कौशांबी में एक बार फिर शुरू हुई सरस्वती की खोज
गंगा-यमुना के दोआब में विलुप्त नदी (सरस्वती) की खोज की दिशा में फिर पहल शुरू कर दी गई है।
सरायअकिल (कौशांबी): गंगा-यमुना के दोआब में विलुप्त नदी (सरस्वती) की खोज की दिशा में फिर पहल शुरू हो गई है। राष्ट्रीय भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान हैदराबाद (एनजीआरआइ) की टीम ने डेरा डाल दिया है। सोमवार सुबह टीम ने इछना गांव में डेरा डाला। सप्ताह भर से यहां नमूने लिए जा रहे हैं।
भू-विज्ञानियों की कवायद जिले में उत्सुकता की वजह है। इछना गांव स्थित नलकूप के पास बाग में कैंप लगाया गया है। यहां सेडीमेंट एंड कोडिग व सेडीमेंट कोर ड्रिलिग कर नमूने लिए गए। दो वर्ष पहले सेंवथा, इछना, पनारा गोपालपुर, सरैया, अगियौना समेत कई गांवों के हवाई सर्वेक्षण के दौरान विलुप्त नदी का अस्तित्व मिलने की संभावना जगी है। हैदराबाद से आई टीम में वरिष्ठ विज्ञानी डा. प्रभा पांडेय, डा. इमरान खान, बी किरन कुमार और सतीश वर्मा ने इछना से पहले सेंवथा गांव में ड्रिलिग कर मिट्टी व अन्य कणों के नमूने जुटाए थे। डाक्टर प्रभा पांडेय के अनुसार नमूनों की जांच हैदराबाद स्थित लैब में की जाएगी। दो साल पहले हेलीबोन ट्रांजिएंट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विधि से सर्वे में जहां भी नदी की संभावना दिखी थी, वहीं से नमूना एकत्रित किया जा रहा है। ड्रिलिग से हर 10 मीटर का नमूना 50 मीटर तक एकत्रित किया जाएगा। लैब में यह पता लगाया जाएगा कि कणों की वास्तविक उम्र कितनी है, यह कहीं से एकत्रित हुए हैं अथवा बहकर आए हैं? जिस समय के कण हैं, उस काल में जलवायु क्या थी, पतन कैसे हुआ। शुरुआती सर्वे के दौरान दो साल पहले केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूडी)ने 150 मीटर गहरी बोरिग कर पानी की गुणवत्ता जानने के लिए उसके अंदर सिस्टम लगाया था। इससे जल की गुणवत्ता और उसमें परिवर्तन परखा जा सकेगा। भू विज्ञानियों का अगला पड़ाव अगियौना गांव होगा। उनके साथ वैन भी है। इसमें लगे यंत्रों को कंप्यूटर से जोड़ा गया है।