दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई को लेकर अब चिंता न करें, इसके लिए प्रयागराज के शिक्षक हो रहे प्रशिक्षित
दिव्यांग बच्चों की समझ बढ़ाने और विषय के प्रति उनमें रुचि जगाने के लिए टिप्स लेने के लिए इन दिनों प्रयागराज मंडल के शिक्षकों का शिविर सीमैट में लगा है ...और पढ़ें

प्रयागराज, जेएनएन। दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई को लेकर उनके माता-पिता सदैव चिंतित रहते हैं। ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए वे उन्हें स्कूल भी भेजते हैं ताकि अच्छी पढ़ाई करके वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। अब ऐसे अभिभावकों को परेशान होने की कतई आवश्यकता नहीं है। इसके लिए सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है। शिक्षकों को दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के तरीके बताए जा रहे हैं।
प्रयागराज मंडल के शिक्षकों का प्रशिक्षण शिविर
दिव्यांग बच्चों की समझ बढ़ाने और विषय के प्रति रुचि जगाने संबंधी टिप्स लेने के लिए इन दिनों प्रयागराज मंडल के शिक्षकों का शिविर सीमैट में लगा है। यह शिविर तीन दिनों के लिए आयोजित किया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक रमेश कुमार तिवारी ने कहा कि अध्यापकों का चाहिए कि वह विषय को रोचक बनाएं। उन्हें यह प्रतीत न हो कि वह पढ़ाई या फिर कुछ गंभीर कार्य कर रहे हैं। खेल खेल में विषय को समझेंगे और पढ़ेंगे तो उनका लगाव बढ़ेगा। विषय भी आसानी से समझ में आएगा। उन्होंने अध्यापकों से सवाल जवाब भी किए। पूछा कि अब तक के प्रशिक्षण में क्या सीखा। इसका प्रयोग वह किस तरह करेंगे।
श्रवण बाधित बच्चों को पढ़ाने के दिए टिप्स
प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन श्रवण बाधित विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए टिप्स दिए गए। बताया गया कि किस तरह संप्रेषण करें। अक्षरों व शब्दों को दैनिक जीवन में किसी तरह उपयोग करें। खासकर दिन के नाम, महीने के नाम, सप्ताह आदि की जानकारी सांकेतिक भाषा में दी गई।
अपने आसपास की चीजों के उदाहरण से बच्चों को समझाएं
प्रशिक्षण शिविर में मास्टर ट्रेनर विनोद कुमार मिश्रा तथा अर्चना दुबे ने पहले शिक्षकों का आकलन किया। उसके बाद बच्चों को समझाने के टिप्स दिए। उन्हें बताया गया कि बच्चे बड़ों से अधिक संवेदनशील होते हैं। वह प्राकृतिक चीजों से अधिक जुड़ते हैं। कोशिश करें कि प्राकृतिक चीजों का उदाहरण दें। इससे उनकी समझ अच्छी होगी। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य श्रवण बाधित बच्चों को शैक्षिक रूप से समृद्ध बनाना है, जिससे वह समाज के अन्य बच्चों की तरह मुख्य धारा में शामिल हो सकें। इशारों के माध्यम से अनुसरण कराना, शरीर के विभिन्न अंगों का इशारों के माध्यम से पहचान कराना, चित्र के माध्यम से बच्चों को समझाना, आकृतियों के आधार पर वस्तुओं को छांटना, क्रियात्मक शब्दों को समझना आदि समझाया गया।

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