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    कल्याणी देवी मोहल्ले में गिरी थीं मां सती की तीन अंगुलियां, शक्तिपीठ में शामिल है प्रयागराज का यह मंदिर

    तीर्थराज प्रयाग में जगह-जगह मठ और मंदिर बिखरे पड़े हैं लेकिन कुछ मंदिरों का पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व है जिनमें पुराने शहर में स्थित कल्याणी देवी का मंदिर भी है जिसको शक्तिपीठ कहा जाता है।

    By Ankur TripathiEdited By: Updated: Mon, 01 Feb 2021 07:00 AM (IST)
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    पुराणों में मां के 51 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है जिसमें मां कल्याणी का भी विशेष उल्लेख है।

    प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग में जगह-जगह मठ और मंदिर बिखरे पड़े हैं लेकिन कुछ मंदिरों का पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व है जिनमें पुराने शहर में स्थित कल्याणी देवी का मंदिर भी है जिसको शक्तिपीठ कहा जाता है। यहां मां के दर्शन-पूजन के लिए शहर के अलावा दूर-दराज से भी हजारों श्रद्धालु व देवीभक्त आते हैं।

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    पुराने शहर में स्थित कल्याणी देवी मंदिर का है पौराणिक महत्व

    मंदिर के प्रधान पुजारी श्यामजी पाठक के अनुसार पुराने शहर में वर्तमान में जहां पर मां कल्याणी देवी का मंदिर है, वहां मां सती जी की तीन अंगुलियां गिरी थीं, जब भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने मां के मृत शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया था। पुराणों में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है।

    मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में होती है कल्याणी देवी मंदिर की गिनती

    श्यामजी पाठक बताते हैं कि पुराणों में मां के 51 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है जिसमें मां कल्याणी का भी विशेष उल्लेख है। इस मंदिर में मां सती की तीन अंगुलियों के स्वरूप देवी मां के तीन विग्रह स्थापित हैं जिनके दर्शन पूजन करने से श्रद्धालुओं का कल्याण होता है, उन्हें सुख-शांति मिलती है।

    शिव को शांत कराने को श्रीहरि ने काट दिया था सती का शरीर

    पौराणिक कथा के मुताबिक जब सती ने अपने प्राण त्याग दिए थे तो भगवान शंकर क्रोध में आकर तांडव नृत्य करने लगे थे जिससे सृष्टि डोलने लगी थी। ऐसे में श्रीहरि विष्णु ने शिव के क्रोध को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को काट दिया था। उनके शरीर के 51 टुकड़े हो गए थे जो विभिन्न जगहों पर गिरे। जहां पर मां सती के शरीर के टुकड़े गिरे उनको शक्तिपीठ के नाम से जाना जाने लगा। श्यामजी पाठक के अनुसार उन्हीं 51 शक्तिपीठों में प्रयागराज स्थित कल्याणी देवी का भी जिक्र आता है। यहां पर मां सती की तीन अंगुलियां गिरी थीं।

    मां शक्ति के नाम पर आबाद हो गया कल्याणी देवी मुहल्ला

    कल्याणी देवी मंदिर के आसपास के क्षेत्र को कल्याणी देवी के ही नाम से जाना जाता है। इसी मुहल्ले में ऊंचे चबूतरे पर स्थित इस मंदिर में मां के कल्याणी स्वरूप के साथ ही श्रीराम परिवार और अन्य देवी-देवताओं के भी दर्शन होते हैं। यहां पर नवरात्र के अलावा आम दिनों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। नवरात्र में यहां पर मेला लगता है। दूर-दराज से श्रद्धालु यहां मां के दर्शन-पूजन के साथ मुंडन, कर्ण छेदन आदि जैसे मांगलिक संस्कार भी संपन्न कराने आते हैं। माघ मेला व कुंभ में दर्शनार्थियों की भीड़ रहती है।