकालने में यहां प्राचीन नगर की सभ्यता के अवशेष मिले। इस नगर के चिह्न उत्तर की ओर सुजानदेव के मंदिर से शुरू होकर दक्षिण में कुछ किमी तक फैले थे।

    तल से 60 मीटर पर स्थित है मंदिर : सुजावन देव का मंदिर यमुना के बीच में स्थित होने से यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि शायद पहले यह मंदिर नगर से ही मिला रहा होगा। और समय के साथ ही नदी के प्रवाह के बीच की भूमि कट कर बहने से अब यह टापू के रूप में आ गया होगा। धरातल से यह मंदिर करीब 60 फीट ऊंचा है।

    मंदिर का इतिहास : मंदिर से जुड़ा इतिहास भी रहा है। बताते हैं कि शाहजहां के समय में शाइस्ता खां इलाहाबाद यानी प्रयागराज का सूबेदार था। उसने 1645 में पुराने मंदिर को तोड़कर अठपहल बैठक बनवा लिया, जिसका 21 फुट व्यास था। कालांतर में इस स्थान पर हिंदुओं ने फिर अधिकार कर लिया। एक मूर्ति उसमें स्थापित कर दी।

    पर्यटन विभाग के नक्‍शे पर मंदिर अंकित : भीटा स्थित सुजावन देव मंदिर पर्यटन विभाग के नक्‍शे पर अंकित है। यह मंदिर यमुना के बीच में रहा। अवैध खनन के कारण इसके अगल बगल यमुना नदी का पानी कम हो गया है। इसकी वजह से मंदिर का अस्तिव खतरे पड़ता जा रहा है। मंदिर की नींव में लगे पत्थर कमजोर हो रहे हैं। मंदिर भारतीय पुरातत्‍व विभाग से से संरक्षित है। हालांकि रखरखाव के प्रति उदासीनता भी बरती जा रही है। बारिश के दिनों में भक्‍त नाव से मंदिर में पहुंचते हैं।

    सुजावन देव मंदिर से जुड़ी मान्‍यता : सुजावन देव मंदिर से जुड़ी मान्‍यता है कि यहां यम द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। अपने आतिथ्‍य सत्‍कार से खुश होकर यमराज ने यमुना से वरदान मंगाने के लिए कहा। यमुना ने वर मांगा कि भैया दूज के दिन जो भक्त यमुना स्नान करेंगे उन्हें मृत्यु का भय न रहे और देव लोक में स्थान मिले। यमराज ने तथास्‍तु कहा। बोले कि ऐसा ही होगा। इसी मान्‍यता के अनुसार सुजावन देव मंदिर और यमुना तट पर दीपावली के बाद यम द्वितीया को विशाल मेला लगता है। यहां आकर भक्‍त यमुना नदी में दीपदान करते हैं।