Umesh Pal Murder Video : हत्याकांड का एक और VIDEO आया सामने, वीडियो देखकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे
वीडियो में नजर आ रहा है कि किस तरह सुरक्षा कर्मी अपनी जान बचाते हुए नजर आ रहा था। पीछे से आरोपी बम फेंकते हैं तो उसका हाथ पूरी तरह जख्मी हो जाता है। इसके बाद वहां मौजूद महिलाएं और बच्चे भी बम की आवास सुनकर बाहर आ जाते हैं।
प्रयागराज, जागरण ऑनलाइन टीम : उमेश पाल हत्याकांड से जुड़ा एक और सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। फुटेज में गुड्डू मुस्लिम के बम के हमले से घायल सिपाही राघवेंद्र लहूलुहान जमीन पर गिरा दिखाई दे रहा है। इसमें आस-पास के लोगों में बमबाजी के चलते दहशत का माहौल दिखाई दे रहा है।
उमेश पाल हत्याकांड का एक और सनसनीखेज विडियो आया है। पुलिस कर्मी हत्यारों से किस तरह जान बचाते हुए नजर आ रहा है। pic.twitter.com/OqaAqSGzjw
— Ammar Khan (@AmmarSageer) March 19, 2023
बमबाजी और गोली बारी करने वालों के जाने के बाद आसपास के लोग सिपाही राघवेंद्र को उठाते दिखाई दे रहें हैं। बम के हमले से सिपाही का दाहिना हाथ पूरी तरह जख्मी हो गया। उमेश पाल की पत्नी भी फुटेज में घर से बाहर निकलते दिखाई दे रहीं हैं।
हत्या के पीछे आखिर क्या थी साजिश?
पुलिस के मुताबिक मेश पाल कई मुकदमों में माफिया अतीक अहमद के विरुद्ध कोर्ट में लगातार पैरवी कर रहा था। यही वजह है कि इससे बौखलाए अतीक अहमद ने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटाने की ठान ली थी। पुलिस की शुरुआती जांच में भी यही तथ्य सामने आए। पर वह कौन सा मुकदमा था या फिर उमेश व अतीक के बीच हुई कोई डील बिगड़ने से बढ़ी खटास इस जघन्य वारदात की मुख्य वजह बनी या अतीक ने महज अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए यह दुस्साहस किया। इसे लेकर तस्वीर अब तक पूरी तरह साफ नहीं हो सकी है।
विधायक राजू पाल केस में सीबीआई ने उमेश पाल को अपना गवाह नहीं बनाया था। पुलिस ने उमेश पाल को गवाह बनाया था, पर वह कोर्ट में मुकर गया था। यही वजह है कि सीबीआई ने उसे विश्वसनीय नहीं माना था और अपने गवाहों की सूची में शामिल ही नहीं किया था।
2006 में भी उमेश पाल ने दर्ज कराया था मुकदमा
ऐसे में इस मामले में उमेश पाल को रास्ते से हटाने में अतीक गिरोह को कोई फायदा नहीं था। उमेश पाल ने अपने अपहरण का एक मुकदमा वर्ष 2006 में प्रयागराज के धूमनगंज थाने में दर्ज कराया था, जिसमें अतीक अहमद व उसका भाई अशरफ समेत पांच नामजद आरोपित हैं। इस मामले में दोनों पक्षों की गवाही पूरी हो चुकी है।
अतीक अहमद पक्ष ने अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के फिर से बयान कराए जाने की मांग की थी, जिसे एमपी-एमएलए कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। इसके विरुद्ध सरकार हाई कोर्ट गई थी। अतीक पक्ष ने हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उनके पक्ष के 50 और गवाहों को सुने जाने की मांग भी की थी। हाई कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के फिर से बयान कराने व अभियुक्त पक्ष के अन्य गवाहों को सुने जाने से इनकार कर दिया था।
अतीक पक्ष के लिए यह बड़ा झटका था और उमेश पाल को यह भी पता था कि अतीक पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाएगा। इसी आशंका के चलते ही उसने सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैवियट दाखिल की थी। बाद में अतीक पक्ष को सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर भी राहत नहीं मिल सकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह में ट्रायल पूरा करने का निर्देश भी दिया था। इस मामले में आराेपितों काे आजीवन कारावास अथवा दस वर्ष का श्रम कारावास व जुर्माना की सजा हो सकती है।