TB के इलाज के लिए प्रति माह मिलता है 500 रुपये, मरीज सरकारी योजना का लाभ ले सकते हैं
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी के इलाज के लिए किसी गरीब को कर्ज लेने की जरूरत नहीं है। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों के बैंक खाते में इलाज जारी रहने तक प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि बेहतर पोषण के लिए भेजी जाती है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। टीबी यानी तपेदिक अब जानलेवा बीमारी नहीं है। इस बीमारी का सरकारी अस्पतालों में निशुल्क जांच हो ती है। इस बीमारी का इलाज सस्ता और सुगम है। यहां तक कि इस बीमारी से पीडि़त रोगियों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता भी मिलती है। प्रयागराज के मरीज तो सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए अब स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। हालांकि तमाम ऐसे हैं जो बोन टीबी होने के बावजूद नीम हकीम और झोला छाप डाक्टरों से इलाज करा रहे हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी बोले- बेहतर पोषण के लिए मरीजों को आर्थिक सहायता : जिला क्षय रोग अधिकारी अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि टीबी मरीजों का इलाज क्षय रोग विभाग की निगरानी में निशुल्क इलाज चल रहा है। टीबी के इलाज के लिए किसी गरीब को कर्ज लेने की जरूरत नहीं है। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों के बैंक खाते में इलाज जारी रहने तक प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि बेहतर पोषण के लिए भेजी जाती है।
टीबी का शरीर में कहां-कहां होता है संक्रमण : स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. विक्रम निगम कहते हैं कि टीबी कई तरह की होती है। फेफड़े की टीबी को पल्मोनरी व शरीर के अन्य हिस्से में टीबी संक्रमण पाए जाने पर इसे एक्स्ट्रापल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस कहा जाता है। संक्रमण हड्डी तक पहुंच जाए तो यह एक्स्ट्रापल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस बोन टीबी (हड्डी की टीबी) कहलाता है। टीबी का माइकोबैक्टेरियम जीवाणु टी.बी. ग्रस्त व्यक्ति के खून के जरिये उसके शरीर में रीढ़ की हड्डी, हाथ पैर के जोड़, कोहनियां, कलाई व शरीर के अन्य किसी भी हिस्से को संक्रमित कर देता है। इसके लक्षण तब नजर आते हैं, जब बीमारी अपनी जड़ जमा चुकी होती है।
बोन टीबी के लक्षण
- शुरुआत में शरीर के किसी हिस्से में लंबे समय से दर्द व सूजन रहना।
- हाथ की कोहनियां खोलने व घुटनों को मोड़ने में कठिनाई महसूस होना।
- लगातार वजन में कमी होना।
- रात में पसीना आना और बुखार चढ़ता-उतरते रहना।
इलाज में लगने वाला समय : सामान्य टीबी का इलाज 6 माह में पूरा हो जाता है। बोन टीबी के सफल इलाज में 12 से 18 महीने का वक्त भी लग सकता है। इसमें दवा नहीं छोड़नी चाहिए। दवा छोड़ने पर दवा के प्रति प्रतिरोधक शक्ति बन जाती है और फिर इलाज लंबा चलता है।
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